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आईएनएक्स मीडिया मामले में स्पेशल कोर्ट ने कार्ति चिदंबरम की सबीआई कस्टडी और तीन दिन के लिए बढ़ा दी है. हालांकि पूछताछ के लिए सीबीआई ने कार्ति की छह दिन की रिमांड मांगी थी. कार्ति पिछले नौ दिनों से सीबीआई रिमांड में हैं. पटियाला हाउस कोर्ट में कार्ति की जमानत पर सुनवाई अब 15 मार्च को होगी.
इससे पहले, दिल्ली हाई कोर्ट ने आईएनएक्स मीडिया मनी लॉन्ड्रिंग केस में प्रवर्तन निदेशालय की ओर से दर्ज मामले में कार्ति चिदंबरम को गिरफ्तारी से 20 मार्च तक के लिए अंतरिम राहत दी है.
न्यायमूर्ति एस. रविंद्र भट ने यह राहत देते हुए साफ किया कि सीबीआई के मामले में विशेष अदालत अगर कार्ति को जमानत देती है तो, ऐसी स्थिति में अगली सुनवाई तक निदेशालय उन्हें गिरफ्तार नहीं करेगा.
सीबीआई ने कार्ति के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया है. कोर्ट ने मनी लांड्रिंग मामले में समन जारी किए जाने और सुनवाई को चुनौती देने वाली कार्ति की याचिका पर केंद्र और प्रवर्तन निदेशालय से जवाब मांगा है. कार्ति चिदंबरम को गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने अपनी याचिका वापस लेने की अनुमति देते हुए कहा था कि वह किसी भी अंतरिम राहत के लिए दिल्ली हाईकोर्ट जाएं. इसके बाद कार्ति ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी.
सुप्रीम कोर्ट ने कार्ति चिदंबरम को आईएनएक्स मीडिया मनी लॉन्ड्रिंग केस में अपनी याचिका वापस लेने की अनुमति देते हुए कहा था कि उन्हें किसी भी अंतरिम राहत के लिये दिल्ली हाई कोर्ट जाना चाहिए.
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस ए एम खानविलकर और धनंजय वाई चंद्रचूड़ की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश से कहा कि कार्ति का मामला उचित पीठ को आबंटित किया जाये, ताकि इस पर शुक्रवार से सुनवाई हो सके. सुप्रीम कोर्ट ने छह मार्च को इस मामले में कार्ति को किसी भी प्रकार की अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया था.
कार्ति ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर यह निर्देश देने का अनुरोध किया था कि सीबीआई की ओर से 15 मई, 2017 को दर्ज प्राथमिकी में लगाये गये आरोपों से इतर किसी भी प्रकार की जांच करने का प्रवर्तन निदेशालय(ED) को अधिकार नहीं है. उन्होंने प्रवर्तन निदेशालय द्वारा जारी समन और इस मामले की सारी कार्यवाही निरस्त करने का भी अनुरोध किया था.
कार्ति को 28 फरवरी को विदेश से चेन्नई पहुंचते ही गिरफ्तार कर लिया गया था. वह इस समय सीबीआई की हिरासत में हैं. आईएनएक्स मीडिया को विदेश से 305 करोड़ रुपए की धनराशि प्राप्त करने के लिये 2007 में विदेशी निवेश संवर्द्धन बोर्ड की मंजूरी में कथित अनियमित्ताओं को लेकर सीबीआई ने यह प्राथमिकी दर्ज की थी. बोर्ड की मंजूरी के समय पी. चिदम्बरम वित्त मंत्री थे.
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