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UP परेशान है क्योंकि 64 मामलों वाला व्यक्ति जमानत पर बाहर था: CJI

वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने पीठ के समक्ष कहा था कि “हम पुलिस बल का मनोबल नहीं गिरा सकते.”

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UP परेशान है क्योंकि 64 मामलों वाला व्यक्ति जमानत पर बाहर था: CJI
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UP परेशान है क्योंकि 64 मामलों वाला व्यक्ति जमानत पर बाहर था: CJI
(फोटो altered by the quint)

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चीफ जस्टिस एस.ए.बोबड़े ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश प्रशासन पर बरसते हुए कहा कि राज्य इसलिए परेशानी में हैं क्योंकि वहां 64 मामलों वाला व्यक्ति जमानत पर रिहा था. चीफ जस्टिस, न्यायमूर्ति ए.एस. बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी.रामासुब्रह्मण्यन की पीठ ने यही कहते हुए ऐसे आदमी को जमानत देने से इंकार कर दिया, जिस पर आठ आपराधिक मामले दर्ज हैं. चीफ जस्टिस ने विकास दुबे मामले का हवाला देते हुए याचिकाकर्ता के वकील से कहा, "आपका मुवक्किल एक खतरनाक आदमी है. हम उसे जमानत पर रिहा नहीं कर सकते. देखिए दूसरे मामले में क्या हुआ."

दुबे कैसे इतने मामलों में जमानत पर रिहा हुआ?

याचिकाकर्ता ने मेडिकल ग्राउंड पर जमानत मांगी थी, क्योंकि वह कई बीमारियों से पीड़ित है.अभियोजन पक्ष ने बताया कि उसके खिलाफ एक पुलिस स्टेशन में आठ आपराधिक मामले हैं और पीठ के समक्ष दलील दी गई कि ऐसी आपराधिक पृष्ठभूमि वाला व्यक्ति जेल से कैसे रिहा हो सकता है.विकास दुबे एनकाउंटर मामले में, शीर्ष अदालत ने शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली समिति से यह जांच करने के लिए भी कहा है कि दुबे कैसे इतने मामलों में जमानत पर रिहा हुआ था.

दुबे 8 पुलिसकर्मियों की हत्या का आरोपी था

यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया किया था कि दुबे ने अपने गिरोह के 90 अपराधियों का इस्तेमाल कर आठ पुलिसकर्मियों की निर्मम हत्या कर दी और फिर उनके शवों को क्षत-विक्षत कर दिया. दुबे आजीवन कारावास की सजा काट रहा था और दो जुलाई को जब उसने यह नरसंहार किया, तब वह पैरोल पर बाहर था.

20 जुलाई को, सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से कहा था कि वह चकित है कि विकास दुबे के खिलाफ इतने मामले होने के बावजूद उसे जमानत पर रिहा कर दिया गया था और यह संस्था की विफलता को दर्शाता है कि वह ऐसे अपराधी को सलाखों के पीछे रखने में नाकाम रही.

चीफ जस्टिस ने कहा, "यूपी इसलिए दांव पर नहीं है कि वहां एक घटना हुई है, बल्कि पूरी प्रणाली दांव पर है. इसे याद रखें."

यूपी पुलिस का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने पीठ के समक्ष कहा था कि "हम पुलिस बल का मनोबल नहीं गिरा सकते." चीफ जस्टिस बोबडे ने कहा, "कानून के शासन को मजबूत कीजिए और पुलिस बल का मनोबल कभी नहीं गिरेगा."

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