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उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव में अकेले लड़ने की घोषणा करने वाली कांग्रेस पश्चिम बंगाल में भी ऐसा कर सकती है. द इकनॉमिक टाइम्स के मुताबिक, पश्चिम बंगाल में कांग्रेस अकेले लड़ने के विकल्प पर विचार कर रही है. बताया जा रहा है कि पश्चिम बंगाल में कांग्रेस के स्थानीय नेता तृणमूल कांग्रेस या सीपीएम, दोनों में से किसी के भी के साथ जाने के पक्ष में नहीं हैं.
इससे पहले दिसंबर, 2018 में खबर आई थी कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने आगामी लोकसभा चुनाव के लिए पार्टी के स्थानीय नेतृत्व को खुद के दम पर लड़ने की तैयारी करने को कहा है. उस दौरान कांग्रेस नेता सोमेन मित्रा ने बताया था, ''हमें राज्य में अपनी पार्टी का संगठन मजबूत करने के साथ-साथ आगामी लोकसभा चुनाव में अपनी ताकत पर लड़ने को कहा गया है.'' पश्चिम बंगाल में लोकसभा की 42 सीटें हैं, जिनमें से 4 कांग्रेस के पास हैं.
कांग्रेस ने रविवार को यूपी (उत्तर प्रदेश) की सभी 80 लोकसभा सीटों पर अपने बलबूते चुनाव लड़ने का ऐलान किया. कांग्रेस के यूपी प्रभारी गुलाम नबी आजाद ने कहा कि उनकी पार्टी यूपी की सभी लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी और बीजेपी को हराएगी. इसके साथ ही उन्होंने उम्मीद जताई कि कांग्रेस साल 2009 के लोकसभा चुनाव में यूपी में मिली सीटों से दोगुनी सीटें जीतेगी.
इससे पहले कयास लगाए जा रहे थे कि यूपी में कांग्रेस, समाजवादी पार्टी (एसपी) और बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) के साथ गठबंधन में शामिल होगी. हालांकि, कांग्रेस को इस गठबंधन में जगह नहीं मिल पाई. बता दें कि यूपी में एसपी-बीएसपी 38-38 लोकसभा सीटों पर लड़ने के लिए तैयार हुए हैं. इस गठबंधन ने अमेठी और रायबरेली की सीटों को खाली छोड़ दिया है, जबकि बाकी 2 सीटों के बारे में अभी कोई घोषणा नहीं की गई है.
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