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"सनातन विरोधी नारे नहीं लगा सकता"- गौरव वल्लभ कांग्रेस छोड़कर BJP में हुए शामिल

गौरव वल्लभ ने कहा "मैं जन्म से हिंदू और कर्म से शिक्षक हूं, कांग्रेस के स्टैंड ने मुझे हमेशा असहज किया, परेशान किया."

क्विंट हिंदी
भारत
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"सनातन विरोधी नारे नहीं लगा सकता"- गौरव वल्लभ कांग्रेस छोड़कर BJP में हुए शामिल

(फोटो: क्विंट हिंदी)

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देश में दो सप्ताह में लोकसभा चुनाव है. इसी बीच, बॉक्सर विजेंद्र सिंह कांग्रेस का हाथ छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए. अब कांग्रेस नेता और प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने 4 अप्रैल को पार्टी से इस्तीफा दे दिया. इसके कुछ घंटे बाद ही गौरव वल्लभ बीजेपी में शामिल हो गए. उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को अपना इस्तीफा भेजा, जिसमें उन्होंने राम मंदिर पर पार्टी के स्टैंड से क्षुब्ध होने की बात कही है.

गौरव वल्लभ ने कहा "कांग्रेस पार्टी आज जिस प्रकार से दिशाहीन होकर आगे बढ़ रही है,उसमें मैं खुद को सहज महसूस नहीं कर पा रहा. मैं ना तो सनातन विरोधी नारे लगा सकता हूं और ना ही सुबह-शाम देश के वेल्थ क्रिएटर्स को गाली दे सकता. इसलिए मैं कांग्रेस पार्टी के सभी पदों और प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे रहा हूं."

उन्होंने आगे कहा "इन दिनों पार्टी गलत दिशा में आगे बढ़ रही है. एक ओर हम जाति आधारित जनगणना की बात करते हैं, वहीं दूसरी ओर संपूर्ण हिंदू समाज के विरोधी नजर आ रहे हैं, यह कार्यशैली जनता के बीच पार्टी को एक खास धर्म विशेष के ही हिमायती होने का भ्रामक संदेश दे रही है. यह कांग्रेस के मूलभूत सिद्धांतों के खिलाफ है."

गौरव वल्लभ ने अपने पत्र में कांग्रेस के आर्थिक मुद्दे पर स्टैंड को लेकर भी नाराजगी जताई. उन्होंने लिखा- आर्थिक मामलों पर वर्तमान समय में कांग्रेस का स्टैंड हमेशा देश के वेल्थ क्रिएटर्स को नीचा दिखाने का, उन्हें गाली देने का रहा है. आज हम उन आर्थिक उदारीकरण, निजीकरण व वैश्वीकरण (एलपीजी) नीतियों के खिलाफ हो गए हैं, जिसको देश में लागू कराने का पूरा श्रेय दुनिया ने हमें दिया है. देश में होने वाले हर विनिवेश पर पार्टी का नजरिया हमेशा नकारात्मक रहा. क्या हमारे देश में बिजनेस करके पैसा कमाना गलत है ?"

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उन्होंने आगे कहा "मैंने पार्टी की सदस्यता ग्रहण की थी, उस वक्त मेरा मकसद सिर्फ यही था कि आर्थिक मामलों में अपनी योग्यता और क्षमता का देशहित में इस्तेमाल करूंगा. हम सत्ता में भले नहीं हैं, लेकिन अपने मेनीफेस्टो से लेकर अन्य जगहों पर देशहित में पार्टी की आर्थिक नीति-निर्धारण को बेहतर तरीके से प्रस्तुत कर सकते थे. लेकिन, पार्टी स्तर पर यह प्रयास नहीं किया गया, जो मेरे जैसे आर्थिक मामलों के जानकार व्यक्ति के लिए किसी घुटन से कम नहीं है."

कांग्रेस की खामियां गिनवाते हुए क्या कहा?

उन्होंने पार्टी की कमजोरियां गिनवाते हुए कहा "जब मैंने कांग्रेस पार्टी ज्वाइन किया, तब मेरा मानना था कि कांग्रेस देश की सबसे पुरानी पार्टी है. जहां पर युवा, बौद्धिक लोगों की, उनके आइडिया की कद्र होती है. लेकिन पिछले कुछ वर्षों में मुझे यह महसूस हुआ कि पार्टी का मौजूदा स्वरूप नये आइडिया वाले युवाओं के साथ खुद को एडजस्ट नहीं कर पाती. पार्टी का ग्राउंड लेवल कनेक्ट पूरी तरह से टूट चुका है, जो नये भारत की आकांक्षा को बिल्कुल भी नहीं समझ पा रही है. जिसके कारण न तो पार्टी सत्ता में आ पा रही और ना ही मजबूत विपक्ष की भूमिका ही निभा पा रही हैं. इससे मेरे जैसा कार्यकर्ता हतोत्साहित होता है. बड़े नेताओं और जमीनी कार्यकर्ताओं के बीच की दूरी पाटना बेहद कठिन है जो कि राजनैतिक रूप से जरूरी है. "

उन्होंने अंत में कहा "अयोध्या में प्रभु श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा में कांग्रेस पार्टी के स्टैंड से मैं क्षुब्ध हूं. मैं जन्म से हिंदू और कर्म से शिक्षक हूं, पार्टी के इस स्टैंड ने मुझे हमेशा असहज किया, परेशान किया. पार्टी व गठबंधन से जुड़े कई लोग सनातन के विरोध में बोलते हैं, और पार्टी का उसपर चुप रहना, उसे मौन स्वीकृति देने जैसा है."

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