Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Videos Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Feature Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019इस दिवाली मिलिए धारावी में दीया बनाने वालों की अंतिम पीढ़ी से!

इस दिवाली मिलिए धारावी में दीया बनाने वालों की अंतिम पीढ़ी से!

कुम्हार परिवारों ने मुंबई के धारावी को सबसे बड़ा दीया बाजार बनाया

ब्‍लूमबर्गक्‍व‍िंट
फीचर
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दुनिया की सबसे बड़ी झुग्गी-बस्ती धारावी में में 10 करोड़ दीये बनते हैं  
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दुनिया की सबसे बड़ी झुग्गी-बस्ती धारावी में में 10 करोड़ दीये बनते हैं  
(फोटो: iStock)

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दिवाली का मतलब क्या है? आतिशबाजी, मिठाई और परिवार के साथ समय बिताना.

लेकिन मुंबई के धारावी के दीया बनाने वालों के लिए, दिवाली यानी उनकी आजीविका, रोजी रोटी है.

38 साल की प्रेमिला प्रकाश ने बचपन से मिट्टी के बर्तन बनाने का काम किया है और उन्हें सिर्फ यही आता है. प्रेमिला की तरह ही यहां ऐसे कई लोग हैं जिनका सहारा यही काम है क्योंकि वो स्कूली शिक्षा से दूर रहें.

प्रेमिला की तरह, वाला अरविंद कुमार ने भी अपना समय दीया बनाते हुए गुजारा है. वो अभी 50 साल के हैं, और35 सालों से इस धंधे में हैं. लेकिन वो अपने परिवार के अंतिम सदस्य होंगे जो इस पेशे में हैं क्योंकि वो नहीं चाहते कि उनके बच्चे उनके नक्शेकदम पर चलें और ये काम करें. अरविंद ने अपने बच्चों को शिक्षा देने पर ध्यान दिया ताकि वो इस काम से दूर रहें और एक अच्छी जिंदगी जिएं.

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“जब हम छोटे थे, तो हमें पढ़ाई में मन नहीं लगता था. हमें अपने घर की हालत देखकर बुरा भी लगता ता. एक व्यक्ति कमाता था, तो 5-6 लोगों का पेट भरता था.”
वाला अरविंद कुमार

प्रेमिला के बच्चों ने अपनी पढ़ाई पूरी कर ली है और अब नौकरी की तलाश कर रहे हैं. अरविंद अपने बच्चों को उनके पेशे में एंट्री करते हुए नहीं देखना चाहते.

धारावी की झुग्गियों में सैकड़ों की संख्या में ऐसे ही कई कुम्हारों का घर है, अगर इनमें से हजारों कहानियां निकलती हैं. दिवाली के मौके पर सुनिए उनकी कहानियां.

(ये लेख मूल रूप से ब्लूमबर्गक्विंट पर प्रकाशित हुआ था और अनुमति के साथ इसे क्विंट हिंदी की वेबसाइट पर प्रकाशित किया गया है.)

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