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कांग्रेस को नया अध्यक्ष मिलने वाला है. आज, 17 अक्टूबर को वोटिंग के जरिए कांग्रस पार्टी अपने नए अध्यक्ष का चुनाव (Congress President Election) करेगी, जिसके नतीजे 19 अक्टूबर को आएंगे. ये बीते 23 सालों में पहला मौका है जब गांधी परिवार के बाहर का कोई सदस्य कांग्रेस अध्यक्ष बनेगा.
इस मुकाबले में एक तरफ शशि थरूर हैं, जो त्रिवेंद्रम से सांसद हैं और दूसरी तरफ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे हैं.
तो एक पार्टी जो बीते 135 साल से हिंदुस्तान की राजनीति में सक्रिय है, उसके अध्यक्ष का चुनाव कैसे होगा? क्या कांग्रेस को चुनाव शुरू होने के पहले भी कोई अध्यक्ष मिल सकता है? इन सारे सवालों के जवाब आपको इस एक्सप्लेनर में मिलेंगे.
कांग्रेस पार्टी का प्रशासन "भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नियम और संविधान" नाम की नियमावली से चलता है. इस नियमावली के अनुच्छेद 18 में अध्यक्ष पद के चुनाव संबंधी बातें का जिक्र किया गया है.
चुनाव के लिए रिटर्निंग ऑफिसर (वह व्यक्ति जो पूरी चुनावी प्रक्रिया की देखरेख करता है), केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण (सीईए) का अध्यक्ष होगा. यहां कांग्रेस सीईए के अध्यक्ष मधुसूदन मिस्त्री हैं. अब इस नियमावली का अनुच्छेद 3 पार्टी को इन उप-समितियों में बांटता है:
अखिल भारतीय कांग्रेस समिति
कार्यकारी समिति
प्रदेश कांग्रेस समिति
जिला कांग्रेस समिति
उप समितियां, जैसे ब्लॉक या विधानसभा कांग्रेस समितियां
अनुच्छेद 18 कहता है कि कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव प्रदेश कांग्रेस समितियों (पीसीसी) के प्रतिनिधियों द्वारा किया जाएगा.
तो प्रदेश कांग्रेस समितियों में जो प्रतिनिधि होते हैं, वह ब्लॉक समितियों के प्रतिनिधि होते हैं. हर ब्लॉक से एक प्रतिनिधि प्रदेश कांग्रेस समिति में प्रतिनिधित्व के लिए चुना जाता है. कुल मिलाकर देखें तो यही ब्लॉक प्रतिनिधि राष्ट्रीय कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव करते हैं.
अगर अध्यक्ष पद के लिए दो लोग खड़े होते हैं, तो इन प्रतिनिधियों को सीक्रेट बैलेट के जरिए एक के पक्ष में मतदान करना होगा.
अगर अध्यक्ष पद के लिए सिर्फ एक ही प्रत्याशी खड़ा होता है, तो वो स्वाभाविक तौर पर अगले सत्र के लिए अध्यक्ष चुन लिया जाता है. यह चीज का जिक्र भी अनुच्छेद 18 में ही है.
अगर 2 से ज्यादा प्रतिनिधि खड़े होते हैं, तब सभी मतदाताओं को अपने मतपत्र में एक और दो नंबर दर्ज कर, दो विकल्प चुनने पड़ते हैं. अगर किसी प्रतिनिधि ने दो विकल्प नहीं चुने तो उसका मतपत्र अवैधानिक माना जाता है.
कोई भी 10 प्रतिनिधि मिलकर अपने बीच के किसी व्यक्ति को अध्यक्ष प्रत्याशी बनाए जाने की घोषणा कर सकते हैं.
तो इन्ही प्रतिनिधियों या डेलिगेट्स के इलेक्टोरल रोल को सार्वजनिक करने की मांग शशि थरूर, कार्ति चिदंबरम, प्रद्युत बोरदोलोई, मनीष तिवारी और अब्दुल खलीक ने सितंबर 2022 में की थी.
सीईए के मुताबिक, अध्यक्ष पद के लिए नामांकन की आखिरी तारीख 24 सितंबर है. इसके बाद रिटर्निंग ऑफिसर मधुसूदन मिस्त्री प्रत्याशियों के नाम की घोषणा करेंगे और उन्हें सात दिन का वक्त देंगे, जिसमें अगर कोई प्रत्याशी चाहे तो अपना दावा वापस उठा सकता है. इसके बाद एक और प्रत्याशियों की अंतिम लिस्ट जारी की जाती है.
फिलहाल कांग्रेस कार्यसमिति ने मतदान की तारीख 17 अक्टूबर तय की है, जिसके नतीजे 19 अक्टूबर को आएंगे.
1885 में स्थापित कांग्रेस ने इन 135 सालों में 97 बार अपने अध्यक्ष का निर्वाचन या नियुक्ति की है. कांग्रेस में हर पांच साल में संगठन चुनाव होने की अनिवार्यता है. पिछली बार यह चुनाव 2017 में हुआ था, तब राहुल गांधी को निर्विरोध कांग्रेस अध्यक्ष नियुक्त किया गया था.
लेकिन 2019 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद राहुल गांधी ने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया और सोनिया गांधी को अंतरिम अध्यक्ष बनाया गया.
सोनिया गांधी के 1998 में हुए चुनाव से पहले, सीताराम केसरी ने 1997 में शरद पवार और राजेश पायलट जैसे दिग्गज नेताओं को अध्यक्ष चुनाव में मात दी थी. उस चुनाव में केसरी ने सबको चौंकाते हुए 6,224 वोट हासिल किए थे, जबकि शरद पवार को 882 और राजेश पायलट को 354 वोट ही मिल पाए थे.
एआईसीसी सूत्रों के मुताबिक पूरे देशभर की प्रदेश कांग्रेस समितियों में मिलाकर कुल 9000 प्रतिनिधि हैं. मौजूदा चुनाव में तीन प्रत्याशी होने की संभावना दिख रही है.
त्रिवेंद्रम से सांसद शशि थरूर, जिन्होंने चुनाव लड़ने के लिए सोनिया गांधी से सहमति ली है.
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत
पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, जिन्होंने वापस चुनाव लड़ने की इच्छा नहीं जताई है, लेकिन उन्हें 11 राज्यों की प्रदेश कांग्रेस समितियों ने प्रस्ताव पास कर अध्यक्ष पद के लिए समर्थन दिया है.
जब अनुमानों की सारी धूल बैठ जाएगी, तब कौन देश की सबसे पुरानी पार्टी का नेतृत्व करेगा? यह तो हमें 19 अक्टूबर को ही पता चलेगा?
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