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'अंजलि हमारी आंखों की तारा थी': कंझावला केस के एक साल बाद भी जूझ रहा परिवार

Kanjhawala Case के एक साल बाद, अंजलि सिंह का परिवार भावनात्मक ही नहीं आर्थिक संकट से भी गुजर रहा है

वर्षा श्रीराम
भारत
Published:
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'अंजलि हमारी आंखों तारा थी': कंझावला केस के एक साल बाद जूझ रहा पीड़िता का परिवार 

(फोटो- अरूप मिश्रा/द क्विंट)

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"जब दुनिया नए साल की खुशी मन रही थी, मैं और मेरे बच्चे मातम मना रहे थे. 1 जनवरी, मेरी जिंदगी का सबसे बुरा दिन रहेगा."

यह कहना है 39 साल की रेखा का. रेखा हॉस्पिटल से वापस आकर उत्तर पश्चिम दिल्ली (North Delhi) के मंगोलपुरी में अपने छोटे से घर के क्वीन साइज बेड पर बैठी हैं. उन्हें अपनी डायलिसिस के इलाज के लिए हर हफ्ते अस्पताल जाना होता है.

जैसे ही वह आराम करने बैठती हैं, छह भाई-बहनों में उनका सबसे छोटा बेटा नक्ष (10 वर्ष) स्कूल से लौटता है और अपनी मां से दोपहर का खाना मांगता है. दिन भर की थकी हुई रेखा ने बगल की गली में रहने वाली अपनी मां को फोन किया और उनसे घर के लिए खाना भेजने की गुजारिश की.

अंजलि की मौत के एक साल बाद, उनका परिवार मंगोलपुरी में एक छोटे से बेडरूम में चला गया.

(फोटो: वर्षा श्रीराम/द क्विंट)

फोन नीचे रखते हुए, नम आंखों से रेखा अपनी 20 साल की बेटी अंजलि सिंह की माला पहने फोटो फ्रेम को देखती है और कहती है...

"अगर वह यहां होती, तो मुझे नक्ष के खाने के बारे में फिक्र करने की जरूरत नहीं होती. मुझे इस बारे में चिंता करने की जरूरत नहीं होती कि हम अपने अगले वक्त के भोजन के लिए पैसे कहां से लाएंगे. मुझे अपने इजाल के खर्चों के बारे में फिक्र करने की जरूरत नहीं होती. भगवान ने उसे इतनी जल्दी क्यों छीन लिया ? वह इसकी हकदार नहीं थी."

दिल्ली के कंझावला में एक कार से कुचलकर और 15 किलोमीटर से ज्यादा दूर तक घसीटे जाने के बाद एक भयानक हिट-एंड-रन में अंजलि सिंह की मौत हो गई थी. इस वारदात को एक साल हो गया है. यह एक ऐसा मामला था, जिसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था.

द क्विंट ने अंजलि के परिवार से मुलाकात की, जो दोहरी लड़ाई लड़ रहे हैं.

पहली: अपने 'एकमात्र कमाने वाली' सदस्य के चले जाने के बाद गुजारा करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं.

और दूसरी: 1 जनवरी 2023 की दुर्भाग्यपूर्ण रात को हुए नुकसान से जूझ रहे हैं.

1 जनवरी 2023 को क्या हुआ था?

1 जनवरी के शुरुआती घंटों में, अंजलि काम से घर लौट रही थी, जब एक बलेनो कार ने उसके दोपहिया वाहन को टक्कर मार दी. इस कार में पांच लोग बैठे थे. उसके बाद पीड़िता के घायल हुए शरीर को कार बाहरी दिल्ली के सुल्तानपुरी से रोहिणी जिले के कंझावला तक, 2 घंटे से भी ज्यादा वक्त तक खींचती गई. अंजलि की दर्दनाक मौत हो गई थी.

पुलिस अधिकारियों ने कहा था कि यह घटना सुबह करीब 02.05 बजे हुई और उसके बुरी तरह घायल और शरीर का अर्ध-नग्न अवशेष 1 जनवरी को सुबह 4.40 बजे पाया गया.

पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक अंजलि के शरीर पर 40 से ज्यादा जगहों पर चोटें आई थीं. पोस्टमार्टम रिपोर्ट बता रही थी कि पीड़िता के मस्तिष्क का हिस्सा गायब था, कपाल गुहा खुल गया था, खोपड़ी उखड गयी थी और छाती के पीछे की पसलियां बाहर आ गयी थीं.

इस घटना में लापरवाही से गाड़ी चलाने, हत्या और मौत से संबंधित धाराओं के तहत FIR दर्ज करने के बाद सात लोगों को गिरफ्तार किया गया था.

आरोपियों की पहचान मनोज मित्तल, अमित खन्ना, कृष्ण उर्फ कालू, मिथुन, दीपक खन्ना, अंकुश खन्ना और आशुतोष भारद्वाज के रूप में हुई. पुलिस ने चार आरोपियों के खिलाफ IPC की धारा 302 (हत्या की सजा) भी लगाई, जो उस समय कार में बैठे थे.

दिल्ली पुलिस ने 1 अप्रैल को दायर अपनी चार्जशीट में कहा कि आरोपी व्यक्तियों के पास "पीड़िता को बचाने के मौके थे लेकिन उन्होंने जानबूझकर उसे कार से घसीटा जिससे उसकी मौत हो जाए."

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'हमारी आंंखों की तारा चली गई...वह हमारा सब कुछ थी'

एक समर्पित बेटी, सुरक्षा देने वाली बहन, महत्वाकांक्षी ब्यूटीशियन और घर की एकमात्र कमाने वाली सदस्य, अंजलि अपने परिवार के लिए "सब कुछ" थी.

नौ साल पहले अपने पिता की मौत, दो बड़ी बहनों की शादी और मां को किडनी से जुड़ी बीमारी होने की वजह से, अंजलि ने 16 साल की उम्र में स्कूल छोड़ने और परिवार की आर्थिक रूप से मदद करने के लिए नौकरी करने का फैसला किया.

वह छोटी बहन अंशिका (15) और दो भाइयों वरुण (13), नक्ष (10) की जिम्मेदार संभालती थी.

अंजलि और उसके पिता की दीवार पर लगी तस्वीर

(फोटो: वर्षा श्रीराम/द क्विंट)

"उसने एक सैलून में नौकरी की, और शादियों में काम करती थी. उसका काम मेहमानों का स्वागत करना और दुल्हनों को मेकअप और कपड़े पहनने में मदद करना था. वह हर महीने लगभग 20 से 25 हजार रुपये कमाती थी, जिससे हमारा घर चल जाता था. खाना पकाने और सफाई से लेकर, मेरे स्वास्थ्य का ख्याल रखने और अपने भाई-बहनों को स्कूल भेजने तक, अंजलि ने घर में एक पुरुष की भूमिका निभाई."
रेखा ने द क्विंट को बताया

अंजलि की मां ने कहा कि अंजलि को खोने का मतलब परिवार के ध्रुव तारे को खोना है.

अंजलि की 15 साल की बहन अंशिका ने उसको याद करते हुए कहा कि अंजलि पंजाबी गानों की फैन थी, उन्हें इंस्टाग्राम रील्स बनाने में मजा आता था और मेकअप करना पसंद था

अंजलि की 15 साल की बहन अंशिका

(फोटो: वर्षा श्रीराम/द क्विंट)

अंशिका बताती है, "वह हमें हर हफ्ते बाहर ले जाती थी. हम उनका पसंदीदा मोमोज खाने जाते थे. हम अक्सर चांदनी चौक, बंगला साहिब गुरुद्वारा और लाल किला जाते थे. 31 दिसंबर को, हम एक साथ शॉपिंग करने गए थे. उन्होंने हमें नए साल की शुरुआत के लिए बंगला साहिब ले जाने का वादा किया था. मुझे नहीं पता था कि यह आखिरी बार है, जब हम एक साथ बात कर रहे थे."

अपनी बहन के लिए दोस्त, छोटे भाई के लिए मां समान

अंशिका के लिए, अंजलि एक दोस्त थी. वहीं वरुण और नक्ष ने कहा कि वह उनके लिए एक "मां" की तरह थी.

13 साल के वरुण, द क्विंट से बात करते हुए कहते हैं कि

दीदी हमें स्कूल छोड़ती थीं. वह हमें कुछ सब्जेक्ट पढ़ाती थीं. मेरी मां बीमार थीं, इसलिए दीदी ने अपनी भूमिका निभाई और हमारी देखभाल की. एक दिन मैंने उनसे एक साइकिल खरीदने के लिए कहा और उन्होंने साइकिल खरीद दी. आज भी मैं उनकी याद में उसी साइकिल से स्कूल जाता हूं.

अंजलि के परिवार ने कहा कि पिछले एक साल से वे घूमने के लिए बाहर नहीं निकले हैं. रेखा ने कहा कि हर चीज हमें उसकी याद दिलाती है. हम बाहर जाकर मौज-मस्ती नहीं कर पाए. उसे मोमोज बहुत पसंद थे, लेकिन उसकी मौत के बाद से हमने वो नहीं खाया.

कोई इनकम नहीं, फंड की कमी और 'अधूरी' मांगें

3 जनवरी 2023 को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अंजलि के परिवार को 10 लाख रुपये का मुआवजा देने का ऐलान किया और रेखा के इलाज का खर्च उठाने और परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने का वादा किया.

रेखा ने कहा कि एक साल में, हमें सरकार द्वारा दी गई सारी धनराशि का उपयोग करना पड़ा. जब आप घर के कुल खर्चों के बारे में सोचते हैं, तो एक बार की मदद पर्याप्त नहीं थी. केवल डायलिसिस ही कवर किया गया था. मुझे कई अन्य स्वास्थ्य समस्याएं थीं. मुझे अपनी दवाओं के लिए पैसे देने पड़े हैं जो बहुत महंगी हैं.

उन्होंने आगे कहा कि पिछले चार महीनों में, हमारे पास किराने का सामान खरीदने के लिए भी पैसे नहीं थे. मैंने एक महीने तक खाना नहीं बनाया क्योंकि हम सब्जियां नहीं खरीद सके. हर दिन, मेरी 60 साल की मां हमारे लिए खाना भेजती हैं. उनसे मांगना बहुत बुरा लगता है. ऐसा नहीं है कि वो नहीं देंगी, लेकिन हम कब तक उन पर निर्भर रह सकते हैं?

रेखा के खराब स्वास्थ्य और बच्चों के बहुत छोटे होने के कारण, परिवार ने जोर देकर कहा कि उसके छोटे भाई प्रेम सिंह को सरकार द्वारा वादा किया था कि नौकरी मिलेगी. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार की ओर से कोई कार्रवाई नहीं हुई.

उन्होंने आरोप लगाया कि मुझे लगता है कि मेरे भाई को नौकरी नहीं मिल सकती क्योंकि वह सीधे तौर पर संबंधित नहीं है. इसलिए, मैं अधिकारियों से मुझे नौकरी देने की गुजारिश करती हूं.

अंजलि का सबसे छोटा भाई नक्श

(फोटो: वर्षा श्रीराम/द क्विंट)

"मैं काम करने की स्थिति में नहीं हूं, लेकिन मेरे पास कोई विकल्प नहीं है. मुझे अपने तीन बच्चों का भरण-पोषण करने के लिए नौकरी की जरूरत है. वे काम शुरू करने के लिए बहुत छोटे हैं. मैं सरकार से गुजारिश कर रही हूं कि मुझे एक नौकरी मुहैया कराई जाए. मैं अपने स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए काम कर सकती हूं लेकिन हमारी मांगें अनसुनी कर दी गई हैं. हम हर दिन पीड़ित हो रहे हैं. शुरू में, हम उम्मीद में थे, लेकिन इस तरह बने रहना कठिन है. मुझे नहीं पता कि मैं कब तक जिंदा रहूंगा, मेरे बच्चों का ख्याल रखना."
रेखा ने क्विंट से कहा

द क्विंट ने सुल्तानपुर माजरा से AAP विधायक मुकेश कुमार अल्हावत से संपर्क किया, लेकिन उनका कोई जवाब नहीं मिला. प्रतिक्रिया मिलने पर उनके बयान के साथ कॉपी अपडेट की जाएगी.

ट्रायल शुरू: पीड़ित परिवार की मांग- 'इंसाफ चाहिए'

जुलाई में, आरोप पत्र दायर होने के तीन महीने बाद, दिल्ली की रोहिणी अदालत ने आरोपियों पर हत्या, आपराधिक साजिश, सबूतों को गायब करने और अपराधियों को शरण देने का आरोप लगाया.

मामले की सुनवाई 21 सितंबर को शुरू हुई. कोर्ट की वेबसाइट के मुताबिक अदालत इस मामले में अभियोजन पक्ष के साक्ष्यों पर सुनवाई कर रही है. अगली सुनवाई 28 फरवरी 2024 को है.

इस बीच, अंजलि के परिवार की तीन मांगें थीं: जो हुआ उसके लिए न्याय, रेखा के लिए नौकरी और बच्चों के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा.

रेखा ने द क्विंट से बात करते हुए कहा कि अंजलि और मेरे परिवार के साथ जो हुआ वह किसी और के साथ नहीं होना चाहिए. मेरे दुश्मन के साथ भी नहीं. हमें इंसाफ चाहिए. मैं सरकार से गुजारिश करती हूं कि वह अगले 3-4 सालों तक मेरे परिवार को नौकरी और मदद मिले.

लेकिन अंशिका के लिए यह उसकी बहन द्वारा कही गई आखिरी बात है, जो अभी भी 'उसके दिमाग में घूम रही है.' 31 दिसंबर 2022 को काम पर जाने से पहले, अंजलि ने अंशिका से कहा था कि वह "अपने परिवार का ख्याल रखे."

15 साल की बच्ची ने कहा कि "यह एक लाइन मेरे दिमाग में पिछले एक साल से घूम रही है. जैसे दीदी ने हमारा ख्याल रखा, वैसे ही मैं अपनी मां और भाइयों का ख्याल रखूंगी."

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

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