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उत्तर भारत की मंडियों में कपास (नरमा) की आवक लगातार बढ़ती जा रही है, लेकिन सरकारी खरीद एजेंसी अब तक मंडी नहीं पहुंची है, जिससे किसान इसे न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से 1000 रुपये प्रति क्विंटल कम भाव पर बेचने को मजबूर हैं. हरियाणा के मंडी डबवाली के किसान जसबीर सिंह भट्टी ने बताया कि भारतीय कपास निगम (सीसीआई) की खरीद शुरू होने की उम्मीद में भाव में तेजी आई थी, लेकिन खरीद शुरू नहीं होने से फिर नरमी आ गई है.
भट्टी ने किसानों को मजबूरी में एमएसपी से 1000 रुपये प्रति क्विंटल कम भाव कपास बेचना पड़ रहा है, क्योंकि उन्हें मजदूरों की मजदूरी से लेकर बैंकों का कर्ज चुकाना है और अगली फसल की बुवाई के लिए भी पैसों की जरूरत है.
हरियाणा में भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष गुरनाम सिंह ने कहा कि कपास ही नहीं, मक्का और धान भी मंडियों में एमएसपी से नीचे के भाव बिक रहा है. हालांकि पंजाब और हरियाणा में एमएसपी पर धान की खरीद 26 सितंबर को ही शुरू हो चुकी है और सरकार की ओर से रोज इसके आंकड़े जारी किए जा रहे हैं.
हालांकि सूत्र बताते हैं कि कपास की जो अभी फसल मंडियों में आ रही है, उसमें नमी ज्यादा है जबकि सीसीआई आठ से 12 फीसदी तक ही नमी वाले कपास की खरीद करता है.
बाजार सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, उत्तर भारत की मंडियों में बीते हफ्ते कपास का भाव 4,900-5,150 रुपये प्रतिक्विंटल तक चला गया था. सूत्र बताते हैं कि पंजाब में सीसीआई कपास की खरीद सोमवार से शुरू कर सकती है.
कॉटन बाजार के जानकार गिरीश काबरा ने बताया कि भारतीय कॉटन यानी रुई की इस समय वैश्विक बाजार में जबरदस्त मांग है और चालू सीजन में निर्यात मांग तेज रहने की उम्मीद है, जिससे कॉटन की कीमतों में मजबूती रहेगी. उन्होंने कहा कि कॉटन के दाम में मजबूती रहने से किसानों को आने वाले दिनों में उनकी फसल का अच्छा भाव मिल सकता है.
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