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भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना (CJI NV Ramana) ने रविवार, 26 सितंबर को न्यायपालिका में महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण का आह्वान किया और देश भर के लॉ कॉलेजों में भी समान आरक्षण की मांग का समर्थन किया.
सुप्रीम कोर्ट की महिला वकीलों की तरफ से CJI रमना और हाल ही में नियुक्त 9 नए जजों के लिए एक सम्मान समारोह का आयोजन किया गया था. यहां अपने संबोधन में मुख्य न्यायाधीश ने कहा, "यह आपका अधिकार है ... आप मांग करने की हकदार हैं (न्यायपालिका और लॉ कॉलेज में आरक्षण की)"
अपने संबोधन के दौरान CJI रमना ने वकीलों और बार काउंसिल में भी महिलाओं के उचित प्रतिनिधित्व न होने की बात उठाई. उन्होंने कहा कि "देश में 1.7 मिलियन एडवोकेट्स में से केवल 15 प्रतिशत महिलाएं हैं. स्टेट बार काउंसिल में केवल दो प्रतिशत निर्वाचित प्रतिनिधि महिलाएं हैं. मैंने यह मुद्दा उठाया कि इंडिया नेशनल कमेटी के बार काउंसिल के पास एक भी महिला प्रतिनिधि नहीं है."
कार्ल मार्क्स के प्रसिद्ध नारे का प्रयोग करते हुए CJI रमना ने कहा
गौरतलब है कि इस महीने यह दूसरी बार है जब भारत के मुख्य न्यायाधीश ने देश की ज्यूडिशरी में महिलाओं के प्रतिनिधित्व का मुद्दा उठाया है. बार काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में भी उन्होंने कम से कम 50 % प्रतिनिधित्व की वकालत की थी.
1 सितंबर को तीन महिला जजों ने सुप्रीम कोर्ट की जज के रूप में शपथ ली थी. इसके बाद शीर्ष अदालत में कुल 34 जजों के मौजूदा स्ट्रेंथ में महिला जजों की संख्या चार हो गई है.
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