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कोरोनावायरस का प्रकोप हर दिन बढ़ता ही जा रहा है. भारत में कुछ ही हफ्तों में संक्रमण के मामलों में तेजी से इजाफा हुआ है. अब तक देश में कन्फर्म मामलों की संख्या 340 से ऊपर पहुंच चुकी है. पीएम नरेंद्र मोदी ने हाल ही में देश के लोगों से 22 मार्च को सुबह 7 से रात 9 बजे तक 'जनता कर्फ्यू' का पालन करने का आग्रह किया था. 22 मार्च को शाम होते-होते कई राज्यों ने लंबे समय के लिए लॉकडाउन का ऐलान कर दिया. देश के 75 जिलों को भी लॉकडाउन करने की एडवाइजरी जारी हुई है.
लेकिन ये लॉकडाउन होता क्या है और कर्फ्यू से किस तरह अलग है? कई लोग लॉकडाउन और कर्फ्यू को एक-दूसरे की जगह इस्तेमाल कर रहे हैं. लेकिन इन दोनों में कुछ अंतर हैं.
कर्फ्यू का मतलब होता है लोगों को एक विशेष समय सीमा के लिए घर में रहने का आदेश देना. प्रशासन आपातकालीन स्थितियों में कर्फ्यू लगाता है. इसके जरिए लोगों को हिदायत दी जाती है कि वो सड़कों पर न निकलें. ऐसा एक प्रशासनिक आदेश के तहत किया जाता है.
कर्फ्यू के दौरान स्कूल, कॉलेज, बाजार जैसी जगहें बंद रहती हैं. कर्फ्यू का उल्लंघन करने पर जुर्माना या गिरफ्तारी हो सकती है.
लॉकडाउन एक इमरजेंसी प्रोटोकॉल है. मतलब कि अलग-थलग करने के लिए, अथॉरिटी जब लोगों को किसी एक जगह सीमित करना चाहती है, तो उसे लॉकडाउन का नाम दिया जाता है. ऐसे समय में लोगों को किसी इलाके या इमारत में रहने के निर्देश दिए जाते हैं और वहां से न निकलने को कहा जाता है.
कर्फ्यू और लॉकडाउन के बीच प्रशासन की ओर से दी जाने वाली छूट का फर्क होता है. किसी इलाके में अगर दंगे या हिंसा होती है और प्रशासन स्थिति पर काबू पाने के लिए कर्फ्यू लगाता है, तो उतने समय के लिए जरूरी सेवाएं जैसे बाजार और बैंक भी बंद रहते हैं. जब कर्फ्यू में ढील दी जाती है, तभी ये सारी सेवाएं भी लोगों को मुहैया कराई जाती हैं.
लॉकडाउन में जरूरी सेवाएं बंद नहीं की जाती हैं. जैसा कि इस समय देश में कई राज्यों में लॉकडाउन हो रखा है, लेकिन सभी जगह बैंक, डेरी, जरूरी सामान के लिए दुकानें खुली हुई हैं.
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