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जापान समेत कई देश चीन से बना रहे हैं दूरी, भारत के पास अच्छा मौका

जापान ने कुछ दिनों पहले चीन से अपनी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट बंद करने का फैसला लिया है.

रौनक कुकड़े
भारत
Updated:
जापान के पीएम शिंजो आबे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
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जापान के पीएम शिंजो आबे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
(फाइल फोटो: रॉयटर्स)

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कोरोना वायरस की वजह से देश संकट की स्थिति से गुजर रहा है. कोरोना वायरस के खिलाफ जंग जीतने के लिए सरकार लॉकडाउन को बढ़ाने से लेकर कई बेहतर उपाय कर रही है, ये इससे पता चलता है कि दूसरे देशों के मुकाबले भारत की स्थिति काबू में हैं. हालांकि, सरकार कोरोना संकट से भले ही निपट ले. लेकिन देश पर आर्थिक संकट का भी खतरा मंडरा रहा है. अब केंद्र सरकार ने इससे निपटने की तैयारी शुरू कर दी है.

आर्थिक संकट से निपटने के संकेत केंद्र सरकार में ट्रांसपोर्ट और एमएसएमई मंत्री नितिन गडकरी ने उद्योग जगत के अलग-अलग प्रतिनिधियों से मीटिंग के जरीए दी है. केंद्रीय मंत्री ने कहा, लॉकडाउन के बाद के समय को एक सुनहरे मौके के तौर पर लें न कि निराशा के तौर पर. उन्होंने वेब मीटिंग में कहा कि, जापान जैसे देश चीन से अपना निवेश हटाने का फैसला कर रहे हैं. साथ ही कई देश चीन से अपनी निर्भरता कम करने की तैयारी करते दिख रहे हैं.

चीन से व्यापार हटाने के लिए जापान दे रहा पैकेज

बताया जा रहा है कि जापान ने कुछ दिनों पहले चीन से अपनी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट बंद करने का फैसला लिया है. जापान सरकार का सोचना है कि चीन से बाहर निकलकर उनके लोग व्यापार करें, इसके लिए जापान के पीएम ने 2.2 अरब डॉलर का आर्थिक पैकेज देने का फैसला किया. मतलब ये कि अगर जापान की कोई कंपनी चीन से अपना व्यापार बंद कर दूसरे देश में कारोबार शुरू करती है तो जापान सरकार उन्हें आर्थिक मदद देगी.

जापान की 37 फीसदी कंपनियों ने अपना चीन में इन्वेस्ट किया था लेकिन अब ये कंपनियां अपना हाथ खीचनें लगी है. इस वजह से पिछले कुछ महीनों में चीन का एक्सपोर्ट 50 फीसदी तक गिरा है.

जापान से दोस्ती का भारत को मिलेगा फायदा

जापान के पीएम और भारत के पीएम मोदी की व्यक्तिगत दोस्ती से सभी लोग परिचित हैं. जानकारी के मुताबिक दुनिया भर में जो गतिविधियां चल रही है उससे देखते हुए भारत ने भी अपनी रणनीति में बदलाव करने का मन बनाया है. बताया जा रहा है कि भारत ने बैक डोर से जापान के साथ बातचीत शुरू कर दी है.

USISPF (यूएस इंडिया स्ट्रैजिक एंड पार्टनरशिप फोरम) के मुताबिक अमेरिका-चीन के बीच ट्रेड वॉर चरम पर है. चीन में उत्पादन करने वाली कई कंपनिया पहले भारत आना चाहती थी अब कोरोना वायसर की उपज के लिए जिम्मेदार चीन से ये कंपनिया बाहर निकलना चाहती है.

केंद्र और राज्य सरकार को साथ मिलकर करना होगा काम

AIPMA के डायरेक्टर जेनरल दीपक बलानी ने क्विंट से कहा कि, लॉकडाउन के बाद का वक्त निश्चित तौर पर भारत के लिए एक बड़ा मौका है. भारत में जापान और अमेरिका जैसे देश के निवेशकों को आकर्षित करने का प्लान बनाना चाहिए. लेकिन ये काम केवल केंद्र सरकार के अकेले के करने से सफल नहीं हो पाएगा. राज्य सरकारों को भी इसमें अहम भूमिका निभानी होगी. यानी कंपनियों को आकर्षित करने के लिए जमीन, हाईवे के पास जमीन जैसे विकल्पों को तैयारी करनी होगी.

बलानी ने कहा, उससे पहले MSME जो एक बड़ा सेक्टर है उसे फोकस करने की ज़रूरत है. चीन से दूसरे देशों में जो माल सप्लाई होता था उसकी डिमांड घटी है. इसलिए भारत में यूरोप और अमेरिका जैसे देशों से डिमांड 40 प्रतिशत तक बढ़ी है. माल एक्सपोर्ट करने के लिए सरकार को MSME को बढ़ावा देने की जरूरत है.

दीपक बलानी का कहना है कि चीन फिलहाल एक्सपोर्ट इनिशिएटिव 9 से 13 प्रतिशत दे रहा है. लेकिन भारत में केवल 2 प्रतिशत के करीब मिलता है. इसे करीबन 9 प्रतिशत बढ़ाने की जरूरत है. अगर सरकार प्रोत्साहन देगी तो इंडस्ट्री इस मौके का फायदा उठा सकती है. हालांकि उन्होंने कहा कि बिजनेस की संभावनाओं के लिए भारत तीसरे नंबर पर आता है. इससे पहले वियतनाम और मैक्सिको का नंबर आता है. ऐसे में भारत को मौकों का फायदा उठाने के लिए जल्द फैसला लेने की जरूरत है.

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Published: 16 Apr 2020,09:47 PM IST

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