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भारत की साइबर क्षमता पाकिस्तान, चीन और अमेरिका जैसे देशों के सामने कहां टिकती है? एक ताजा रिपोर्ट में इस सवाल के जवाब को ढूंढ़ने की कोशिश की गई है. प्रभावशाली थिंक टैंक इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रैटेजिक स्टडीज (आईआईएसएस) की एक नई रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत की आक्रामक साइबर क्षमता चीन की ओर नहीं बल्कि "पाकिस्तान केंद्रित" और "क्षेत्रीय रूप से प्रभावी" है.
आईआईएसएस ने 15 देशों के साइबर ताकतों पर स्टडी की है और फिर एक रिपोर्ट तैयार की है.
एक देश की साइबर क्षमताओं का परख सात कैटेगरी में किया गया है: रणनीति और सिद्धांत; शासन, कमान और नियंत्रण; कोर साइबर-इंटेलिजेंस कैपेबिलिटी; साइबर सशक्तिकरण और निर्भरता; साइबर सुरक्षा और लचीलापन; साइबरस्पेस मामलों में ग्लोबल लीडरशिप और आक्रामक साइबर क्षमता.
तीसरे स्तर की श्रेणी में जापान, ईरान, इंडोनेशिया, वियतनाम, मलेशिया और उत्तर कोरिया जैसे देश शामिल हैं. वहीं दूसरे स्तर पर ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, चीन, फ्रांस, इज़राइल, रूस और यूनाइटेड किंगडम जैसे मजबूत देश हैं.
सोमवार को जारी की जाने वाली रिपोर्ट के मुताबिक:
रिपोर्ट में कहा गया है कि अपने क्षेत्र की जीयो स्ट्रेटेजिक अस्थिरता और साइबर खतरे के बारे में जानने के बावजूद, भारत ने साइबर स्पेस सुरक्षा के लिए अपनी नीति और सिद्धांत विकसित करने में सिर्फ "मामूली प्रगति" की है.
ग्रेग ऑस्टिन, जो साइबर, अंतरिक्ष और भविष्य के संघर्ष पर IISS कार्यक्रम का नेतृत्व कर रहे हैं और रिपोर्ट तैयार करने में अहम भूमिका निभाई है, ने द इंडियन एक्सप्रेस संडे को बताया:
रिपोर्ट में कहा गया है कि साइबर गवर्नेंस के रिफॉर्म की तरफ प्रति भारत का दृष्टिकोण "धीमा" रहा है.
रिपोर्ट में कहा गया है, "भारत की क्षेत्रीय साइबर-खुफिया पहुंच अच्छी है, लेकिन व्यापक समझ के लिए अमेरिका सहित दूसरे भागीदारों पर निर्भर है."
रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि "राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा को बढ़ावा देने में प्राइवेट सेक्टर सरकार की तुलना में अधिक तेजी से आगे बढ़ा है."
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