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देश में करीब 22 प्रतिशत लोग ऐसे हैं, जिन्हें इस बात की आशंका है कि वह या फिर उनके परिजन कोविड-19 संक्रमण की चपेट में आ सकते हैं. आईएएनएस/सी-वोटर के इस बाबत कराए गए दूसरे सर्वे में यह बात सामने आई है. 23 मार्च वीकेंड तक पहले कराए गए सर्वेक्षण की तुलना में 29 मार्च सप्ताहंत तक कराए गए दूसरे सर्वे में यह बात सामने निकलकर आई है कि लोगों में घबराहट बढ़ी है. इसमें 1,187 उत्तरदाताओं का जवाब लिया गया. सर्वे का फील्ड-वर्क 26 से 27 मार्च के बीच किया गया.
भारत में कोविड-19 संक्रमण के चलते 29 मौतों के साथ संक्रमित व्यक्तियों का आंकड़ा एक हजार पार चला गया है. कोविड-19 के चलते वैश्विक तौर पर छह लाख से अधिक लोग संक्रमित हुए हैं, जबकि कुल 33 हजार लोगों ने अभी तक अपनी जान गंवाई है.
यह प्रतिक्रियाएं और रुझान ऐसे समय में आए हैं, जब कोरोनोवायरस के संक्रमण पर अंकुश लगाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 21 दिनों के देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की है. अमेरिका, इटली, स्पेन सहित विश्व के सभी देश इस महामारी के संक्रमण की रोकथाम में लगे हुए हैं.
यह पूछे जाने पर कि क्या डर है कि वे वायरस से ग्रसित हो सकते हैं, 48.3 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने इस पर सहमति व्यक्त की. पिछले सप्ताह की तुलना में इसमें 9.2 प्रतिशत की वृद्धि देखने को मिली है. इससे पहले असहमत होने वाले लोगों की संख्या पिछले सप्ताह 59.5 प्रतिशत थी, जो घटकर 46.5 प्रतिशत हो गई है. इसमें 13 प्रतिशत की गिरावट देखने को मिली है.
अब 22 प्रतिशत लोग ऐसे हैं, जिन्हें लगता है कि वह कोविड-19 संक्रमण से ग्रसित हो सकते हैं.
हालांकि, बढ़ी घबराहट के बाद भी सरकार पर लोगों का विश्वास पूर्ण रूप से बना हुआ है और इसमें बढ़ोत्तरी हुई है. 74.1 प्रतिशत लोगों को लगता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार कोविड-19 संक्रमण के संकट से अच्छी तरह से निपट रही है, जबकि पिछले हफ्ते कुल 70 प्रतिशत लोग इस बात से सहमत थे.
आईएएनएस/सी-वोटर द्वारा कराए गए सर्वेक्षण में उत्तरदाताओं से यह पूछे जाने पर कि आपको क्या लगता है कि अगले महीने में स्थिति कैसी होगी? मार्च के मध्य में 61.2 प्रतिशत ने माना था कि हम सबसे खराब स्थिति में हैं- यहां से स्थिति बेहतर होगी, चीजें सुधरने लगेंगी. वहीं, बीते सप्ताह यह घटकर 57.5 प्रतिशत रह गई.
पिछले एक सप्ताह के दौरान भारतीयों से पूछा गया कि क्या आप स्वच्छता के प्रति अधिक सतर्क हो गए हैं? इसके जवाब में 87.2 प्रतिशत लोगों ने हां में उत्तर दिया. वहीं, 12.8 प्रतिशत ने इससे असहमति व्यक्त की.
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