अब यूपीएससी की परीक्षा दिए बगैर ही सरकार में बड़ा अधिकारी बना जा सकता है. केंद्र सरकार ने नौकरशाही में अब तक का सबसे बड़ा फेरबदल करते हुए लेटरल रिक्रूटमेंट के लिए नोटिफिकेशन जारी किया है. ऐसे में अब प्राइवेट कंपनियों में काम करने वाले भी बिना यूपीएससी की परीक्षा दिए सरकार के बड़े अधिकारी बन सकते हैं.
सरकार ने इस नोटिफिकेशन में 10 अलग-अलग मंत्रालयों में वरिष्ठ पदों के लिए आवेदन जारी किया है. डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल एंड ट्रेनिंग (DoPT) की ओर से जारी नोटिफिकेशन के मुताबिक, मिनिस्ट्री में ज्वाइंट सेक्रटरी के पद पर नियुक्ति होगी. किसी भी सरकारी, पब्लिक सेक्टर, यूनिवर्सिटी या प्राइवेट कंपनी में 15 साल का अनुभव रखने वालों के लिए मंत्रालय में सीधे एंट्री का रास्ता खुला है.
गाइडलाइंस क्या हैं?
- न्यूनतम उम्र सीमा- 40 साल
- अधिकतम उम्र सीमा- तय नहीं
- पे स्केल- 144,200-218,200 रुपये प्रति महीना
- योग्यता- किसी मान्यता प्राप्त यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन
- अनुभव- किसी सरकारी, पब्लिक सेक्टर, यूनिवर्सिटी या प्राइवेट कंपनी में 15 साल का अनुभव
- आवेदन की अंतिम तारीख- 30 जुलाई
किसी भी मंत्रालय या विभाग में ज्वाइंट सेक्रटरी का पद काफी अहम होता है. तमाम बड़ी पॉलिसी और नियमों को अंतिम रूप देने में इनका ही योगदान होता है. आवेदकों को बस एक इंटरव्यू देना होगा. ये इंटरव्यू कैबिनेट सेक्रटरी के नेतृत्व में बनने वाली कमेटी लेगी. शुरुआत में कॉन्ट्रेक्ट 3 साल के लिए होगा जिसे प्रदर्शन के आधार पर 5 साल तक के लिए बढ़ाया जा सकेगा.
इन 10 मंत्रालय और विभागों के नाम हैं-
- रेवेन्यू
- फाइनेंस सर्विस
- इकनॉमिक अफेयर्स
- कृषि
- रोड ट्रांसपोर्ट और हाईवे
- शिपिंग
- पर्यावरण
- रिन्यूएबल एनर्जी
- सिविल एविएशन
- कॉमर्स
“ये संविधान और आरक्षण का घोर उल्लंघन है”
मोदी सरकार के इस बड़े बदलाव को लेकर राजनीतिक प्रतिक्रिया आनी शुरू हो गई हैं. आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने सिविल सर्विस को बाईपास करने पर मोदी सरकार पर सवाल उठाया है.
तेजस्वी ने ट्वीट कर कहा, ‘यह मनुवादी सरकार UPSC को दरकिनार कर बिना परीक्षा के नीतिगत व संयुक्त सचिव के महत्वपूर्ण पदों पर मनपसंद व्यक्तियों को कैसे नियुक्त कर सकती है? यह संविधान और आरक्षण का घोर उल्लंघन है. कल को ये बिना चुनाव के प्रधानमंत्री और कैबिनेट बना लेंगे. इन्होंने संविधान का मजाक बना दिया है.’
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