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दिवाली पर दिल्ली में प्रदूषण चरम पर, कई इलाकों में स्थिति गंभीर

दिल्ली में वायु गुणवत्ता के लिए दिवाली के कारण 15 अक्टूबर से 15 नवंबर का समय बहुत संवेदनशील माना जाता है

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दिल्ली में वायु गुणवत्ता के लिए दिवाली के कारण 15 अक्टूबर से 15 नवंबर का समय बहुत संवेदनशील माना जाता है
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दिल्ली में वायु गुणवत्ता के लिए दिवाली के कारण 15 अक्टूबर से 15 नवंबर का समय बहुत संवेदनशील माना जाता है
(फोटोः IANS)

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राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में रविवार को वायु गुणवत्ता के ‘गंभीर’ स्तर पर पहुंचने का अनुमान है. इसकी वजह है दिवाली पर पटाखों का धुंआ और पड़ोसी राज्यों में पराली का जलना.

दिल्ली में सुबह के समय वातावरण में जहरीली धुंध की चादर छायी रही और सुबह 9 बजे तक वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 313 और दोपहर ढाई बजे 341 दर्ज किया गया. एक दिन पहले शनिवार को दिल्ली का एक्यूआई 302 था, जो "बहुत खराब" कैटेगरी में आता है.

दिल्ली सरकार के वायु गुणवत्ता मॉनिटर के अनुसार, आनंद विहार में पीएम 10 का स्तर 515 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर तक पहुंच गया. वजीरपुर और बवाना में, पीएम 2.5 का स्तर 400 प्वाइंट को पार कर गया.

दिल्ली के 37 वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशनों में से नौ स्टेशनों में सूचकांक "बहुत खराब" कैटेगरी या उससे भी ज्यादा दर्ज किया गया. फरीदाबाद में एक्यूआई 318, गाजियाबाद में 397, ग्रेटर नोएडा में 315 और नोएडा में 357 रहा.

दिवाली पर दिल्ली में प्रदूषण चरम पर

पिछले साल शहर में दिवाली के अगले दिन आठ नवंबर को वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 642 था जो अति गंभीर आपात श्रेणी में आता है. साल 2017 में दिवाली के बाद सूचकांक 367 था.

शून्य से 50 के बीच के एक्यूआई को ‘अच्छा’, 51 से 100 को ‘संतोषजनक’, 101 से 200 को ‘मध्यम’, 201 से 300 को ‘खराब’, 301 से 400 को ‘बहुत खराब’ और 401 से 500 को ‘गंभीर’ और 500 से ऊपर को अति गंभीर आपात स्थिति की श्रेणी में रखा जाता है.

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15 अक्टूबर से 15 नवंबर तक स्थिति गंभीर

दिल्ली में वायु गुणवत्ता के लिए दिवाली के कारण 15 अक्टूबर से 15 नवंबर का समय बहुत संवेदनशील माना जाता है. इस अवधि में दिवाली में पटाखे जलाने और पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने की घटनाओं दिल्ली में वायु गुणवत्ता बुरी तरह प्रभावित होती है.

दिवाली के आसपास दिल्ली की वायु गुणवत्ता के खतरनाक स्तर तक पहुंच जाने के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल पटाखे जलाने पर पाबंदी लगाकर सिर्फ हरित पटाखे बनाने और बेचने की अनुमति दी थी जिनसे 30 फीसदी कम प्रदूषण फैलता है.

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