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कोविड वेरिएंट डेल्टा+ को सरकार ने माना चिंता का विषय,कितना खतरनाक?

महाराष्ट्र में डेल्टा प्लस वैरिएंट के 21 मामले सामने आए हैं और केरल में भी तीन मरीज़ पाए गए है.

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COVID-19| क्या नया वैरिएंट ज्यादा तेजी से फैल रहा है?
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COVID-19| क्या नया वैरिएंट ज्यादा तेजी से फैल रहा है?
(प्रतीकात्मक फोटो: iStock) 

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भारत में कोरोना वायरस (COVID-19) की दूसरी लहर थमती नजर आ रही है, लेकिन इसी बीच तीसरी लहर की आहट को लेकर भी तमाम तरह की चेतावनियां दी जा रही हैं. भारत में डेल्टा प्लस वेरिएंट के मामले लगातार पाए जा रहे हैं, जो तीसरी लहर का कारण बन सकता है. जानकारों का कहना है कि इससे निपटने के लिए तेजी से वैक्सीनेशन करना होगा. वैक्सीन से ही म्यूटेशन पर काबू पाया जा सकता है.

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने पिछले हफ्ते कहा था कि डेल्टा प्लस अभी “चिंता का विषय” नहीं है, लेकिन अब इसे अब चिंता का कारण यानी वेरिएंट ऑफ कंसर्न घोषित कर दिया गया है. वहीं स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि आने वाले महीनों में ये तीसरी लहर ला सकता है.

महाराष्ट्र में डेल्टा प्लस वेरिएंट के 21 मामले सामने आए हैं और केरल में भी तीन मरीज पाए गए हैं, इसी के साथ मध्य प्रदेश में भी डेल्टा प्लस व्रिएंट के मरीज मिले हैं.  

वायरस का डेल्टा वेरिएंट (B.1.617.2) जो भारत में दूसरी लहर का एक बड़ा कारण माना गया, वो अब म्यूटेट हो गया है और इसने रूप बदल लिया है, इसे डेल्टा प्लस (AY.01) कहा जा रहा है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि डेल्टा प्लस वेरिएंट वैक्सीन और कोरोना इन्फेक्शन के बाद बनी एंटीबॉडीज दोनों का असर कम कर सकता है.

भारत के टॉप वायरोलॉजिस्ट्स में से एक और INSACOG के पूर्व सदस्य, प्रोफेसर शाहिद जमील को डर है कि डेल्टा प्लस वेरिएंट कोविड के टीकाकरण के साथ-साथ पहले के संक्रमित लोगों में बनी इम्यूनिटी को तोड़ने में सक्षम हो सकता है. प्रोफेसर जमील ने समझाया कि ऐसा इसलिए है क्योंकि डेल्टा प्लस में न केवल मूल डेल्टा वेरिएंट बल्कि एक और म्यूटेशन (K417N) की भी विशेषताए हैं. K417N दक्षिण अफ्रीका में बीटा वैरिएंट में पाया गया था.

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प्रोफेसर जमील ने बताया कि, “अल्फा और डेल्टा वेरिएंट से ज्यादा बीटा वेरिएंट पर वैक्सीन कारगर नहीं है.

दक्षिण अफ्रीकी सरकार ने एस्ट्राजेनेका टीकों की एक खेप लौटा दी थी, यह दावा करते हुए कि यह वहां के वेरिएंट के खिलाफ प्रभावी नहीं था.

भारत में डेल्टा+ पर और सबूतों की जरूरत

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक प्रोफेसर जमील ने कहा कि, इस बात का कोई सबूत नहीं है कि डेल्टा प्लस वेरिएंट अधिक संक्रामक है. प्रोफेसर जमील ने बताया, "भारत में 25,000 सीक्वेंस में से 20 केस कुछ भी नहीं हैं. यह निर्धारित करने के लिए कि डेल्टा प्लस चिंता का विषय है की नहीं अभी हमे अधिक सीक्वेंसिंग करने की जरूरत है."

इस वेरिएंट को लेकर एम्स के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ सुभद्रदीप कर्मकार ने भी चिंता जताई और बताया कि कैसे ये लोगों में एक अलग तरह का असर डाल सकता है. उन्होंने कहा,

“हर वेरिएंट एक अलग तरह की क्लिनिकल प्रतिक्रिया के साथ आता है. पिछले वेरिएंट में, ऑक्सीजन का स्तर गिर रहा था लेकिन हमें नहीं पता कि डेल्टा प्लस वेरिएंट किस तरह के परिणाम लाएगा.”
डॉ सुभद्रदीप कर्मकार, एसोसिएट प्रोफेसर, AIIMS

डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ एस्ट्राजेनेका प्रभावी?

स्वास्थ्य विशेषज्ञ और अमेरिकी वैज्ञानिक, एरिक फीगल-डिंग ने ट्वीट कर लिखा कि एस्ट्राजेनेका वैक्सीन SARS-CoV-2 डेल्टा वैरिएंट के खिलाफ केवल 60% प्रभावी साबित हो सकती है.

हालांकि डेल्टा प्लस वेरिएंट को लेकर अब तक पूरी स्थिति साफ नहीं हुई है, क्योंकि फिलहाल इसके काफी कम मामले सामने आए हैं और स्टडी भी नहीं हुई हैं. अगले कुछ दिनों में ये साफ हो सकता है कि कोरोना के ये वेरिएंट कितना खतरनाक हो सकता है.

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Published: 22 Jun 2021,10:28 PM IST

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