COVID महामारी के दौरान डॉक्टरों को कोरोना वॉरियर्स का नाम दिया गया. इतना ही नहीं अपनी जान जोखिम में डालकर इलाज कर रहे डॉक्टरों के सम्मान में ताली और थाली भी बजाई गई. लेकिन दिल्ली में नॉर्थ एमसीडी के हॉस्पिटलों के डॉक्टर और अन्य कर्मचारी लगातार पिछले कई महीनों से प्रताड़ित हो रहे हैं. उनकी जेब में करीब तीन महीने से एक भी पैसा नहीं आया है. हर बार उन्हें अपनी सैलरी के लिए तीन महीने का इंतजार करना पड़ता है. जिसे लेकर 3 अस्पतालों के डॉक्टर पिछले कई दिनों से प्रदर्शन कर रहे हैं और अब सभी मिलकर जंतर-मंतर पर अपनी ही सैलरी के लिए प्रदर्शन करने जा रहे हैं.
आज से करीब तीन महीने पहले भी नॉर्थ एमसीडी में काम कर रहे डॉक्टरों और अन्य कर्मचारियों का कुछ यही हाल था. तब भी उन्हें तीन महीने से उनकी सैलरी नहीं मिली थी.
क्विंट ने जून में डॉक्टरों की ये स्टोरी की थी. साथ ही हाईकोर्ट ने भी इस मामले का संज्ञान लिया था. जिसके बाद आखिरकार कर्मचारियों और डॉक्टरों को उनकी सैलरी दी गई.
16 अक्टूबर को जंतर-मंतर पर प्रदर्शन
लेकिन एक बार फिर रेजिडेंट डॉक्टरों के सामने वही हालात खड़े हो चुके हैं. वो पिछले कई दिनों से अपने-अपने अस्पतालों में ही प्रोटेस्ट कर रहे थे, लेकिन उनकी कोई भी नहीं सुन रहा था. अब नॉर्थ एमसीडी के तीन हॉस्पिटलों के कर्मचारी और डॉक्टरों ने दिल्ली के जंतर-मंतर पर अपनी सैलरी के लिए प्रदर्शन करने का फैसला किया है.
क्विंट ने एक बार फिर नॉर्थ एमसीडी के इन तीनों अस्पतालों के डॉक्टरों से बात की और जाना कि उन्हें क्या परेशानी झेलनी पड़ रही है. नॉर्थ एमसीडी के इन तीन हॉस्पिटलों में हिंदुराव हॉस्पिटल, कस्तूरबा गांधी हॉस्पिटल और राजन बाबू हॉस्पिटल शामिल हैं.
हिंदूराव हॉस्पिटल के डॉक्टर अभिमन्यु सरदाना ने बताया कि कैसे उन्हें हर बार अपनी ही सैलरी के लिए लड़ना पड़ता है. उन्होंने बताया कि त्योहारों का सीजन है और ऐसे में उनकी सैलरी नहीं आ रही है. साथ ही डॉक्टरों और अन्य स्टाफ को प्रदर्शन करने को लेकर धमकाया भी जा रहा है. डॉक्टर सरदाना ने कहा,
“हम पिछले करीब 10 दिनों से हम हॉस्पिटल में ही प्रदर्शन कर रहे हैं. हमारी सबसे पहले यही मांग है कि हमें पिछले महीनों की बकाया सैलरी तुरंत दी जाए. इसके अलावा हमारी दूसरी मांग ये है कि हर महीने वक्त पर हमें अपनी सैलरी मिले. साथ ही अब प्रदर्शन को लेकर कुछ डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ को हॉस्पिटल प्रशासन की तरफ से डराया जा रहा है कि उनका कॉन्ट्रैक्ट रिन्यू नहीं किया जाएगा, साथ ही कुछ ट्रेनी डॉक्टरों को कहा जा रहा है कि उनके सर्टिफिकेट में अच्छा रिमार्क नहीं किया जाएगा.”डॉक्टर अभिमन्यु सरदाना, हिंदूराव हॉस्पिटल
हालांकि डॉक्टरों के लगातार प्रदर्शन के बाद और अब जंतर-मंतर जाने के ऐलान के बाद नॉर्थ एमसीडी की तरफ से डॉक्टरों को 1 महीने की सैलरी दे दी गई है. डॉक्टर सरदाना ने बताया कि कुछ देर पहले ही उन्हें सैलरी का मैसेज आया है, लेकिन वो पूरे तीन महीने की सैलरी चाहते हैं.
पैसों की सख्त जरूरत
वहीं दूसरे राजन बाबू हॉस्पिटल के डॉक्टर महेंद्रन ने भी कुछ यही कहानी बताई. उन्होंने कहा कि अब हालात ये है कि हम क्रेडिट कार्ड पर गुजारा कर रहे हैं. हर चीज का बिल चुकाना है तो पैसे की जरूरत है. डॉक्टर महेंद्रन ने कहा,
“इस बार फाइनेंशियल ईयर खत्म होने के बाद ही हमें करीब तीन-चार महीने बाद सैलरी मिली थी. इसके लिए पहले भी हम विरोध करते आए हैं. अब फिर से तीन महीने की सैलरी अटकी है. इसके लिए नॉर्थ एमसीडी कहती है कि हमारे पास फंड नहीं है. लेकिन हम तो अपना काम लगातार कर रहे हैं, ऐसे में हम सैलरी के लिए इतना इंतजार क्यों करें? यहां दिल्ली में जो मेडिकल स्टूडेंट्स आते हैं उन्हें रेंट पर रहना होता है, तो ऐसे में हमारे जैसे डॉक्टरों के लिए गुजारा काफी मुश्किल हो जाता है.”डॉक्टर महेंद्रन, राजन बाबू हॉस्पिटल
डॉक्टर ने बताया कि लगातार वो कोरोना से भी लड़ रहे हैं और अपनी सैलरी के लिए भी अब उन्हें लड़ना पड़ रहा है. हाल ही में उनके दो स्पेशलिस्ट डॉक्टरों को कोरोना हुआ है. रेस्पेरेटरी डॉक्टर होने के नाते हम सरकार को लगातार सेवाएं दे रहे हैं.
लेट सैलरी का गलत ट्रेंड
तीसरा हॉस्पिटल जो जंतर-मंतर के प्रदर्शन में हिस्सा लेने जा रहा है वो है नॉर्थ एमसीडी का कस्तूरबा हॉस्पिटल, इस हॉस्पिटल में काम करने वाले डॉक्टर सुनील का कहना है कि पिछले करीब 7-8 महीने से यही हाल हैं. हर महीने उन्हें बच्चों की फीस और ईएमआई चुकानी होती है, लेकिन सैलरी नहीं आती. ऐसे में वो हर तरह से प्रताड़ित हो रहे हैं. डॉक्टर सुनील ने कहा,
“हमारा मुद्दा अब ये है कि सैलरी डिले नहीं होनी चाहिए. इन लोगों ने ये ट्रेंड बना दिया है, जब हम लोग प्रोटेस्ट करने उतरते हैं तो ये लोग लॉलीपॉप की तरह हमें एक महीने की सैलरी भेज देते हैं. लेकिन कब तक ऐसा चलेगा? अगर हम विरोध नहीं करेंगे तो ये लोग 4-5 महीने की सैलरी भी नहीं देंगे. हम लोग हाई रिस्क में पूरे हफ्ते काम कर रहे हैं, जबकि केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार के जो कर्मचारी हैं वो हफ्ते में कुछ ही दिन काम कर रहे हैं, लेकिन 1 तारीख को सैलरी मिल जाती है.”डॉक्टर सुनील, कस्तूरबा हॉस्पिटल- दिल्ली
चेयरमैन ने फिर दिल्ली सरकार पर फोड़ा ठीकरा
हमने डॉक्टरों से बातचीत करने के बाद नॉर्थ एमसीडी के चेयरमैन जय प्रकाश से भी इस मामले को लेकर बात की. जिसमें उन्होंने एक बार फिर इसका ठीकरा दिल्ली सरकार के सिर पर फोड़ दिया. उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार ने पिछले 5 महीने से एक भी रुपया नहीं दिया. हमारा बीटीए का करीब 25 करोड़ रुपये का फंड नहीं दिया जा रहा है. चेयरमैन ने कहा,
“डॉक्टरों को इस वक्त अपना फर्ज अदा करना चाहिए. इससे लोगों का ही नुकसान होगा. सिर्फ दो महीने की सैलरी बाकी है. आने वाले दिनों में उन्हें एक महीने की सैलरी और दे देंगे. नगर निगम में 55 हजार कर्मचारी हैं, सफाई कर्मचारी भी हैं, जिनकी दो महीने की सैलरी बाकी है. अगर वो हड़ताल पर गए तो क्या होगा. हमें हर विभाग को देखना है. पेंशनर्स को भी 4-5 महीने की पेंशन नहीं मिल पाई है. हमारी एक महीने की कुल सैलरी 350 करोड़ रुपये है. इसे ठीक करने के लिए लगातार कोशिश जारी है.”
‘तीन महीने में सब ठीक हो जाएगा’
नॉर्थ एमसीडी के चेयरमैन ने कहा कि वो फंड के लिए दिल्ली सरकार से लगातार बातचीत की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि अगले हफ्ते मैंने सीएम से समय मांगा है, नहीं तो मैं उनके घर पर जाकर बैठ जाऊंगा. साथ ही चेयरमैन ने बताया कि वो केंद्र सरकार से भी इस समस्या को लेकर बातचीत कर रहे हैं.
जब हमने चेयरमैन से पूछा कि आखिर कब तक कर्मचारियों को ऐसे अपनी सैलरी का महीनों तक इंतजार करना होगा तो उन्होंने बताया कि अगले तीन महीने में सब कुछ नॉर्मल हो जाएगा.
अब भले ही चेयरमैन नॉर्मल होने की बात कर रहे हों, लेकिन नॉर्थ एमसीडी में काम कर रहे छोटे से लेकर बड़े कर्मचारियों तक सभी लोग अपनी ही सैलरी के लिए तरस रहे हैं. एक तरफ कोरोना की मार और दूसरी तरफ खाली जेब से वो काफी ज्यादा परेशान हैं, इसीलिए अब उन्होंने प्रदर्शन शुरू कर दिया है. कोरोना वॉरियर्स अगर इस हाल में होंगे तो उन्हें कोरोना के साथ-साथ अपने ही पैसों के लिए जंग लड़नी होगी.
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