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कोरोना के चलते लगाए गए लॉकडाउन के बीच अब प्रवासी मजदूरों को उनके घरों तक पहुंचाने का काम चल रहा है. इसी के तह अन्य राज्यों की ही तरह दिल्ली सरकार भी प्रवासी मजदूरों को उनके राज्यों में और बाहर फंसे दिल्ली के लोगों को वापस लाने का काम कर रही है. लेकिन शनिवार 9 मई को जब बिहार के मजदूरों से भरी ट्रेन रवाना हुई तो केजरीवाल सरकार ने दावा किया कि उन्होंने मजदूरों के टिकट का खर्चा खुद उठाया है. वहीं इसके कुछ ही देर बाद बिहार के एक मंत्री ने इस दावे को खारिज कर दिया.
दरअसल दिल्ली सरकार ने मजदूरों की वापसी के बाद कहा था कि किराए के पैसे उन्होंने चुका दिए हैं. इसे लेकर आम आदमी पार्टी के ट्विटर हैंडल से ट्वीट भी किया गया. लेकिन इससे पहले ही बिहार के मंत्री संजय कुमार झा ने दिल्ली सरकार पर मजदूरों को भेजने का पैसा मांगने का आरोप लगा दिया. उन्होंने ट्विटर पर लिखा,
इस बात पर गोपाल राय ने भी जवाब दिया. जिसमें उन्होंने ये बात कबूल कर ली कि दिल्ली सरकार ने बिहार सरकार से पैसे की मांग की थी. इसके लिए चिट्ठी भी लिखी गई थी. उन्होंने ट्विटर पर लिखा,
"ये सच है कि दिल्ली सरकार ने बिहार सरकार को चिट्ठी लिखा थी. ये भी सच है कि कल दिल्ली सरकार ने 1,200 श्रमिकों का किराया रेलवे को देकर उन्हें मुजफ्फरपुर के लिए रवाना कर दिया. लेकिन ये भी सच है कि बिहार सरकार की तरफ से कोई जवाब नहीं आया."
दिल्ली सरकार के मंत्री ने ये कहा कि पहले किराया मांगने की बात कही गई, लेकिन जब बिहार सरकार की तरफ से कोई जवाब नहीं आया तो दिल्ली सरकार ने अपने पैसों से मजदूरों का किराया देकर उन्हें भेजा.
इसके बाद अब जेडीयू की तरफ से आने वाले जवाब का इंतजार है. देखना होगा कि क्या वाकई में बिहार सरकार ने मजदूरों का किराया देने से इनकार कर दिया या फिर दिल्ली सरकार को किराया वापस देने की बात होती है.
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