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साल खत्म हो रहा है. ये सामान्य बीत जाने वाले सालों सा नहीं रहा, बल्कि एक ऐसा साल रहा जिसमें बड़ी चुनौतियों ने हमारे स्वास्थ्य और धीरज की परीक्षा ली. एक साल बाद भी पूरी दुनिया कोरोना वायरस की चपेट से बाहर नहीं निकल सकी है. मार्च 2020 तक दुनिया का कोई देश इस वायरस से अछूता नहीं रहा. पूरा साल डर और आशंकाओं से भरा रहा. वहीं साल के आखिर में भी ब्रिटेन से चिंता बढ़ाने वाली खबरें आईं. इस वायरस के नए म्यूटेंट स्ट्रेन की पहचान हुई जिसे 70% तक ज्यादा संक्रामक और 'नियंत्रण से बाहर' बताया जा रहा है. इस महामारी से उबरने की हरसंभव कोशिश दुनिया में जारी है.
तमाम खबरों के बीच अभी कीवर्ड है- HOPE- उम्मीद. लोगों को सबसे ज्यादा उम्मीद वैक्सीन की खबर ने दी है, लेकिन हकीकत क्या है? वैक्सीन, नॉर्मल गतिविधियों के लिए नया साल 2021 कैसा रहेगा?
ये कहना है अशोका यूनिवर्सिटी के त्रिवेदी स्कूल ऑफ बायोसाइंसेज के डायरेक्टर और वायरोलॉजिस्ट डॉ. शाहिद जमील का.
दरअसल, कोरोना वायरस को लेकर खबरें इतनी तेजी से आ रही हैं और बदल रही हैं कि समझना मुश्किल है कि अगला साल कैसा दिख सकता है. इसी महीने, नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर एलर्जी एंड इंफेक्शियस डिजीज के डायरेक्टर- एंथनी फाउची ने अमेरिका के संदर्भ में कहा था, “हमें अप्रैल तक हाई रिस्क वाले लोगों को वैक्सीनेट करना चाहिए और अप्रैल या मई तक, अधिकांश सामान्य आबादी के वैक्सीनेशन के लिए पर्याप्त वैक्सीन डोज उपलब्ध होने चाहिए.”
साफ है कि वैक्सीन को लेकर भले ही हमें अच्छी खबरें मिली हैं लकिन दुनियाभर की सरकारें निश्चिंत नहीं हो सकतीं क्योंकि लोगों तक वैक्सीन पहुंचाना एक बड़ा और चुनौती भरा काम है.
मेदांता लीवर इंस्टिट्यूट के चेयरमैन और चीफ सर्जन डॉक्टर एएस सॉइन कहते हैं-
“अभी भारत सरकार ने ये ऐलान नहीं किया है कि लोगों को कौन सी वैक्सीन मिलेगी. ब्रिटेन में फाइजर वैक्सीन को मंजूरी मिली है लेकिन भारत ने उसके ऑर्डर प्लेस नहीं किए हैं. बाकी वैक्सीन के ट्रायल चल रहे हैं. भारत में एस्ट्राजेनेका-ऑक्सफोर्ड और भारत बायोटेक की स्वदेशी वैक्सीन फ्रंटरनर हैं. लेकिन इनके भी ट्रायल चल रहे हैं और सेफ्टी नंबर्स DCGI तक नहीं पहुंचे हैं.”
अब वैक्सीन से इतर बात करें तो 2020 में कोरोना वायरस संकट का दौर हमें अपनी उम्मीदों को नीचे लाने, जागरूकता बढ़ाने और अपने व्यवहार में बदलाव लाने के हिसाब से बहुत अहम साबित हुआ. सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क का इस्तेमाल और हैंड हाइजीन का पालन नियम बन गया. तो क्या साल 2021 में हमें इनसे छुटकारा मिल जाएगा?
मेडिकल एक्सपर्ट्स की मानें तो- नहीं.
तो क्या इन पाबंदियों का मतलब है कि हम परिवार, नजदीकी लोगों के साथ समय नहीं बिता सकते?
डॉ शाहिद जमील कहते हैं कि क्लोज फैमिली एक बबल की तरह है. इसमें हर कोई कहां जा रहा है, किससे मिल रहा है- इस बारे में एक-दूसरे को जानकारी रहती है. ये एक कंट्रोल्ड एन्वायरमेंट होता है, ऐसे में ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं है. लेकिन अगर आप हमेशा ऐसे लोगों से मिलते हैं जिनके बारे में ये तमाम जानकारी न हो, ऐसे में बेहतर है कि मास्क पहनें.
विदेश यात्राएं कर सकते हैं?
ये पर्सनल चॉइस है लेकिन जब तक बेहद जरूरी न हो, यात्राएं न करें.
डॉ जमील समझाते हैं- वायरस का म्यूटेशन नई चीज नहीं है. कोरोना वायरस भी म्यूटेट कर रहा है. यूके में जो हुआ उसकी पहले भी आशंका थी. ट्रांसमिशन जितना कम होगा वायरस को खुद को बदलने का मौका कम मिलेगा. म्यूटेशन पर हमारा कंट्रोल नहीं हो सकता, ये प्राकृतिक घटना(Natural phenomena) है.
एएस सॉइन कहते हैं - वैक्सीनेशन ड्राइव को जल्दी अंजाम देना होगा ताकि ये स्ट्रेन या कोरोना वायरस का कोई भी पुराना स्ट्रेन हावी न हो, क्योंकि जबतक 60-70% लोगों को वैक्सीन नहीं मिलती, हर्ड इम्यूनिटी नहीं होता तब तक आउटब्रेक देखने को मिल सकते हैं.
बाइ सेपियन्स- ए ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ हम्यूमनकाइंड के लेखक इतिहासकार युवाल नोआह हरारी ने अप्रैल में BBC के एक प्रोग्राम में कहा था, "महामारी को रोकने और हराने के लिए मानवता के पास वो सब कुछ है जिसकी जरूरत है."
डॉ जमील भी कहते हैं कि उम्मीद नहीं छोड़नी चाहिए. हम इस उम्मीद के साथ आगे बढ़ें कि 2020 की जुलाई में जो हाल था हम आज उससे बेहतर हालात में हैं. जो वैक्सीन 5 से 10 साल में बनती थी वो साइंस और टेक्नॉलजी ने 1 साल में बनाकर दिखा दी है. साइंस पर भरोसा बढ़ा है और इसे बनाए रखने की जरूरत है.
डॉ सॉइन का भी मानना है कि 2021 की सबसे सकारात्मक बात ये होगी कि अब हम जानते हैं कि कोरोना वायरस इंसान को कैसे संक्रमित करता है, कैसे फैलता है. हम इसके इलाज के बारे में जानते हैं. अब वैक्सीन आ गई है. जबकि 2020 के करीब 8 महीनों तक हमें इस बारे में सटीक जानकारियां नहीं थीं. लेकिन अब हम सरकार के स्तर पर और पब्लिक के स्तर पर सुरक्षात्मक कदम उठा सकते हैं.
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