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दिल्ली (Delhi) के महरौली (Mehrauli) में जहां कभी सदियों पुरानी मस्जिद हुआ करती थी, वहां अब दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के अधिकारियों ने जमीन के एक समतल हिस्से पर बैरिकेडिंग कर दी है. 31 जनवरी, बुधवार की सुबह-सुबह डीडीए द्वारा मस्जिद अखुनजी, मदरसा बहरुल उलूम और दशकों पुराने कब्रिस्तान को अचानक ध्वस्त करने के बाद यह नजारा दिखा.
जाकिर हुसैन, जो पिछले 13 सालों से वक्फ बोर्ड के सदस्य और मस्जिद के कार्यवाहक इमाम हैं, उन्हों द क्विंट को बताया, "31 जनवरी को, डीडीए अधिकारी सुबह 5:30 बजे आए. फज्र (सुबह की नमाज) की वजह से मदरसे के बच्चे और मैं उठ गया था. जब वे पहुंचे तो हम सिर्फ वुजू कर रहे थे और नमाज की तैयारी कर रहे थे. इतनी भीड़ और अचानक बुलडोजर देखकर मैं डर गया."
डीडीए अधिकारियों ने हुसैन को बताया कि ये प्रॉपर्टी "डीडीए की जमीन" पर है. हुसैन ने तुरंत उन्हें बताया कि यह वक्फ की जमीन है.
इलाके के चारों ओर बैरिकेड्स लगे हुए हैं, जिन पर 15-20 पुलिसकर्मी तैनात हैं. हुसैन और कुछ अन्य स्थानीय लोगों के अनुसार, सैकड़ों पुलिसकर्मियों और डीडीए अधिकारियों के साथ 10 बुलडोजर घटनास्थल पर पहुंचे थे.
इमाम ने कहा कि तहसील रिकॉर्ड के अनुसार, उनके पास "7 बीघे और 13 बिस्वा" जमीन थी लेकिन अधिकारियों ने कथित तौर पर उनकी बात पर ध्यान नहीं दिया.
मूल रूप से हरियाणा के मेवात के रहने वाले हुसैन ने कहा कि उनका आठ लोगों का परिवार मस्जिद के करीब एक क्वार्टर में रहता था, जिसे भी नष्ट कर दिया गया. हुसैन ने कहा, "उन्होंने हम सभी को सर्दियों में बेसहारा छोड़ दिया."
यहां कुछ लड़कों के परिवार हैं लेकिन बाकी अनाथ हैं.
इमाम ने आगे कहा, "जब मैंने डीडीए अधिकारियों से सवाल किया और नोटिस की मांग की, तो उन्होंने मेरा मोबाइल फोन छीन लिया और 10-12 पुलिसकर्मी मुझे और कुछ अन्य लोगों को जबरदस्ती ले गए और बैरिकेड से लगभग 400 मीटर खड़ा कर दिया."
इस बीच,तोड़फोड़ की कार्रवाई के बाद मदरसे में रहने वाले कई बच्चों के माता-पिता को खबर दी गई है.
29 साल के मोहम्मद सुहैल शेख बुधवार को अपने बेटे से मिलने के लिए कश्मीर से पहुंचे, लेकिन उन्हें पता चला कि मदरसा अब अपनी जगह पर कायम नहीं है.
इमाम ने द क्विंट को बताया कि यहां तक कि करीब 500 साल पुराना कब्रिस्तान, जिसमें पुरानी और नई कब्रें हैं, सभी को नष्ट कर दिया गया.
इमाम ने कहा, "वहां दो मजारें थीं, लगभग 700 साल पुरानी और प्रतिष्ठित हस्तियों की, शेख जलालुद्दीन तबरेज रहमतुल्लाह अलैह और शेख पारीखा रहमतुल्लाह अलैह की. इन्हें भी पूरी तरह से नष्ट कर दिया गया."
इस बीच, उत्तम नगर में रहने वाले 23 साल के समीर तबरेज खान, जिनकी मां की कब्र महरौली के इसी समतल हो चुकी जमीन पर है, वो कहते हैं...
क्विंट के पास 2022 में दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश की एक कॉपी है जिसमें कहा गया है कि जमीन सर्वेक्षण कराया जाएगा और सीमांकन किया जाएगा.
डीडीए के पीआरओ बिजय शंकर पटेल ने कहा कि संजय वन एक आरक्षित वन है, जो 780 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है, जो दक्षिणी टीला का हिस्सा है.
रिज प्रबंधन बोर्ड के फैसले के अनुसार, रिज क्षेत्र को "सभी प्रकार के अवैध अतिक्रमण" से मुक्त किया जाना चाहिए.
संजय वन में अतिक्रमण का आकलन करने के लिए डीएम दक्षिणी दिल्ली की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया था, जिसने उस क्षेत्र में विभिन्न अवैध संरचनाओं को हटाने का सुझाव दिया था.
गौरतलब है कि दिल्ली हाई कोर्ट ने 31 जनवरी को डीडीए अधिकारियों की खिंचाई की थी और उनसे सदियों पुरानी मस्जिद को गिराने का आधार, नोटिस का अभाव और एक हफ्ते के अंदर जवाब देने को कहा था.
मस्जिद के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है क्योंकि इसके ऐतिहासिक रिकॉर्ड समय के साथ खत्म हो गए हैं या खो गए हैं. जो स्थापित किया गया है वह यह है कि इसे "हाजी शम्सुद्दीन रहमतुल्लाह अलैह के समय में बनाया गया था, जो अपने समय में बादशाह थे. इसे ईद के दौरान बनाया गया था, लेकिन हम निश्चित रूप से नहीं जानते कि इसे किसने बनवाया था," इमाम हुसैन ने दावा किया.
दिल्ली के मुद्राशास्त्री और इतिहासकार शाह उमैर ने कई हेरिटेज वॉक की हैं और महरौली के इतिहास से अच्छी तरह वाकिफ हैं.
क्विंट से बात करते हुए उन्होंने कहा कि महरौली दिल्ली की सबसे पुरानी बस्तियों में से एक है, जहां लोग 1200 साल से भी ज्यादा समय से रह रहे हैं.
शुरुआत में, महरौली को किला राय पिथौरा कहा जाता था जिसमें संजय वन शामिल है जहां विध्वंस हुआ था. उमैर के अनुसार, किला राय पिथौरा पृथ्वी राज के किला के लिए एक तुर्की उपाधि है.
डिमॉलिशन से पहले की मस्जिद
मस्जिद के अंदर की तस्वीर - डिमॉलन से पहले
डिमॉलिशन से पहले मदरसा
डिमॉलिशन से पहले की मस्जिद
सभी मजारों को तोड़ा गया
उमैर ने कहा कि एएसआई स्मारकों को ग्रेड 1, 2 और 3 में उनके महत्व के अनुसार संरक्षित किया गया है और कुछ पर कम ध्यान दिया गया है, हालांकि, अखुनजी मस्जिद उस रडार में नहीं थी इसलिए अधिकारियों के लिए इसे ध्वस्त करना आसान था.
इमाम और बच्चे फिलहाल दूसरी जगह चले गए हैं.
डीडीए अधिकारियों ने कहा कि "अवैध धार्मिक संरचनाओं को हटा दिया गया" और साइट से "मलबे" को हटाने की प्रक्रिया चल रही है.
डीडीए के पीआरओ ने कहा, "लगभग 5000 वर्गमीटर क्षेत्र को पुनः प्राप्त कर लिया गया है. संपूर्ण विध्वंस कार्यक्रम बिना किसी बाधा और साइट पर अशांति/विरोध के सफलतापूर्वक पूरा हो गया."
स्थानीय लोगों का कहना है कि घटनास्थल पर पुलिस बल बढ़ा दिया गया है.
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