Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019India Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019गरीब ऑटो चालकों तक क्यों नहीं पहुंच पा रही दिल्ली सरकार की मदद?

गरीब ऑटो चालकों तक क्यों नहीं पहुंच पा रही दिल्ली सरकार की मदद?

दिल्ली सरकार दे रही ऑटो-रिक्शा, ई-रिक्शा चालकों को 5 हजार रुपये की मदद 

मुकेश बौड़ाई
भारत
Updated:
पार्टी पिछले हफ्ते से इस सिलसिले में एक सर्वेक्षण कर रही है
i
पार्टी पिछले हफ्ते से इस सिलसिले में एक सर्वेक्षण कर रही है
(फाइल फोटो: PTI)

advertisement

कोरोना वायरस के चलते देशभर में दूसरा लॉकडाउन जारी है. 3 मई तक हर तरह का ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम बंद है. ऐसे में ऑटो-रिक्शा चालकों और पब्लिक ट्रांसपोर्ट से जुड़े अन्य चालकों को रोजी-रोटी की समस्या हो रही है. इसी को देखते हुए दिल्ली सरकार ने ऐसे लोगों को 5 हजार रुपये देने की योजना का ऐलान किया. लेकिन इस योजना में सिर्फ 40 फीसदी गरीबों का ही फायदा हो रहा है. ऐसा खुद इस व्यवसाय से जुड़े लोगों का कहना है.

हमने दिल्ली में ऑटो चालकों, ग्रामीण सेवा चालकों और ई-रिक्शा चलाने वाले लोगों के बातचीत की. जिन्होंने बताया कि,

केजरीवाल सरकार की इस योजना का फायदा गिने-चुने लोगों तक ही पहुंच पाएगा. कई गरीब चालकों को 5 हजार रुपये की ये मदद नहीं मिल पाएगी. इसके लिए उन्होंने बैज का आवंटन और ऑटो माफिया को जिम्मेदार ठहराया.

दिल्ली में ऑटो माफिया

दिल्ली में भले ही ऑटो चालकों के लिए 5 हजार रुपये देने की बात कही गई हो, लेकिन इसका ज्यादा फायदा एक बार फिर ऑटो माफिया को मिलने वाला है. ऐसा कहना है कैपिटल ड्राइवर वेलफेयर एसोसिएशन के उपाध्यक्ष चंदू चौरसिया का, उन्होंने बताया कि,

“दिल्ली में लाइसेंस बैज पर 60 प्रतिशत कब्जा ऑटो माफिया का है. इसीलिए सभी चालकों को इसका फायदा मिल जाए ये मुमकिन नहीं है. इसका फायदा 40 फीसदी चालकों को ही मिल पाएगा.”

रिश्तेदारों के नाम से लेते हैं बैज

चौरसिया ने बताया कि दिल्ली में पीएसवी बैज को लेकर खेल काफी पहले से चल रहा है. जिनके पास अपने नाम का लाइसेंस बैज है उन्हें फायदा मिलेगा. लेकिन जिन्होंने अपनी गाड़ियां फाइनेंसर या फिर ऑटो माफिया से ले रखी हैं उन्हें इस योजना का फायदा नहीं मिलेगा. क्योंकि वो अपने जानने वाले और अपने रिश्तेदारों के नाम पर लाइसेंस बैज बनवा लेते हैं. इसके लिए अफसरों को मोटा पैसा दिया जाता है.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

ऑनलाइन फॉर्म में परेशानी

दिल्ली के तुगलकाबाद इलाके में ई-रिक्शा चलाने वाले हेमंत कुमार ने बताया कि वो तीन साल से रिक्शा चला रहे हैं. उन्होंने कहा कि वो सरकार के ऑनलाइन फॉर्म को नहीं भर पा रहे हैं. हेमंत ने कहा, "मेरी बेटी ने ऑनलाइन फॉर्म भरने की कोशिश की, लेकिन वेबसाइट नहीं खुल पा रही है. मैं बहुत परेशान हूं, गरीब आदमी हूं, इस वक्त कहां जाऊं."

पिछले 8 साल से ग्रामीण सेवा चला रहे राहुल ने बताया कि वो इस योजना के बारे में कुछ भी नहीं जानते हैं. किसी और को फॉर्म भरने के लिए कहा है. राहुल अपने चार बच्चों के साथ गोविंदपुरी के नवजीवन कैंप में रहते हैं. उन्होंने बताया कि सरकार की तरफ से उन्हें अब तक कोई भी राहत नहीं मिली है.

पुराने बैज वाले चालक परेशान

तिलक ब्रिज के आसपास ऑटो चलाने वाले जगदीश ने बताया कि ऑटो चालक ज्यादा पढ़े लिखे लोग नहीं होते हैं. ऐसे में उन्हें वेबसाइट पर जाने में काफी परेशानी हो रही है. जो लोग पहुंच रहे हैं उन्हें वेबसाइट में अपलोडिंग की दिक्कतें आ रही हैं. इसीलिए ऑटो चालक दूसरे को 100 रुपये देकर अपना फॉर्म भरवा रहे हैं. इसके अलावा उन्होंने ये भी बताया कि जिन चालकों के पास पुराने लाइफटाइम बैज हैं, जिन पर चिप नहीं लगी है, उन्हें इस योजना से दूर रखा गया है. जो काफी गलत है. उन लोगों की भी सहायता होनी चाहिए.

क्या हैं उपाय?

कैपिटल ड्राइवर वेलफेयर एसोसिएशन के उपाध्यक्ष ने इसे लेकर उपाय भी बताया. उन्होंने कहा कि जो चालक गाड़ी का मालिक नहीं है और किसी की गाड़ी किराए पर चलाता है, उसके लिए सरकार को मालिक से आरसी परमिट, आधार कार्ड और एक हलफनामा लेना चाहिए. जिसमें साफ लिखा हो कि ये गाड़ी मैंने किसे बेच रखी है या फिर इसे कोई और ड्राइवर किराए पर चलाता है. सरकार गरीब चालकों की इस मुश्किल घड़ी में ऐसा करके मदद कर सकती है.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 17 Apr 2020,10:00 PM IST

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT