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दिल्ली में कोरोना से जंग लड़ने वाले डॉक्टर हड़ताल पर बैठे हैं. क्योंकि उन्हें पिछले तीन महीने से उनकी सैलरी नहीं मिली है. नॉर्थ दिल्ली नगर निगम के तहत आने वाले सभी अस्पतालों का यही हाल है. इस मामले को लेकर दिल्ली सरकार की तरफ से एमसीडी को बैठक के लिए बुलाया गया था, लेकिन उनकी तरफ से बैठक में कोई नहीं पहुंचा. इस मामले को लेकर अब इंडियन मेडिक एसोसिएशन ने भी संज्ञान लिया है.
दरअसल कोरोना के चलते लगे लॉकडाउन के बाद से ही नॉर्थ एमसीडी के तमाम कोरोना वॉरियर्स को अपनी सैलरी के लिए जूझना पड़ रहा है. उनका कहना है कि वो बिना आराम के लगातार अपनी ड्यूटी कर रहे हैं, लेकिन हर बार उनकी सैलरी रोक दी जाती है. क्विंट ने हाल ही में डॉक्टरों से बातचीत कर ये स्टोरी की थी. इससे पहले भी जून में डॉक्टर अपनी सैलरी के लिए परेशान थे.
नॉर्थ एमसीडी के इन तीन हॉस्पिटलों के डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ लगातार सैलरी मांग रहे हैं. जिनमें हिंदुराव हॉस्पिटल, कस्तूरबा गांधी हॉस्पिटल और राजन बाबू हॉस्पिटल शामिल हैं.
डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ का कहना है कि हर बार की तरह इस बार भी उनकी सैलरी रोक दी गई है. हालात ये हैं कि वो अपने बच्चों की फीस और ईएमआई नहीं चुका पा रहे हैं. उनका कहना है कि एमसीडी के अधिकारी और नेता दिल्ली सरकार पर इसका दोष डालकर बचने की कोशिश करते हैं. लेकिन इस बार उनकी मांग है कि उन्हें हर महीने वक्त पर सैलरी दी जाए. साथ ही बकाया महीनों की सैलरी भी तुरंत खाते में डाली जाए.
अब हमने जितनी बार भी नॉर्थ एमसीडी चेयरमैन से इस मामले को लेकर बात करने की कोशिश की तो उन्होंने हर बार दिल्ली सरकार से फंड नहीं मिलने को इसका कारण बताया. साथ ही उन्होंने कहा कि फिलहाल कोरोना के चलते कई चीजें धीरे चल रही हैं.
अब पिछले कई महीनों से दिल्ली सरकार पर फंड नहीं देने का दोष मढने वाली नॉर्थ एमसीडी को खुद दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने बैठक के लिए बुलाया था. जैन ने कहा था कि मिलकर इस मुद्दे का हल निकालना चाहते हैं. लेकिन सोमवार 26 अक्टूबर को बुलाई गई इस बैठक में एमसीडी से कोई नहीं पहुंचा.
जिस पर स्वास्थ्य मंत्री जैन ने कहा, "हमने इन्हें 2 बजे का समय दिया था और ये अब तक नहीं आए हैं. अगर इनको समाधान चाहिए था तो आ जाते, बात करते पर इन्हें तो राजनीति करनी है. इनको इससे कोई मतलब नहीं है कि डॉक्टरों को तनख्वाह मिल रही है या नहीं."
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