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BJP ने दिल्ली चुनाव में जिसका इस्तेमाल किया, वो ‘डीपफेक’ क्या है?

बीजेपी के वीडियो का क्या मामला है?

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भारत
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बीजेपी के वीडियो का क्या मामला है?
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बीजेपी के वीडियो का क्या मामला है?
(फोटो: क्विंट)

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दिल्ली चुनाव में बीजेपी महज 8 सीटों पर सिमट गई. हालांकि, बीजेपी ने चुनाव जीतने के लिए अपने नेताओं के भाषणों से लेकर टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करने में कोई कसर नहीं छोड़ी. पार्टी ने दो अलग वोटर समूह को लुभाने के लिए दिल्ली बीजेपी प्रमुख मनोज तिवारी के दो डीपफेक वीडियो भी तैयार करवाए थे.

इन डीपफेक वीडियो में मनोज तिवारी दो अलग भाषाओं में बात कर रहे थे. ऐसा दो अलग-अलग वोटर समूह को चुनाव में लुभाने के लिए किया गया था.

डीपफेक क्या है?

डीपफेक वीडियो, फेक न्यूज का मॉर्डन वर्जन है. डीपफेक ऐसा जरिया है, जिसमें जानी-मानी हस्तियों के चेहरे को किसी वीडियो में इस्तेमाल कर किसी भी आवाज को डालकर वीडियो वायरल किया जाता है.

डीपफेक वीडियो एक नया टाइप है, जिसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल कर किसी को वीडियो में कुछ कहते या करते हुए दिखाया जाता है. कुछ समय पहले बराक ओबामा का एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें वो अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को अपशब्द कहते हुए दिख रहे थे.

डीपफेक के लिए क्या टेक्नोलॉजी चाहिए?

डीपफेक को एक सामान्य कंप्यूटर पर बनाना मुश्किल है. ज्यादातर डीपफेक हाई-एन्ड डेस्कटॉप कंप्यूटर पर बनाए जाते हैं, जिनमें पावरफुल ग्राफिक कार्ड होता है. इससे प्रोसेसिंग का समय दिन और हफ्तों से कम होकर घंटों में रह जाता है. डीपफेक बनाने के लिए कई टूल भी मार्केट में मौजूद हैं.

बीजेपी के वीडियो का क्या मामला है?

Vice न्यूज वेबसाइट ने मनोज तिवारी की 44-सेकंड लंबी वीडियो का एनालिसिस किया, जिसमें पता चला कि बीजेपी ने डीपफेक का इस्तेमाल किया है. दो में से एक वीडियो में तिवारी हरियाणवी में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के वादों पर बात कर रहे हैं. दूसरी वीडियो में वो यही बातें हिंदी में बोल रहे हैं. उनका हावभाव और फ्रेम समान है.

NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक, इन वीडियो को करीब 5,800 WhatsApp ग्रुप में शेयर किया गया था. बीजेपी को डीपफेक कंटेंट चंडीगढ़ की फर्म Ideaz Factory ने उपलब्ध कराया था.

कई आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सिक्योरिटी एनालिस्ट के मुताबिक, डीपफेक ऑडियो और वीडियो कंटेंट का चुनावों में बहुत ज्यादा इस्तेमाल नहीं हुआ है. लेकिन गलत जानकारी फैलाने के लिए इसका इस्तेमाल बहुत आसानी से किया जा सकता है.

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