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दिल्ली में नगर निगम के अस्पतालों में काम करने वाले डॉक्टर तंगी से जूझ रहे हैं, क्योंकि पिछले तीन महीने से उन्हें उनकी सैलरी नहीं मिल पाई है. इस मामले को लेकर डॉक्टर अब भूख हड़ताल पर बैठे हैं और प्रदर्शन कर रहे हैं. दिल्ली सरकार पर इसे लेकर एमसीडी के लगातार आरोपों के बीच अब मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने जमकर हमला बोला है. केजरीवाल ने एमसीडी पर आरोप लगाया कि वो केंद्र की बजाय दिल्ली सरकार पर आरोप लगाकर राजनीति कर रही है.
इस पूरे मामले को लेकर अरविंद केजरीवाल ने बीजेपी शासित दिल्ली नगर निगम पर निशाना साधा और कहा कि आखिर क्यों हमेशा कर्मचारियों को सैलरी के लाले पड़ जाते हैं. उन्होंने कहा कि जिन डॉक्टरों ने कोरोनाकाल में अपनी जान की बाजी लगाकर हमारे परिवार और हमारी सेवा की, उन्हें कई महीनों तक सैलरी नहीं मिलना सही नहीं है. इस मुद्दे पर राजनीति नहीं होनी चाहिए. सीएम केजरीवाल ने कहा,
केजरीवाल ने आगे कहा कि, जब दिल्ली में कांग्रेस सरकार की थी उसके मुकाबले अब हम एमसीडी को दोगुने से तीन गुने पैसे देने शुरू कर दिए. आखिर वो पैसे कहां जा रहे हैं? ये सोचने वाली बात है. सीएम केजरीवाल ने कहा कि,
केजरीवाल ने कहा कि जब इस मामले पर आगे पता कराया तो, केंद्र सरकार की इसमें भूमिका निकलकर आई. केंद्र सरकार पूरे देश में जितने नगर निगम हैं, उन्हें ग्रांट देती है. जो 485 रुपये प्रति व्यक्ति के हिसाब से होता है. लेकिन पिछले कुछ सालों से दिल्ली के तीनों नगर निगमों को ग्रांट नहीं मिल रही. दिल्ली में सवा दो करोड़ जनसंख्या है, इसके हिसाब से करीब 1200 करोड़ रुपये हर साल के बनते हैं. 10 साल के बन गए 12 हजार करोड़ रुपये, केंद्र सरकार ने नगर निगम के 12 हजार करोड़ रुपये देने हैं.
दिल्ली के सीएम ने नगर निगम में चल रहे भ्रष्टाचार को लेकर भी सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि जो भी एमसीडी की सत्ता में हैं उनसे हाथ जोड़कर विनती है कि सही से चला लो नगर निगम, जो इतना भ्रष्टाचार हो रहा है, ऐसे तो नहीं चल सकता.
केजरीवाल ने कहा कि नगर निगम का 12 हजार करोड़ रुपये का बजट है, जबकि सैलरी का बजट 6 हजार करोड़ रुपये है. तो डॉक्टरों की तनख्वाह क्यों नहीं मिल रही है? डॉक्टर हड़ताल पर बैठे हैं. मुझे दुख हो रहा है कि डॉक्टरों को इस हाल में रहना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि, मैं केंद्र सरकार से अपील करता हूं कि बेचारे डॉक्टरों को कई महीने से सैलरी नहीं मिली, ऐसे वक्त पर जब हमें उन्हें मेडल देने चाहिए थे, उन्हें कम से कम सैलरी तो दे दी जाए.
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