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ये वो समय है जब उत्तर भारत हवा की खराब गुणवत्ता से जूझता है. लेकिन इस साल स्थिति और भी पेचीदा है. दुनिया के सभी देशों के साथ-साथ भारत भी इस समय कोरोना वायरस महामारी से लड़ रहा है. ये मुख्य तौर पर सांस संबंधी बीमारी ही है. ऐसे में वायु प्रदूषण का प्रभाव खतरनाक हो सकता है.
महामारी की शुरुआत से ही लोगों ने मास्क पहनने शुरू कर दिए थे. लेकिन क्या आप प्रदूषण और कोरोना वायरस दोनों से बचने के लिए सही मास्क पहन रहे हैं? क्या आपको मास्क पहनना भी चाहिए?
क्या मास्क प्रदूषण के मौसम में मदद करते हैं?
साफ तौर से कहा जाए तो मास्क प्रदूषित हवा को 100 फीसदी फिल्टर करने की गारंटी नहीं हैं. हालांकि, कई स्टडी से पता चला है कि जो लोग मास्क पहनते हैं, उन पर प्रदूषित हवा में सांस लेने का उतना प्रभाव नहीं पड़ता जितना मास्क न पहनने वालों पर पड़ता है.
क्या वायु प्रदूषण से कोरोना वायरस का खतरा बढ़ जाएगा?
दुनिया के कई हिस्सों में हुई स्टडीज में प्रदूषित हवा और कोरोना वायरस गंभीरता में संबंध के संकेत मिले हैं. सबसे महत्वपूर्ण हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की एक इकोलॉजी स्टडी है, जिसमें पाया गया कि PM2.5 के स्तर में छोटी सी बढ़त कोरोना वायरस संबंधित मौतों में 8 फीसदी बढ़ोतरी से संबंधित है.
लेकिन एक्सपर्ट्स का कहना है कि इसमें अभी और रिसर्च की जरूरत है.
COVID की वजह से मैं कपड़े का मास्क पहन रहा हूं. क्या वही पहनता रहूं?
अगर आप N95 या N99 मास्क खरीद सकते हैं, तो कपड़े का मास्क छोड़ दीजिए.
अगर आप दिल्ली-एनसीआर या ऐसी जगह रहते हैं, जहां सर्दी से पहले प्रदूषण बढ़ जाता है तो सिंगल-लेयर का कपड़े वाला मास्क छोड़ देना चाहिए. इसी तरह मुंह ढकने के लिए स्कार्फ का इस्तेमाल भी नहीं करना चाहिए.
लेकिन क्या कपड़े का मास्क कोरोना वायरस के लिए प्रभावी है और प्रदूषण के लिए नहीं?
दिल्ली के यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंसेज के प्रोफेसर डॉ अरुण शर्मा का कहना है कि कोई भी मास्क पहनना कोई मास्क न पहनने से अच्छा है.
डॉ शर्मा ने कहा, "सभी मास्क पार्टिकुलेट मैटर के खिलाफ एक बैरियर की तरह काम करते हैं. लेकिन उनका प्रभाव एक-दूसरे से अलग है. बेसिक मास्क ड्रॉपलेट फिल्टर अच्छे से करते हैं, लेकिन वो N95 की तरह एयरबोर्न पार्टिकल से नहीं बचाते." शर्मा ने कहा कि मास्क की मेंटेनेंस भी उसके प्रदूषित पार्टिकल से बचाने की क्षमता को प्रभावित करती है.
मेरे सामने विकल्प क्या हैं?
दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण स्तर पर काफी रिसर्च कर चुके डॉ शर्मा के मुताबिक:
N95 मास्क सबसे बेसिक और अच्छा ऑप्शन है खुद को प्रदूषण और कोरोना वायरस से बचाने के लिए. 95 कोड बताता है कि ये मास्क PM 2.5 पार्टिकुलेट मैटर को 95 फीसदी तक फिल्टर कर सकते हैं.
आप N99 मास्क भी चुन सकते हैं और ये बेहतर विकल्प हैं. ये PM 2.5 पार्टिकुलेट मैटर को 99 फीसदी तक फिल्टर कर सकते हैं. लेकिन N95 की तरह ये भी ऑयल और ऑयल-आधारित पॉल्यूटेंट के खिलाफ प्रभावी नहीं हैं.
क्या N95 और N99 सिंगल-यूज मास्क हैं?
नहीं, दोनों मास्क डिस्पोजेबल और नॉन-डिस्पोजेबल वैरायटी में मिलते हैं.
अगर आप रोजाना बाहर जाते हैं और नॉन-डिस्पोजेबल मास्क पहनते हैं, तो 2-3 मास्क खरीदने की सलाह दी जाती है और रोजाना बदल-बदल कर पहनें.
क्या वॉल्व वाले मास्क लेने चाहिए?
डॉ राम मनोहर लोहिया अस्पताल में सीनियर चेस्ट फिजिशियन डॉ देशदीपक ने न्यूज एजेंसी ANI से कहा था कि लोगों को बिना वॉल्व वाले मास्क पहनने चाहिए.
"पिछले साल तक हम कह रहे थे कि जिन लोगों को सांस लेने में दिक्कत है वो वॉल्व वाला N95 मास्क पहन सकते हैं. हालांकि, इस साल स्थिति बदल चुकी है क्योंकि प्रदूषण के साथ-साथ कोरोना वायरस भी है और ऐसे में वॉल्व वाला मास्क नहीं पहनना चाहिए."
क्या घर में भी मास्क पहनने चाहिए?
इसे लेकर कोई आधिकारिक गाइडलाइन नहीं है, लेकिन अगर प्रदूषण का स्तर बहुत ही ज्यादा हो जाता है या AQI लाल जोन में चला जाता है तो दिल्ली-एनसीआर के निवासियों को घर में भी मास्क पहनना पड़ सकता है.
डॉ शर्मा ने कहा, "अगर आपके कमरे में बाहर से हवा का अच्छा एक्सचेंज होता है तो अंदर-बाहर के AQI में ज्यादा अंतर नहीं होगा. ऐसे में घर में मौजूद हवा भी उतनी ही प्रदूषित होगी जितनी बाहर की. तो मास्क हमेशा पहनने की सलाह दी जाएगी."
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