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लखनऊ के जिस बस अड्डे का इंतजार जनता पिछले कई सालों से कर रही थी, आखिरकार उसे सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ ने जनता को सौंप दिया है. इस बस अड्डे के निर्माण का काम अखिलेश के राज में शुरू हुआ था, जिसकी वजह से सपा के कार्यकर्ताओं ने एक दिन पहले ही बस अड्डे का उद्घाटन कर दिया था.
अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस इस बस अड्डे को एयरपोर्ट की तर्ज पर बनाया गया है, जहां पर पार्किंग से लेकर थियेटर और पूरे जोन को वाई-फाई से लैस किया गया है.
सबसे पहले इस बस अड्डे का निर्माण मायावती के मुख्यमंत्री रहते शुरू हुआ था. साल 2012 में अखिलेश यादव ने इस बस अड्डे को नए सिरे से और अत्याधुनिक बनाने की रूपरेखा तैयार की थी.
ये पहला मौका है, जब किसी बस टर्मिनल को सीधे मेट्रो के साथ जोड़ा गया हो. मेट्रो और टर्मिनल के लिए एक अलग से रास्ता बनाया गया है, जो सीधे बस अड्डे के फर्स्ट फ्लोर से कनेक्ट किया गया है. बसों को लेकर किसी तरह का कोई जाम न लगे, इसके लिए भी पूरी तैयारी की गई है. इसके लिए एक मोबाइल वैन तैनात की गई है, जो बसों को रोड पर खड़ी होने से रोकेगी.
बस टर्मिनल से यात्रियों के लिए 750 बसें मिलेंगी, इनमें सब तरह की एसी बस सेवाएं शामिल होंगी. यात्रियों को गोरखपुर, कानपुर, बनारस, इलाहाबाद तक और आगे के जिलों को जाने वाली बसें भी इसी बस टर्मिनल से मिलेंगी.
यात्रियों की सुविधाओं को देखते हुए बस अड्डे पर बैंक, पोस्ट ऑफिस और डॉरमेट्री की भी व्यवस्था की गई है. स्टॉफ के लिए अलग से 100 बेड की डॉरमेट्री भी बनाई गई है. इसके साथ ही पूरे जोन को वाई-फाई से लैस किया गया है. यात्रियों को क्लॉक रूम, एसी और नॉन एसी वेटिंग रूम, फूड कोर्ट, लगेज स्कैनर, एयर टिकटिंग काउंटर की भी सुविधा दी गई है.
201 करोड़ की लागत से बने इस बस टर्मिनल में 45 प्लेटफॉर्म, 4 रिजर्व प्लेटफॉर्म, यात्रियों के वाहनों की पार्किंग की व्यवस्था है, जहां पर करीब 200 वाहन पार्क किए जा सकेंगे.
इसके साथ ही 50 बसों की अंडरग्राउंड पार्किंग की सुविधा, 17 टिकट और पूछताछ काउंटर बनाए गए हैं. बसों की साफ सफाई के लिए उचित व्यवस्था की गई है. इसके साथ ही 50 पिंक बसों का संचालन महिलाओं की सुरक्षा को ध्यान में रखकर किया गया है. दो अत्याधुनिक शौचालयों का निर्माण, वॉटर प्यूरीफायर मशीनें भी लगाई गई हैं.
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