Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019India Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019लहसुन के दाम 1 रुपए किलो, किसानों ने सड़कों पर फैलाया

लहसुन के दाम 1 रुपए किलो, किसानों ने सड़कों पर फैलाया

देश में सबसे ज्यादा लहसुल की पैदावार वाले मालवा इलाकों में किसान गुस्से में हैं

क्विंट हिंदी
भारत
Updated:
गुस्से में किसान मंडियों और सड़कों में लहसुन फेंक फेंककर जा रहे हैं
i
गुस्से में किसान मंडियों और सड़कों में लहसुन फेंक फेंककर जा रहे हैं
(फोटो: pixabay)

advertisement

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के वादे के बावजूद मध्य प्रदेश में लहसुन के दाम एक रुपए किलो तक गिर गए हैं. लहसुन को भावांतर भुगतान योजना में शामिल किया गया है, लेकिन किसानों के हाथ खाली हैं.

देश में सबसे ज्यादा लहसुन की पैदावार वाले मालवा इलाके में किसान गुस्से में हैं. मंडियों में उनकी फसल एक रुपए किलो के भाव पर बिक रही है. आए दिन इस इलाके की मंडियों में हंगामा हो रहा है. गुस्से में किसान मंडियों और सड़कों पर लहसुन फेंककर जा रहे हैं.

नीमच, मंदसौर, इंदौर, सभी जगह की मंडियों में यही हाल है.

लहसुन की लागत ज्यादा

किसानों के मुताबिक, लहसुन की लागत प्रति किलो 18 रुपए तक आती है. अगर सरकार के भावांतर भुगतान जोड़ ली जाए, तो भी लागत वसूली मुमकिन नहीं है. किसानों के मुताबिक तीन साल पहले लहसुन 150 से 200 रुपए किलो तक बिका है. इस साल जनवरी में भी भाव 50 से 80 रुपए किलो थे, लेकिन तब से दाम लगातार गिर रहे हैं.

कैश क्रॉप बनी नुकसान क्रॉप

लहसुन को नकदी फसल माना जाता है, इसलिए किसानों ने लहसुन की खेती का दायरा बढ़ा दिया है. पर अब यही बात मुसीबत बन गई है. एक हेक्टेयर लहसुन पैदावार में 1 लाख रुपए खर्च आता है. 3 साल में ढाई गुना रकबा बढ़ गया, इसी का नतीजा है कि किसानों को अब लहसुन के दाम नहीं मिल पा रहे हैं.

लहसुन के लिए जिम्मेदार कौन?

किसानों और कारोबारियों की दलील है कि नोटबंदी और जीएसटी की वजह से लहसुन के दाम में जोरदार गिरावट आई है. किसानों ने मांग की है कि सरकार को समर्थन मूल्य पर लहसुन की खरीद करनी चाहिए, वरना किसानों को बहुत नुकसान होगा.

लहसुन के अलावा टमाटर किसान पहले से ही परेशान हैं, क्योंकि एक रुपए में चार किलो टमाटर बिक रहा है और किसान टमाटर भी सड़कों पर फेंक रहे हैं.

ये भी पढ़ें-

किसानों को अब टमाटर ने रुलाया, कोई मुफ्त में लेने को भी तैयार नहीं

45 दिनों से धरने पर बुंदेलखंड के किसान, योगी को खून से लिखा खत

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 07 May 2018,08:55 PM IST

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT