advertisement
रिपोर्टर: ऐश्वर्या एस अय्यर
कैमरापर्सन: शिव कुमार मौर्या
वीडियो एडिटर: संदीप सुमन
कोरोना वायरस की दूसरी लहर ने भारत को बुरी तरह जकड़ लिया है. संक्रमण और मौतों के आंकड़े रोजाना बढ़ते ही जा रहे हैं. श्मशान घाट और कब्रिस्तानों में शवों की कतार देखी जा रही है. हाल इतने बेहाल हो गए हैं कि शवों को दफनाने के लिए कब्रिस्तानों में जगह कम पड़ रही है. दिल्ली के सबसे बड़े कब्रिस्तान, जदीद कब्रिस्तान अहले इस्लाम में इतनी संख्या में शवों को दफनाया जा रहा है कि अब यहां जगह नहीं है.
करीब चार एकड़ में फैले जदीद कब्रिस्तान अहले इस्लाम के केयर टेकर मोहम्मद शमीन के मुताबिक, कोरोना काल से पहले यहां एक दिन में 5 से 6 शवों को दफनाया जाता था, जो कि अब तीन गुना बढ़ गया है. शमीन ने बताया कि पिछले साल यहां 1300 शवों को दफनाया गया है, और अब यहां जगह की कमी हो गई है.
शमीन ने बताया कि शवों को दफनाने के लिए उनके पास करीब 15-20 दिन फोन आते हैं. उन्होंने बताया कि कोविड के कारण कई रीति-रिवाजों का पालन नहीं किया जा रहा है, जिसकी लोग अभी भी जिद करते हैं.
दिल्ली में मौत के पीछे कोविड को जिम्मेदार को नहीं ठहराया जा रहा है, बल्कि बेड, ऑक्सीजन और दवाई जैसी बुनियादी चीजों को भी जिम्मेदार ठहराया जा रहा है. केयर टेकर शीमन ने कहा कि कई लोग अस्पताल ही नहीं पहुंच पा रहे हैं, और रास्ते में ही लोग दम तोड़ दे रहे हैं.
मिसमैनेजमेंट और लापरवाही के कारण अपनों को खो चुके लोगों ने सरकार को कसूरवार ठहराया है. 42 साल के आजाद सलमानी ने कहा, “ऑक्सीजन की हर जगह कमी हो रही है. जो ऑक्सीजन की कमी से मौत हो रही है, ये अस्पताल सीधा-सीधा कत्ल कर रही है इन लोगों का. इसमें राज्य सरकार और हिंदुस्तान को चला रही सरकार का हाथ है.”
दिल्ली में अब तक कोविड के 12 लाख से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं. इसमें से 90 हजार से ज्यादा एक्टिव केस हैं. 17 हजार से ज्यादा लोगों की अब तक इस वायरस से मौत हो चुकी है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)