advertisement
केंद्र सरकार ने राज्यों से कहा है कि कोरोनावायरस की वजह से बंद हुए स्कूलों के बच्चों को गर्म पकाया हुआ मिड डे मील देना शुरू कर दें या फिर फूड सिक्योरिटी अलाउंस दें. एचआरडी मिनस्ट्री ने कहा है अधिकतर राज्यों के स्कूल बंद कर दिए गए हैं. इससे बच्चों को मिड डे मील नहीं मिल पा रहा है. इसलिए राज्यों से गुजारिश है कि इन स्कूलों में क्लास 1 से 8 के बच्चों को मिड डे मील देना शुरू कर दिया जाए.
कोरोनावायरस से बचाव के लिए केंद्र सरकार ने 16 मार्च को देश भर में स्कूल बंद करने के आदेश दिए थे. दिल्ली और केरल सरकार ने काफी पहले ही 31 मार्च तक स्कूल बंद करने के आदेश दिए थे. केंद्र सरकार की ओर से बच्चों को दोबारा मिड डे मील देने का आदेश देने से पहले केरल ने बच्चों को घरों में खाना पहुंचाना शुरू कर दिया था. केरल के बाद पश्चिम बंगाल ने भी बच्चों के घरों में खाना पहुंचाने का ऐलान किया है.
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक संयुक्त सचिव आर सी मीणा ने कहा है कि कोरोनावायरस संक्रमण के इस मुश्किल दौर में राज्य यह सुनिश्चित करें कि बच्चों तक मिड डे मिल या फूड सिक्योरिटी अलाउंस पहुंचे. राज्य अपने हिसाब से तय करें कि उन्हें किस में सुविधा होगा.
मिड डे मील रूल 2015 के मुताबिक अनाज, भोजन पकाने के लिए पैसे न होने या कुक या हेल्पर के न होने से जब बच्चों को मिड डे मील न दिया जा सके तो हर बच्चे को फूड सिक्योरिटी अलाउंस दिया जा सकता है.
मिड डे मील स्कीम के तहत सरकारी, सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों, स्पेशल ट्रेनिंग सेंटरों, सर्वशिक्षा अभियान समर्थित मदरसों, मकतबों में क्लास 1 से 8 तक के बच्चों को दोपहर का भोजन दिया जाता है. इस वक्त इस स्कीम के तहत देश भर के 9.17 करोड़ बच्चों को दोपहर का भोजन दिया जाता है.
देखें वीडियो : कोरोनावायरस: कम टेस्टिंग कर बड़ी गलती कर रहा है भारत
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)