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8 नवंबर 2016 को हुई नोटबंदी के वक्त तर्क ये दिया गया था कि इकनॉमी को कैशलेस बनाया जाएगा. अब नोटबंदी के करीब 19 महीने के बाद देश की जनता के हाथ में रिकॉर्ड 18.5 लाख करोड़ से भी ज्यादा कैश आ गया है. ये नोटबंदी के दौर की तुलना में कैश फ्लो से दोगुने से कहीं ज्यादा है. उस वक्त लोगों के हाथ में कैश सिमटकर करीब 7.8 लाख करोड़ रुपये रह गया था. रिजर्व बैंक के आंकड़ों से ये जानकारी सामने आई है.
रिजर्व बैंक के मुताबिक, इस समय कैश का कुल चलन 19.3 लाख करोड़ रुपये से अधिक है जबकि नोटबंदी के बाद ये आंकड़ा करीब 8.9 लाख करोड़ रुपये था.
आंकड़ों के मुताबिक, ' जनता के पास कैश ' और ' सर्कुलेशन में कुल कैश ' दोनों नोटबंदी के फैसले से पहले के स्तर से अधिक हैं. सरकार के नोटबंदी के फैसले से चलन में मौजूद कुल कैश की कीमत में से 86 फीसदी बैन हो गया था. लोगों को अपने पास रखे बड़ी कीमत के नोटों को बैंकों में जमा करने के लिए समय दिया था. जिसके बाद करीब 99 फीसदी कैश बैंकिंग सिस्टम में वापस आ गई थी. कुल 15.44 लाख करोड़ रुपये के बैन नोट में से 30 जून 2017 तक लोगों ने 15.28 लाख करोड़ रुपये जमा कराए.
अब ताजा आंकड़ों के मुताबिक ,
वहीं रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक,
भारतीय रिजर्व बैंक सर्कुलेशन में कैश के आंकड़े हर हफ्ते के आधार पर और जनता के पास मौजूद कैश के आंकड़े 15 दिन में पब्लिश करता है.
आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि
आंकड़ों के साथ साथ हकीकत यही है कि सिस्टम में कैश ट्रांजैक्शन बढ़ता जा रहा है. हाल के दिनों में कई राज्यों में एटीएम का खाली होना इसका प्रमाण है. हालत तो ये तक हो गए थे कि कई बैंक ब्रांच में कैश की कमी हो गई और रिजर्व बैंक को सामने आकर भरोसा देना पड़ा.
सरकार का 2017-18 में 25 अरब डिजिटल ट्रांजैक्शन का लक्ष्य था, लेकिन इकोनॉमिक टाइम्स की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक वित्तीय साल के पहले 10 महीनों में सिर्फ 55 फीसदी ही ट्रांजैक्शन हो पाया है यानी आधे से कुछ अधिक.
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