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45 दिनों से धरने पर बुंदेलखंड के किसान, योगी को खून से लिखा खत

धरना दे रहे किसान अब तक आंदोलन की कड़ी में जल सत्याग्रह, पदयात्रा और सिर-मुंडन भी करा चुके हैं

Published
भारत
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उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड के किसान बांदा के जिला मुख्यालय में लघु और सीमांत कृषि भूमि का दायरा बढ़ाने की मांग को लेकर पिछले 45 दिनों से धरना दे रहे हैं, लेकिन केंद्र या राज्य सरकार ने अब तक उनकी सुध नहीं ली है. लिहाजा, किसानों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अपने खून से खत लिखा है.

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पिछले तीन दशकों से प्राकृतिक आपदा और सूखे का दंश झेल रहे किसान 'बुंदेलखंड किसान यूनियन' के बैनर तले डेढ़ महीने से यहां के अशोक लॉट तिराहे पर धरना दे रहे हैं. किसानों के प्रतिनिधि लखनऊ जाकर उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य से भी मिले, फिर भी किसी अधिकारी तक ने इनकी सुध नहीं ली है.

सरकार की अनदेखी

धरना दे रहे किसान अब तक आंदोलन की कड़ी में जल सत्याग्रह, पदयात्रा और सिर-मुंडन भी करा चुके हैं, लेकिन राज्य सरकार की तरफ से उन्हें अभी तक कोई ठोस आश्वासन नहीं मिला है. आंदोलन कर रहे किसान अब 'मरते क्या न करते' की स्थिति से गुजर रहे हैं. लिहाजा बुंदेलखंड किसान यूनियन के अध्यक्ष विमल कुमार शर्मा की अगुआई में किसानों ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री योगी को संबोधित अपने खून से दो पन्नों का खत लिखा है.

धरना दे रहे किसान अब तक आंदोलन की कड़ी में जल सत्याग्रह, पदयात्रा और सिर-मुंडन भी करा चुके हैं
योगी आदित्यनाथ के नाम खून से लिखा गया खत
(फोटो: IANS)
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यूनियन के अध्यक्ष विमल कुमार शर्मा ने खत की कॉपी शनिवार को मीडिया को जारी करते हुए बताया, "पिछले तीन दशक से सूखे के अलावा 'कर्ज' और 'मर्ज' का दंश झेल रहे बुंदेलखंड के किसान खेती से सिफ एक ही फसल ले पाता है."

“लघु और सीमांत किसानों का दायरा इस समय सरकारी आंकड़ों में सिर्फ दो हेक्टेयर का है. किसान इसे पांच हेक्टेयर तक बढ़ाने की मांग को लेकर 45 दिनों से धरना दे रहे हैं. अब किसानों ने अपने खून से खत इसलिए मुख्यमंत्री को लिखा है कि शायद किसान हितैषी होने का दंभ भरने वाली केंद्र और राज्य सरकार को तरस आ जाए.”
- विमल कुमार शर्मा, अध्यक्ष, बुंदेलखंड किसान यूनियन

खत में दिया मांगों का तर्क

खत में लिखा गया है- "उत्तर प्रदेश अधिकतम जोत सीमा आरोपण अधिनियम-1960 की धारा-4 की उपधारा-2क में बुंदेलखंड की कृषि भूमि को दूसरे जनपदों की अपेक्षा ढाई गुना कम आंका गया है. यानी प्रदेश के दूसरे जनपदों की एक हक्टेयर जमीन की गणना बुंदेलखंड के ढाई हेक्टेयर जमीन के बराबर है. इस लिहाज से मानक भी दोगुना किया जाना किसान हित में होगा."

(इनपुट: IANS)

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