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कोरोनावायरस को लेकर देशभर में कई तरह की खबरों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद सामने आए और कई बातें साफ कीं. पीएम ने सतर्कता बरतने और संयम रखने की अपील की. इसके साथ ही पीएम मोदी ने रविवार 22 मार्च को जनता कर्फ्यू का ऐलान किया. उन्होंने कहा कि रविवार सुबह 7 बजे से रात 9 बजे तक सभी देशवासियों को जनता कर्फ्यू का पालन करना है. लेकिन आखिर ये जनता कर्फ्यू होता क्या है? कर्फ्यू और जनता कर्फ्यू में क्या अंतर होता है? इसमें लोगों को क्या-क्या करना है और क्या नहीं करना है? इन सभी सवालों के जवाब हम आपको दे रहे हैं.
अभी तक देशभर के लोगों ने कर्फ्यू शब्द कई बार सुना होगा. क्योंकि देश के कई राज्यों में कभी न कभी इसे लगाया जाता है. जम्मू-कश्मीर में कर्फ्यू लगना आम बात है. लेकिन पीएम मोदी ने पहली बार जनता कर्फ्यू शब्द का इस्तेमाल किया. अब ये जानना जरूरी है कि जनता कर्फ्यू आखिर होता क्या है?
जनता कर्फ्यू के दौरान वैसे तो काफी जरूरी काम पड़ने पर कोई भी बाहर निकल सकता है, लेकिन इस दौरान कुछ लोगों को खुद पीएम मोदी ने अपनी सेवाओं में बने रहने की अपील की है. पीएम मोदी ने खासतौर पर डॉक्टरों, सफाईकर्मियों और मीडियाकर्मियों का जिक्र किया. मतलब जनता कर्फ्यू के दौरान ऐसी सेवाएं देने वाले लोगों को घर से निकलना होगा.
अब आपको समझाते हैं कि असली कर्फ्यू और जनता कर्फ्यू में क्या अंतर होता है? कर्फ्यू में किसी भी व्यक्ति को बाहर निकलने की इजाजत नहीं होती है. इस दौरान पहले धारा 144 लगाई जाती है और बाद में इसे कर्फ्यू में तब्दील कर दिया जाता है. कर्फ्यू वाले हालात तब बनते हैं जब कानून व्यवस्था पर गंभीर संकट हो. ऐसे हालात दंगों के वक्त, शहर या कस्बे के हालात काफी ज्यादा बिगड़ जाने पर या फिर इमरजेंसी के वक्त होते हैं. इस दौरान किसी भी पब्लिक ट्रांसपोर्ट पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया जाता है. इसके आदेश मिजिस्ट्रेट की तरफ से जारी किए जाते हैं. हालांकि कर्फ्यू जैसे हालात में भी छात्रों की परीक्षा, शवयात्रा, शादी जैसी जरूरी चीजों पर ढील दी जाती है.
लेकिन जनता कर्फ्यू में ऐसी कोई भी पाबंदी नहीं होती है. इसमें सिर्फ जनता की ये जिम्मेदारी है कि वो खुद को और अपने पूरे परिवार को घर से बाहर जाने से रोकें. इसीलिए इसका पालन करना काफी आसान है और कोरोनावायरस जैसी गंभीर बीमारी से बचने के लिए सरकार की तरफ से उठाया गया एक कदम है.
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