advertisement
केंद्र सरकार ने भले ही कोरोना लॉकडाउन के तीसरे फेज (4-17 मई) में रेड, ऑरेंज और ग्रीन जोन के आधार पर गतिविधियों में छूट दी हो, मगर कई राज्यों में अभी भी सूरत बदलती नहीं दिख रही. किसी राज्य ने लॉकडाउन को 17 मई से भी आगे बढ़ा दिया है, तो किसी ने केंद्र की तरफ से मिली छूट को लागू नहीं किया है.
ऐसे में सवाल उठता है कि क्या वाकई लॉकडाउन का तीसरा फेज लॉकडाउन से निकलने की दिशा में दूसरा कदम है या फिर असल तस्वीर कुछ और है. इस सवाल के जवाब के लिए लॉकडाउन को लेकर कुछ राज्यों के कदमों और बाकी अहम पहलुओं पर नजर दौड़ाते हैं:
तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने 5 मई को राज्य में 29 मई तक लॉकडाउन बढ़ाने का ऐलान किया. मंत्रिमंडल की बैठक के बाद राव ने कहा कि पूरे राज्य में रात में (शाम 7 बजे से सुबह 7 बजे तक) कर्फ्यू जारी रहेगा. उन्होंने कहा कि तेलंगाना में केंद्र के दिशा निर्देशों का पालन किया जाएगा. हालांकि अभी तेलंगाना ने केंद्र की तरफ से मिली सभी छूट को लागू नहीं किया है.
तेलंगाना में 6 मई तक COVID-19 के कुल 1107 मामले सामने आ चुके हैं. 648 मरीज ठीक/डिस्चार्ज हो चुके हैं, जबकि राज्य में कोरोना वायरस के चलते 29 लोगों की मौत हो चुकी है.
महाराष्ट्र के मुंबई में COVID-19 के तेजी से बढ़ते हुए मामलों को देखते हुए बृह्नमुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) ने लॉकडाउन में दी गई छूट को वापस लेने का फैसला किया है. बीएमसी की तरफ से जारी एक आदेश के मुताबिक, 6 मई से केवल किराने और दवा की दुकानों को खोलने की अनुमति दी जाएगी.
इस बीच, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने 6 मई को कहा, ''महाराष्ट्र की मौजूदा स्थिति निश्चित तौर पर चिंता का विषय है क्योंकि 36 में से 34 जिले COVID-19 प्रभावित हैं. मैं राज्य में वायरस के प्रसार को रोकने के लिए आगे के कदमों पर चर्चा के लिए मुख्यमंत्री से बातचीत करूंगा.''
महाराष्ट्र में 6 मई को COVID-19 के 1233 नए केस सामने आए हैं. इसी के साथ महाराष्ट्र में COVID-19 के कन्फर्म केस 16758 हो गए हैं. राज्य में कोरोना वायरस के चलते 651 लोगों की जान जा चुकी है.
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने 3 मई को कहा कि प्रदेश में पूर्ण लॉकडाउन अगले दो हफ्ते जारी रहेगा. सोरेन ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान केंद्र सरकार ने जो छूट दी है, वो लोगों के स्वास्थ्य की रक्षा के लिए राज्य में लागू नहीं होगी.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, राज्य में COVID-19 के 125 कन्फर्म केस सामने आ चुके हैं, जबकि 33 लोग ठीक/डिस्चार्ज हो चुके हैं. झारखंड में कोरोना वायरस की वजह से 3 लोगों की जान जा चुकी है.
बिहार में कोरोना वायरस संक्रमण के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए राज्य सरकार ने किसी भी जिले को ग्रीन जोन जैसी रियायत नहीं देने का फैसला लिया है.
बता दें कि केंद्र ने राज्य के 5 जिलों को रेड जोन में रखा है. इसमें पटना, मुंगेर, बक्सर, रोहतास और गया शामिल हैं. राज्य सरकार के फैसले के बाद बाकी के 33 जिले ऑरेंज जोन में आ गए हैं.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की वेबसाइट पर दिए डेटा के मुताबिक, बिहार में COVID-19 के 536 कन्फर्म केस सामने आ चुके हैं, जबकि 142 लोग ठीक/डिस्चार्ज हो चुके हैं. राज्य में कोरोना वायरस की वजह से 4 लोगों की मौत हो चुकी है.
गुजरात सरकार ने फैसला किया है कि लॉकडाउन के तीसरे फेज में राज्य के 6 शहरों और इतनी ही नगर पालिकाओं में किसी भी तरह की छूट नहीं दी जाएगी. मुख्यमंत्री के सचिव अश्विनी कुमार ने 3 मई को बताया कि मुख्यमंत्री विजय रूपाणी की अध्यक्षता में 2 मई को हुई उच्च स्तरीय बैठक में यह फैसला किया गया कि रेड जोन में आने वाले अहमदाबाद, सूरत, वडोदरा, गांधीनगर और भावनगर के निगम सीमा क्षेत्रों में अगले दो हफ्ते तक लॉकडाउन के नियमों में किसी भी तरह की छूट नहीं दी जाएगी. इसके अलावा, ऑरेंज जोन में आने वाले राजकोट नगर निगम क्षेत्र में भी कोई राहत नहीं दी जाएगी. उन्होंने बताया कि अगले दो हफ्ते तक इन 6 शहरों के अलावा बोटाद, बोपाल, खंभात, बारेजा, गोधरा और उमरेठ नगर पालिका क्षेत्रों में भी लॉकडाउन के नियमों में कोई छूट नहीं दी जाएगी.
गुजरात में 6 मई की शाम तक COVID-19 के 6625 कन्फर्म केस सामने आ चुके हैं. राज्य में कोरोना वायरस के चलते 396 लोगों की जान जा चुकी है.
न्यूज एजेंसी पीटीआई ने 5 मई की शाम केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के हवाले से बताया कि पिछले 24 घंटों में देश में COVID-19 के 3900 नए मामले सामने आए हैं. देश में यह 24 घंटे की अवधि में अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है.
केंद्र सरकार भले ही डबलिंग रेट, रिकवरी रेट और दूसरे डेटा को सामने रखकर राहत की बात कर रही है, मगर रिकॉर्ड संख्या में नए मामले सामने आना भी खतरे की एक घंटी ही है.
केंद्र की छूट के बाद भी देश के कई हिस्सों में बहुत सी कंपनियों और फैक्ट्रियों को अपना काम फिर से शुरू करने में कई तरह की दिक्कतों और असमंसज की स्थिति का सामना करना पड़ रहा है. इनके लिए कामगारों की कमी, सप्लाई चेन का टूटना, वर्किंग कैपिटल की कमी, चीजें निर्देशों से हिसाब न मिलने की सूरत में इन्स्पेक्शन के दौरान डिस्ट्रिक्ट अथॉरिटीज द्वारा सीलिंग का डर जैसे पहलू बड़ी दिक्कत बन रहे हैं. इस तरह देशभर में फिलहाल आर्थिक गतिविधियां भी पटरी पर लौटती हुई नजर नहीं आ रहीं.
ऐसे में केंद्र की तरफ से लॉकडाउन में राहत का प्लान फिलहाल व्यापक सफलता के साथ जमीन पर उतरता नहीं दिख रहा.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)