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अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण अगले साल अप्रैल में 'राम नवमी' से शुरू होने की संभावना है. 2020 में 'राम नवमी' दो अप्रैल को पड़ रही है और यह पर्व भगवान राम के जन्म का उत्सव है. निर्माण से पहले का काम जनवरी में 'मकर संक्रांति' से शुरू होगा. विश्व हिंदू परिषद नहीं चाहती कि मंदिर के लिए एक नया 'शिलान्यास' कार्यक्रम हो, क्योंकि यह पहले ही नवंबर 1989 में हो चुका है.
विश्व हिंदू परिषद के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, "राम जन्मभूमि मंदिर का निर्माण शुरू करने के लिए इससे बेहतर कोई तिथि नहीं हो सकती है. एक ट्रस्ट की स्थापना के लिए तीन महीने की समय सीमा फरवरी में खत्म हो रही है और तब तक सभी तैयारियां पूरी हो जाएंगी. हालांकि, हम तिथि पर प्रतिबद्ध होने से पहले सरकार के साथ चर्चा करेंगे."
सोमपुरा की डिजाइन के आधार पर, अयोध्या में कारसेवकपुरम में मंदिर का एक मॉडल रखा गया है. विहिप के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा, "हम उम्मीद करते हैं कि नए मंदिर का निर्माण उसी के अनुसार होगा." उन्होंने कहा कि मंदिर के लिए पत्थरों को तराशने और स्तंभों के निर्माण पर काम बहुत आगे बढ़ गया है और इनका इस्तेमाल निर्माण में किया जाना चाहिए. विहिप के दावे के मुताबिक, मंदिर के पूर्ण निर्माण के लिए 1.25 लाख घन फुट पत्थर की नक्काशी की गई है और पूरे मंदिर के निर्माण के लिए 1.75 लाख घन फुट पत्थर की जरूरत होगी.
विहिप प्रमुख ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि मोदी सरकार मौजूदा राम जन्मभूमि न्यास और विहिप के प्रस्तावित ट्रस्ट सदस्यों में शामिल होगी, जो अब तक मंदिर निर्माण की तैयारियों की देखरेख कर रहे थे.
विहिप जल्द ही मंदिर निर्माण और फंड जुटाने के तौर-तरीकों पर काम करने के लिए 'मार्गदर्शी मंडल' की बैठक आयोजित करने की योजना बना रही है.
सूत्रों का दावा है कि मंदिर निर्माण में लगभग चार साल लगेंगे, जिसका मतलब है कि यह 2024 के आम चुनाव से पहले तैयार हो जाएगा.
विहिप नेता ने कहा, "केंद्र और उत्तर प्रदेश में सत्ता में बीजेपी के होने के साथ, हमें विश्वास है कि कोई देरी नहीं होगी. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपना पूरा सहयोग दिया है और मंदिर निर्माण के लिए बुनियादी ढांचे के मामले में मदद करेंगे. इसे सुगम बनाने के लिए निर्बाध बिजली की आपूर्ति और सड़कों के चौड़ीकरण की मुख्य रूप से हमें जरूरत है."
(इनपुट: IANS)
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