'न्यायपालिका में महिलाओं को मिले 50% आरक्षण' : CJI रमना

इस महीने यह दूसरी बार है जब भारत के मुख्य न्यायाधीश ने ज्यूडिशरी में महिलाओं के प्रतिनिधित्व का मुद्दा उठाया है

क्विंट हिंदी
भारत
Updated:
<div class="paragraphs"><p>CJI NV Ramana </p></div>
i

CJI NV Ramana

(फोटो: कामरान अख्तर/क्विंट)

advertisement

भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना (CJI NV Ramana) ने रविवार, 26 सितंबर को न्यायपालिका में महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण का आह्वान किया और देश भर के लॉ कॉलेजों में भी समान आरक्षण की मांग का समर्थन किया.

सुप्रीम कोर्ट की महिला वकीलों की तरफ से CJI रमना और हाल ही में नियुक्त 9 नए जजों के लिए एक सम्मान समारोह का आयोजन किया गया था. यहां अपने संबोधन में मुख्य न्यायाधीश ने कहा, "यह आपका अधिकार है ... आप मांग करने की हकदार हैं (न्यायपालिका और लॉ कॉलेज में आरक्षण की)"

“हमें न्यायपालिका में महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण की आवश्यकता है ... यह हजारों वर्षों के दबाए जाने का मुद्दा है. न्यायपालिका के निचले स्तरों में 30 प्रतिशत से कम जज महिलाएं हैं ... हाईकोर्टों में यह 11.5 प्रतिशत है... सुप्रीम कोर्ट में सिर्फ 11-12 फीसदी महिला जज हैं."

इंडिया नेशनल कमेटी के बार काउंसिल में एक भी महिला प्रतिनिधि नहीं- CJI

अपने संबोधन के दौरान CJI रमना ने वकीलों और बार काउंसिल में भी महिलाओं के उचित प्रतिनिधित्व न होने की बात उठाई. उन्होंने कहा कि "देश में 1.7 मिलियन एडवोकेट्स में से केवल 15 प्रतिशत महिलाएं हैं. स्टेट बार काउंसिल में केवल दो प्रतिशत निर्वाचित प्रतिनिधि महिलाएं हैं. मैंने यह मुद्दा उठाया कि इंडिया नेशनल कमेटी के बार काउंसिल के पास एक भी महिला प्रतिनिधि नहीं है."

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

कार्ल मार्क्स के प्रसिद्ध नारे का प्रयोग करते हुए CJI रमना ने कहा

"मैं आप सभी को याद दिलाना चाहता हूं कि कार्ल मार्क्स ने क्या कहा ... 'दुनिया के मजदूरों एक हो जाओ, तुम्हारे पास खोने के लिए कुछ नहीं है, सिवाए आपनी जंजीरों के'.. मैं इसे संशोधित करूंगा: "दुनिया की महिलाओं एक हो जाओ. तुम्हारे पास खोने के लिए कुछ नहीं है, सिवाए आपनी जंजीरों के”

गौरतलब है कि इस महीने यह दूसरी बार है जब भारत के मुख्य न्यायाधीश ने देश की ज्यूडिशरी में महिलाओं के प्रतिनिधित्व का मुद्दा उठाया है. बार काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में भी उन्होंने कम से कम 50 % प्रतिनिधित्व की वकालत की थी.

1 सितंबर को तीन महिला जजों ने सुप्रीम कोर्ट की जज के रूप में शपथ ली थी. इसके बाद शीर्ष अदालत में कुल 34 जजों के मौजूदा स्ट्रेंथ में महिला जजों की संख्या चार हो गई है.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 26 Sep 2021,04:07 PM IST

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT