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विदेश की यूनिवर्सिटी एडमिशन पर क्या कह रही हैं? अगर यूनिवर्सिटी कहती हैं तो क्या एक्सेप्टेन्स लेटर पाए छात्र ऑनलाइन क्लास लेने का फैसला करें? क्या गैप ईयर लेना ठीक है? इन जैसे सवालों के जवाब जानने के लिए क्विंट ने करियर काउंसलर विरल दोशी से बात की. क्विंट ने दोशी से जाना कि छात्रों को कोरोना वायरस महामारी के दौरान क्या करना चाहिए.
विदेशी यूनिवर्सिटी क्लास कब शुरू कर सकती हैं?
“उम्मीदें कम हैं कि वो सितंबर-अक्टूबर के महीने में भी क्लास शुरू करेंगी, क्योंकि मुझे नहीं लगता कि उनके पास अभी बैंडविड्थ है. उनके ऑफिस में अटेंडेंस एकदम जीरो है और चीजें शुरू नहीं हो पाएंगी. उन्हें समय लगेगा, इसलिए ठीक यही होगा कि जिस भी यूनिवर्सिटी में एडमिशन मिल रहा है वहां ऑनलाइन क्लास लें. और यही चुनौती है क्योंकि विदेशी यूनिवर्सिटी जाने का पूरा अनुभव वो ओरिएंटेशन का पहला हफ्ता होता है. जाहिर तौर पर जब आप वर्चुअल क्लास लेंगे तो ये सब नहीं होगा. इसके बाद जब जनवरी में क्लास शुरू होंगी, तो कॉलेज के अनुकूल बनना ठंड की वजह से मुश्किल होगा. लोग इसके आदी नहीं हैं, भारत से अमेरिका या इंग्लैंड जाने वालों के लिए जनवरी बहुत अलग होती है. सब कुछ अगस्त या सितंबर जैसा ठीक नहीं होता है. मुझे लगता है कि ये बहुत चुनौतीपूर्ण समय है.”
छात्र गैप ईयर में क्या कर सकते हैं?
“मान लीजिए कि साल के अंत तक कोरोना वायरस संक्रमण खत्म नहीं होता है और सभी जगह इसके केस हैं, कोई भी यात्रा नहीं करेगा. कोई भी आसानी से इंटर्नशिप के लिए नहीं जाएगा, यहां तक कि कंपनियां इसके लिए अनुमति नहीं देंगी क्योंकि वो तब भी इस समस्या से उबर रही होंगी. मुझे लगता है कि हमें कुछ इनोवेटिव सोचना पड़ेगा. मुझे यकीन है कि हम ऑनलाइन कुछ मौके ढूंढ लेंगे. जैसा कि आप देख रहे हैं कि लोग ऑनलाइन पढ़ा रहे हैं. वो ऐसे लोगों को पढ़ा रहे हैं जिनके पास इस समय बुक नहीं हैं. लोग म्यूजिकल कॉन्सर्ट करेंगे, योग के सेशन करेंगे, लेकिन कोरोना वायरस के खत्म होने तक कुछ ठोस नहीं होगा.”
क्या छात्र अगले साल अप्लाई कर सकते हैं?
“अमेरिकन कॉलेज ऐसे स्थानीय छात्रों को प्राथमिकता देंगे, जिन पर कोरोना वायरस महामारी का प्रभाव हुआ है. साथ ही कॉलेज इंटरनेशनल छात्रों के बजट में कटौती करेंगे और इन छात्रों का नंबर घटाएंगे. कई छात्रों ने गैप ईयर लिया है, तो अब होगा ये कि वो अगले साल के एक अंतर्राष्ट्रीय जत्थे में शामिल हो जाएंगे. तो 10% इंटरनेशनल छात्रों में से 2% की जगह अमेरिकी छात्रों को मिल जाएगी और 2% जगह गैप ईयर लेने वाले छात्रों के पास जाएगी, इसलिए छात्रों के लिए सिर्फ 6% सीट ही बचेंगी. मैं हर माता-पिता और अप्लाई करने वाले छात्रों से कह रहा हूं कि ये सामान्य समय नहीं है, पूरी दुनिया में एडमिशन बहुत ही मुश्किल होंगे.”
क्या छात्रों को भारतीय यूनिवर्सिटी में अप्लाई करना चाहिए?
“मैंने पिछले एक महीने में देखा है कि अशोका, ओपी जिंदल, सिम्बायोसिस फ्लेम, NMIMS, क्राइस्ट और KREA जैसी भारतीय यूनिवर्सिटी में छात्रों का अप्लाई करना बढ़ गया है. सभी प्राइवेट कॉलेजों की लोगों के बीच डिमांड बढ़ गई है क्योंकि वो इसे बैकअप के तौर पर रख रहे हैं. अगर बैकअप नहीं तो एक साल यहां देखेंगे कि चीजें कैसे बदल रहीं हैं. प्राइवेट कॉलेजों को सीटें बढ़ानी पड़ेंगी क्योंकि डिमांड सप्लाई से ज्यादा है. मुझे लगता है कि ये सही समय है जब प्राइवेट कॉलेज गंभीर रूप से डिस्टेंस लर्निंग कोर्स देने के बारे में सोचें.”
क्या अमेरिका में पढ़ने या काम करने का सपना अब भी बचा है?
“मुझे लगता है कि नौकरी और इंटर्नशिप के मौके अगले चार से पांच सालों में बहुत चुनौतीपूर्ण होने वाले हैं क्योंकि अमेरिका, कनाडा और यूके में कंपनियों को काफी नुकसान हुआ है. और अब वो लोकल लोगों को प्राथमिकता देंगे. इसलिए हमें मानसिक तौर पर रहना चाहिए कि अगर आपका बच्चा बाहर जा रहा है और फिर इंटर्नशिप करेगा, नौकरी मिलेगी, पोस्ट-ग्रेजुएशन करेगा और फिर वहीं रहेगा. ये सब पूरी तरह खत्म हो सकता है. माता-पिता और छात्रों को इस बात के लिए तैयार रहना चाहिए कि उन्हें भारत वापस आना पड़ सकता है. उन्हें भारत में मौके ढूंढने चाहिए क्योंकि भारत भी एक अच्छी जगह है.”
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