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भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह संसद में लद्दाख इलाके में सीमा पर चीन के साथ चल रहे विवाद और तनाव को लेकर जवाब दे रहे हैं. रक्षा मंत्री ने लोकसभा में बोलते हुए LAC पर चल रहे तनाव के बारे में बताया कि कैसे चीनी पक्ष ने तमाम समझौतों का उल्लंघन करके सीमा पर हलचल बढ़ाई और भारी तादाद में सेना को तैनात किया. रक्षा मंत्री ने दोनों देश के बीच 14 जून को हुई हिंसक झड़प के बारे में भी संसद को जानकारी दी.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का कहना है कि तनाव का शांतिपूर्ण समाधान हमारी प्राथमिकता है. उन्होंने बताया कि अप्रैल महीने से पूर्वी लद्दाख की सीमा पर चीन की सेनाओं की संख्या तथा हथियारों में इजाफा देखा गया. मई महीने की शुरुआत में चीन ने गलवान घाटी क्षेत्र में हमारी सेना की पेट्रोलिंग अभियान में बाधा डालने शुरू की, जिसकी वजह से तनाव की स्तिथि उत्पन्न हुई.
राजनाथ सिंह के लोकसभा में भाषण की अहम बातें-
हमने चीन को डिप्लोमैटिक और मिलिट्री चैनलों के जरिए ये बता दिया, कि इस तरह की गतिविधियां, यथास्थिति को एकतरफा तरीके से बदलने की कोशिश है. यह भी साफ कर दिया गया कि ये प्रयास हमें किसी भी सूरत में मंजूर नहीं है.
LAC पर तनाव बढ़ता हुआ देख कर दोनों तरफ के सैन्य कमांडरों ने 6 जून 2020 को मीटिंग की. इस बात पर सहमति बनी कि दोनों तरफ से डिसएंगेजमेंट किया जाए. दोनों पक्ष इस बात पर भी सहमत हुए कि LAC को माना जाएगा तथा कोई ऐसी कार्रवाई नहीं की जाएगी, जिससे कि यथास्थिति बदले.
इस सहमति के उल्लंघन में चीन द्वारा एक हिंसक झड़प की स्थिति 15 जून को गलवान में बनाई की गई. हमारे बहादुर सिपाहियों ने अपनी जान का बलिदान दिया पर साथ ही चीनी पक्ष को भी भारी क्षति पहुंचाई और अपनी सीमा की सुरक्षा में कामयाब रहे.
इस दौरान हमारे बहादुर जवानों ने जहां पर संयम की जरूरत थी वहां संयम रखा और जहां शौर्य की जरुरत थी, वहां शौर्य दिखाया. एक ओर किसी को भी हमारे सीमा की सुरक्षा के प्रति हमारे संकल्प के बारे में संदेह नहीं होना चाहिए, वहीं भारत यह भी मानता है कि पड़ोसियों के साथ शांतिपूर्ण संबंधों के लिए आपसी सम्मान और आपसी संवेदनशीलता जरूरी है.
रक्षा मंत्री ने कहा कि हम मौजूदा स्थिति का बातचीत के जरिए समाधान चाहते हैं, हमने चीनी पक्ष के साथ राजनायिक और मिलिट्री संबंध बनाए रखा है. इन चर्चाओंं में तीन सिद्धांतों हमारा नजरिया तय करते हैं-
पहला, दोनों पक्षों को LAC का सम्मान और कड़ाई से पालन करना चाहिए.
दूसरा, किसी भी पक्ष को अपनी तरफ से यथास्थिति का उल्लंघन करने का प्रयास नहीं करना चाहिए.
तीसरा, दोनों पक्षों के बीच सभी समझौतों और सहमतियों का पूरी तरह से पालन होना चाहिए.
जब ये चीन के साथ चर्चा चल ही रही थी, चीन की तरफ से 29 और 30 अगस्त की रात को उकसावे की सैनिक कार्रवाई की गई, जो पैंगॉन्ग लेक के साउथ बैंक इलाके में यथास्थिति को बदलने का प्रयास था. लेकिन एक बार फिर हमारी सेना के फौरी और सख्ती के साथ जवाबी कार्रवाई के चलते उनका ये प्रयास सफल नहीं हुआ.
जैसा कि हाल में हुए घटनाक्रम से साफ है, चीन की कार्रवाई से हमारे अलग-अलग द्विपक्षीय समझौतों के प्रति उसका गैर-जिम्मेदाराना रवैया दिखता है. चीन द्वारा सेना की भारी मात्रा में तैनाती किया जाना 1993 और 1996 के समझौतों का उल्लंघन है.
LAC का सम्मान करना और उसका कड़ाई से पालन किया जाना, सीमा क्षेत्रों में शांति और सद्भाव का आधार है, और इसे 1993 एवं 1996 के समझौतों में स्पष्ट रूप से स्वीकार किया गया है. जबकि हमारी सेना इसका पूरी तरह पालन करती हैं, चीनी पक्ष की ओर से ऐसा नहीं हुआ है.
अभी की स्थिति के अनुसार, चीनी पक्ष ने LAC और अंदरूनी क्षेत्रों में बड़ी संख्या में सैनिक टुकड़ियां और गोलाबारूद जमा किया हुआ है. पूर्वी लद्दाख और गोरा, कोंगका ला और पेंगॉन्ग लेक के उत्तरीऔर दक्षिणी किरनारों पर कई तनाव की जगहें हैं.
चीन की कार्रवाई के जवाब में हमारी सेनाओं ने भी इन क्षेत्रों में उपयुक्त जवाबी तैयारी की है ताकि भारत की सीमा को पूरी तरह से सुरक्षित रखा जा सके.
सदन को आश्वस्त रहना चाहिए कि हमारी सेना इस चुनौती का सफलता से सामना करेंगी और इसके लिए हमें उन पर गर्व है. अभी जो स्थिति बनी हुई है उसमें संवेदनशील ऑपरेशनल मुद्दे शामिल हैं. इसलिए मैं इस बारे में ज्यादा ब्यौरे का खुलासा नहीं करना चाहूंगा.
भारत सीमा पर मुद्दों का हल, शांतिपूर्ण बातचीत और आपसी संवाद के जरिए किए जाने के प्रति प्रतिबद्ध है. इस उद्देश्य को पाने के लिए मैं अपने चीनी समकक्षों से 4 सितंबर को मॉस्को में मिला और उनसे हमारी काफी गहराई में चर्चा हुई.
मैंने स्पष्ट तरीके से हमारी चिन्ताओं को चीनी पक्ष के समक्ष रखा, जो उनकी बड़ी संख्या में सेना की तैनाती, उग्र रवैया और एक तरफा यथास्थिति को बदलने की कोशिश से सम्बंधित था.
मैंने यह भी स्पष्ट किया, कि हम इस मुद्दे को शांतिपूर्ण ढंग से हल करना चाहते हैं और हम चाहते हैं कि चीनी पक्ष हमारे साथ मिलकर काम करें. वहीं हमने यह भी साफ कर दिया कि हम भारत की संप्रभुता और अखंडता की रक्षा के लिए पूरी तरह से संकल्पित हैं.
जैसे कि सदस्यों को जानकारी है, बीते समय में भी चीन के साथ हमारे सीमा इलाकों में लम्बे तनाव की स्थिति कई बार बनी है, जिसका शांतिपूर्ण तरीके से समाधान किया गया था.
हालांकि, इस इस साल की स्थिति, वह पहले से बहुत अलग है, फिर भी हम मौजूदा स्थिति के शांतिपूर्ण समाधान को लेकर प्रतिबद्ध हैं. इसके साथ-साथ मैं सदन को आश्वस्त करना चाहता हूं कि हम सभी परिस्थितियों से निपटने के लिए तैयार हैं.
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