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Covaxin को जल्द से जल्द WHO की मंजूरी मिल जाएगी: भारत बायोटेक

भारत में Covaxin को आपातकालीन मंजूरी के तहत इस्तेमाल किया जा रहा है, लेकिन कई देशों में इजाजत नहीं है.

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<div class="paragraphs"><p>भारत बायोटेक की कोवैक्सीन</p></div>
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भारत बायोटेक की कोवैक्सीन

(फोटो: फिट हिंदी)

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कोरोना वैक्सीन कोवैक्सीन को बनाने वाली कंपनी भारत बायोटेक (Bharat Biotech) का कहना है कि उसे जल्द से जल्द इमरजेंसी यूज लिस्टिंग (EUL) में शामिल करने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की मंजूरी मिल जाने की उम्मीद है.

भारत बायोटेक ने एक आधिकारिक बयान में कहा, "समीक्षा प्रक्रिया अब इस उम्मीद के साथ शुरू हो गई है कि हम जल्द से जल्द डब्ल्यूएचओ से ईयूएल हासिल करेंगे."

"कोवैक्सिन के आपातकालीन उपयोग सूची यानी इमरजेंसी यूज लिस्टिंग (ईयूएल) के लिए आवश्यक सभी दस्तावेज 9 जुलाई तक डब्ल्यूएचओ को जमा कर दिए गए हैं."
भारत बायोटेक

बता दें कि भारत बायोटेक ने 3 जुलाई को घोषणा की थी कि Covaxin भारत का पहला पूरी तरह से घरेलू COVID-19 वैक्सीन है, जिसकी कुल प्रभावकारिता 77.8 प्रतिशत है.

कंपनी द्वारा जारी फाइनल फेज (फेज 3) क्लीनिकल ट्रायल के परिणामों ने यह भी संकेत दिया कि वैक्सीन कोरोनवायरस के डेल्टा वैरिएंट के खिलाफ 65.2 प्रतिशत प्रभावी है.

इमरजेंसी यूज लिस्टिंग (EUL) क्या है?

WHO का EUL COVID-19 टीकों की गुणवत्ता, सुरक्षा और प्रभावकारिता के साथ-साथ उनकी जोखिम प्रबंधन योजनाओं (रिस्क मैनेजमेंट प्लान) और प्रोग्राम संबंधी उपयुक्तता, जैसे कोल्ड चेन आवश्यकताओं का आकलन करता है.

WHO की गाइडलाइंस के मुताबिक, EUL वो प्रक्रिया जिसमें किसी पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी के दौरान नए और बिना लाइसेंस वाले प्रोडक्ट को स्ट्रीमलाइन किया जाता है.

दरअसल, भारत में कोरोना वैक्सीन कोवैक्सीन के टीके को आपातकालीन मंजूरी के तहत इस्तेमाल किया जा रहा है, लेकिन दुनिया के दूसरे देशों में इसके इस्तेमाल में रुकावट आ रही है, क्योंकि इसे विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मंजूरी नहीं दी है.

फिलहाल मौजूदा वक्त में WHO ने Pfizer/BioNTech, Astrazeneca-SK Bio/सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया, एस्ट्रजेनेका EU, जेनसेन, मॉडर्ना और सिनोफॉर्म के वैक्सीन को मंजूरी दी है. स्वामीनाथन ने बताया कि फिलहाल 105 कैंडिडेट वैक्सीन क्लिनिकल इवेल्युएशन में हैं, जिनमें से 27 फेज तीन या चार में हैं. 184 ऐसे कैंडिडेट वैक्सीन भी हैं जो प्री-क्लिनिकल इवेल्युएशन में हैं, इनमें से ज्यादातर दो डोज वाले हैं.

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