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मथुरा के एक कोर्ट ने केरल के पत्रकार सिद्दीकी कप्पन और 3 अन्य लोगों को शांति भंग के आरोपों से मुक्त कर दिया है. पुलिस 6 महीने की निर्धारित अवधि के अंदर उनके खिलाफ जांच पूरी करने में विफल रही, जिसके बाद कोर्ट ने कार्यवाही रद्द कर दी.
कार्यवाही रद्द करते हुए कोर्ट ने कहा कि इस धारा के तहत, जांच तारीख से छह महीने की अवधि के भीतर पूरी की जाएगी, और अगर जांच पूरी नहीं हुई है, तो अवधि के खत्म होने पर कार्यवाही रद्द हो जाएगी.
ट्विटर पर कई हस्तियों ने इस पूरे मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए यूपी पुलिस की आलोचना की. सुप्रीम कोर्ट के वकील प्रशांत भूषण ने पूछा, “क्या अब पुलिस को सजा दी जाएगी?”
जर्नलिस्ट रोहिणी सिंह ने भी यूपी पुलिस की आलोचना करते हुए लिखा, “सिद्दीकी कप्पन के साथ जो हो रहा है वो निंदनीय है. सत्ता के इस पूर्ण दुरूपयोग के लिए पुलिस अधिकारी और लखनऊ में बैठे नौकरशाह जिम्मेदार हैं, जिन्होंने ऐसा किया है, उन्हें इसके लिए सजा दी जानी चाहिए.”
जर्नलिस्ट सिद्दीकी कप्पन को 5 अक्टूबर, 2020 को तीन अन्य लोगों मसूद अहमद, अतिकुर रहमान और मोहम्मद आलम के साथ गिरफ्तार किया गया था, जब वो एक दलित लड़की के परिवार से मिलने के लिए हाथरस जा रहे थे, जिसके साथ कथित रूप से गैंगरेप किया गया था और उसकी हत्या कर दी गई थी.
उन्हें शांति भंग करने की साजिश के संदेह पर गिरफ्तार किया गया था. बाद में, पुलिस ने उन पर अनलॉफुल एक्टिविटीज (प्रीवेंशन) एक्ट (UAPA) के तहत मामला दर्ज किया था. कप्पन पर चरमपंथी इस्लामी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के साथ संबंध होने के भी आरोप लगाए गए थे.
उत्तर प्रदेश पुलिस के स्पेशल टास्क फोर्स ने 4 अप्रैल को पत्रकार सिद्दीकी कप्पन समेत पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया और उसकी स्टूडेंट विंग से कथित तौर पर जुड़े 8 लोगों के खिलाफ मथुरा की एक अदालत में करीब 5000 पेज की चार्जशीट दाखिल की है. इस चार्जशीट में राजद्रोह, आपराधिक साजिश, आतंकवादी गतिविधियों के लिए धन मुहैया कराने जैसे आरोप हैं.
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