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देश में इस समय कोरोना वैक्सीनेशन का दूसरा चरण चल रहा है. इस चरण में 60 साल से ज्यादा उम्र के लोगों और गंभीर बीमारी से पीड़ित 45 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को वैक्सीन दी जा रही है. इसके अलावा केंद्र सरकार दूसरे देशों को भी कोरोना वैक्सीन सप्लाई कर रही है. लेकिन दिल्ली हाई कोर्ट ने 4 मार्च को वैक्सीन एक्सपोर्ट को लेकर केंद्र की फटकार लगाई.
हाई कोर्ट ने कहा कि देश के नागरिकों को प्राथमिकता के आधार पर वैक्सीन देने की बजाय उन्हें एक्सपोर्ट किया जा रहा है. कोर्ट ने कहा कि इस मामले में 'अति-आवश्यकता की भावना' लानी चाहिए.
दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा, "Covid-19 वैक्सीनों को विदेश में डोनेट और बेचा जा रहा है जबकि भारत के लोगों का वैक्सीनेशन होना अभी बाकी है."
कोरोना वैक्सीनेशन के पहले चरण में हेल्थकेयर और फ्रंटलाइन वर्कर्स को वैक्सीन दी गई थी. दूसरे चरण में उम्र और बीमारी के आधार पर वैक्सीनेशन शुरू हुआ है. दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र के इस फैसले के पीछे के तर्क पर सवाल किया.
जस्टिस विपिन सांघी और रेखा पल्ली ने कहा कि सीरम इंस्टीट्यूट और भारत बायोटेक के पास वैक्सीन देने की और क्षमता है लेकिन ऐसा लगता है कि वो इसका इस्तेमाल नहीं कर रहे.
हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार से सभी कोर्ट कॉम्प्लेक्स में मेडिकल सुविधाओं का इंस्पेक्शन करने और ये बताने के लिए कहा कि क्या इन कॉम्प्लेक्स में COVID-19 वैक्सीनेशन सेंटर बनाए जा सकते हैं.
कोर्ट एक जनहित याचिका सुन रही थी, जिसे उसने खुद शुरू किया था. इसे दिल्ली बार काउंसिल की मांग पर शुरू किया था. काउंसिल ने मांग की थी कि जज, कोर्ट स्टाफ और वकीलों समेत न्यायिक प्रक्रिया से जुड़े सभी लोगों को 'फ्रंटलाइन वर्कर्स' घोषित किया जाए, जिससे उन्हें उम्र और बीमारी की सीमा के बिना प्राथमिकता पर वैक्सीन दी जाए.
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