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एक डेकोरेटेड आर्मी हीरो के मां-बाप उसका अंतिम संस्कार करने के लिए 2000 किलोमीटर की कठिन यात्रा कर रहे हैं. नौकरशाही की तरफ से मिली दिक्कतों की वजह से उन्हें फ्लाइट के लिए मिलिट्री एयरक्राफ्ट नहीं मिल पाया. परिवार इस समय गुरुग्राम से बेंगलुरु के लिए ड्राइव कर रहा है.
शौर्य चक्र विजेता कर्नल नवजोत सिंह बल की 9 अप्रैल को कैंसर से बेंगलुरु में मौत हो गई. नवजोत 2 पैरा रेजिमेंट (स्पेशल फोर्सेज) के कमांडिंग अफसर भी रह चुके हैं.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, परिवार ने जब सरकार से संपर्क किया तो उन्हें बताया गया कि उनकी यात्रा के लिए मिलिट्री एयरक्राफ्ट की व्यवस्था नहीं हुई है. परिवार को बताया गया कि उन्हें ले जाने के लिए वायुसेना को मिलने वाला आदेश जारी नहीं हुआ है.
हालांकि, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने परिवार की यात्रा के लिए उन्हें इजाजत दे दी. इसके बाद परिवार ने ड्राइव करके बेंगलुरु जाने का फैसला किया.
कर्नाटक पुलिस ने भी कोरोना वायरस के चलते हुए लॉकडाउन में परिवार की गाड़ी को पास होने का आदेश जारी किया है.
कर्नल बल 2002 में इंडियन आर्मी में शामिल हुए थे. नवजोत सिंह बल को जम्मू-कश्मीर के लोलब में एक ऑपरेशन के लिए शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया था. शौर्य चक्र शांति के समय का सबसे बड़ा गैलेंट्री अवॉर्ड है.
इसके बावजूद वो कमांड पोजिशन पर रहे और उन्होंने अपने बाएं हाथ से हथियार चलना सीखा था. हालांकि कैंसर के गंभीर स्थिति में पहुंचने के बाद वो कमांड छोड़कर इलाज के लिए बेंगलुरु आ गए थे.
नवजोत के पिता लेफ्टिनेंट कर्नल करनैल सिंह बल गढ़वाल राइफल्स के रिटायर्ड अफसर हैं.
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