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पश्चिमी दिल्ली के मुंडका मेट्रो स्टेशन के पास तीन मंजिला बिल्डिंग में भीषण आग (Delhi Mundka Fire) लगने के लगभग 24 घंटे बाद भी घटनास्थल पर रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है. इस घटना में कम-से-कम 27 लोगों की जलकर मौत हो चुकी है जबकि 29 लोग अभी भी लापता हैं. ऐसे में जो इसमें से सही सलामत बचकर बाहर आ गए हैं वो अपने साथ आग लगने और अपने दूसरे साथियों को पीछे छोड़ आने का भयावह अनुभव भी साथ लाए हैं. क्विंट ने ऐसे ही कुछ सर्वाइवर से बात की.
शुक्रवार, 13 मई को आग लगने वाली बिल्डिंग में मौजूद पुष्पा पंवार ने क्विंट को बताया कि कई लोगों को खुद को बचाने के लिए खिड़कियों से कूदना पड़ा. उन्होंने बताया कि "जब हमारी मीटिंग चल रही थी तभी बिजली चली गई. मीटिंग में हम में से 70-80 थे. हमारे मालिक ने एक आदमी को इन्वर्टर चालू करने के लिए कहा. जब वह ऐसा करने के लिए नीचे जा रहा था, तो उसने देखा कि आग लगी है धुआं-धुआं हो गया है."
पुष्पा पंवार ने बताया कि इस कंपनी में 300 लोग काम करते थे. पुष्पा यहां 9 महीने से काम कर रही हैं.
तीन मंजिला बिल्डिंग में भीषण अग्नि कांड की चश्मदीद गवाह और सर्वाइवर शाजिया परवीन ने क्विंट से बात करते हुए कहा कि "उस समय हम मीटिंग में थे. हमें नहीं पता आग कैसे लगी. जब आग तीसरी मंजिल पर पहुंची तो हमे पता चला. मीटिंग चौथे मंजिल के ऑफिस में चल रही थी."
चौथी मंजिल से रस्सी पकड़ कर नीचे आने के कारण शाजिया परवीन की पूरी हथेली छिल गयी है. शाजिया परवीन के अनुसार अभी भी 150-200 लोग बिल्डिंग के अंदर हैं.
शाजिया परवीन ने आगे बताया कि मीटिंग में उस समय मोटिवेशन स्पीच चल रही थी कि अचानक आग लग गई. शाजिया परवीन ने कहा, 'सर हमसे पूछ रहे थे कि कंपनी के भविष्य के लिए हम क्या कर सकते हैं और वो हमें कुछ बड़ा करने के लिए प्रेरित कर रहे थे"
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