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कोरोना वायरस की दूसरी लहर ने भारत के स्वास्थ्य सिस्टम को हिलाकर रख दिया है. ऑक्सीजन, बेड, दवाओं, इंजेक्शन की कमी के बाद अब जान गंवाने वालों के अंतिम संस्कार के लिए लकड़ियां की भी कमी पड़ने लगी है. ऐसा देश की राजधानी दिल्ली में हो रहा है. उत्तरी दिल्ली के मेयर जय प्रकाश ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को लेटर लिखा और वन विभाग को निर्देश देने के लिए कहा कि वो श्मशान स्थलों पर जलाने वाली लकड़ी की सप्लाई करें.
उत्तरी दिल्ली का नगर निगम दिल्ली के सबसे बड़े श्मशान स्थन निगमबोध घाट का कामकाज देखता है. निगमबोध घाट कश्मीरी गेट के पास मौजूद है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक श्मशान स्थल में काम करने वाले लोगों की कमी, खाली जगह की कमी और लकड़ियों की कमी के चलते शव लेकर आ रहे लोगों को बहुत ज्यादा इंतजार करना पड़ रहा है.
NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक 27 अप्रैल को दिल्ली से लगे गाजीपुर इलाके में स्थित श्मशान स्थल के बाहर मृत कोविड मरीज के परिवारजन कागजी कार्रवाई के लिए इंतजार करते हुए मिले. परिवारजनों को लंबे वक्त तक श्मशाम घाट के बाहर इंतजार करना पड़ रहा है.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक पश्चिमी दिल्ली के रहने वाले युवा कारोबारी अमन अरोरा ने अपने पिता को 26 अप्रैल की शाम को खो दिया.
इसके बाद अमन दिल्ली के सुभाष नगर श्मशान स्थल में अंतिम संस्कार के लिए पता करने गए तो उन्हें दूसर दिन सुबह तक इंतजार करने के लिए कहा गया. इसके बाद अमन ने एक शव को रखने वाले फ्रिज का इंतजाम किया और दूसरे दिन का इंतजार किया. दूसरे दिन जब अमन श्मशान स्थल पहुंचे तब भी उन्हें इंतजार करना पड़ा.
40 साल के मनमीत सिंह ने अपने पिता को खो दिया. वो भी अपने पिता का शव लेकर सुभाष नगर श्मशान स्थल पहुंचे. लेकिन वहां के स्टाफ ने मनमीत को बताया कि शवदाह करने की सभी जगह भरी हुई हैं और सीएनजी चेंबर में भी जगह नहीं है. इसके बाद मनमीत पश्चिम विहार के श्मशान घाट के लिए निकल पड़े और MCD इंस्पेक्टर की मदद से उन्हें अंतिम संस्कार के लिए जगह मिल गई.
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