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लॉकडाउन की वजह से झारखंड में सरायकेला जिले के 236 परिवार भुखमरी के शिकार हो रहे हैं. 236 कर्मचारी जब टायो कंपनी में कार्यरत थे तो खुशहाल थे. कंपनी बंद होने के बाद दैनिक मजदूरी करते थे लेकिन अब लॉकडाउन में रोटी को तरस रहे हैं. इन मजदूरों ने प्रशासन से मदद मांगी लेकिन उन्हें मदद नहीं, दुत्कार मिली.
25 मार्च को टायो के पूर्व कर्मचारी जिला प्रशासन के पास अपना दर्द बताने पहुंचे, लेकिन वहां मायूसी ही हाथ लगी. क्विंट से बातचीत में पूर्व टायोकर्मी अजय शर्मा ने अपना दर्द बयां करते हुए कहा- "हम लोग जिला प्रशासन के पास बड़ी उम्मीद लेकर गए थे. हमने उन्हें बताया कि हम सभी टायोकर्मी हैं, हम लोगों को 45 महीने से वेतन नहीं मिला है. इस बीच हम अपना पेट चलाने के लिए दिहाड़ी मजदूरी करने लगे. अब देशभर में 21 दिन चलने वाले लॉकडाउन की वजह से हम भूखे मर रहे हैं."
जब डिस्ट्रिक्ट कमिश्नर से क्विंट ने बात की, तो DC अंजनेयुलु डोडे ने कहा, "हम क्या मदद कर पाएंगे." इस पर हमने कहा, सर जब कल टायोकर्मी आपके पास आए थे तब आपने मदद नहीं की? इसपर उन्होंने कहा, 'उनकी क्या मदद करें, आप बताइए?' हमने कहा- आप DC हैं आप बताइए, हम तो यह जानना चाहते हैं कि उनको आप क्या मदद कर रहे हैं? इस बात पर उन्होंने कहा, 'हम चावल दे पाएंगे.' हमने पूछा- 'कब?' तो कहने लगे उनको खबर कर दीजिए आकर ले जाएं.
झारखंड के सरायकेला जिले में रहने वाले 236 कर्मचारी टायो कंपनी में काम करते थे. लेकिन साल 2016 में ये कंपनी अचानक बंद हो गई. सभी कर्मचारी बेरोजगार हो गए. इसके बाद पेट की खातिर इन लोगों ने दिहाड़ी मजदूरी करनी शुरू कर दी. जिससे किसी तरह दो टाइम की रोटी नसीब होने लगी. इन लोगों ने इससे पहली की झारखंड सरकार के मुख्यमंत्री रघुवर दास के पास 15 बार मदद की गुहार लगाई लेकिन कोई मदद नहीं मिली.
अब कोरोनावायरस को लेकर चल रहे लॉकडाउन की वजह से इनके घरों में भुखमरी का आलम था. लॉकडाउन के बाद इन्होंने मौजूदा सीएम हेमंत सोरेन से भी मदद मांगी लेकिन फिलहाल तो वहां से भी निराशा ही हाथ लगी
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