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दिवाली (Diwali) पर हर साल की तरह इस साल भी काफी प्रदूषण (Pollution) देखने को मिला. दिल्ली सरकार के बैन के बावजूद पटाखे जलाए गए. दिवाली के दिन और इसके अगले दिन हवा बहुत खराब कैटेगिरी में रही, लेकिन इसके बावजूद अच्छी खबर ये है कि इस साल प्रदूषण की मात्रा पिछले सालों के मुकाबले कम थी. 2015 के बाद से इस बार दिवाली के अगले दिन सबसे कम प्रदूषण देखने को मिला.
सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार, इस साल दिवाली के दिन AQI 312 दर्ज किया गया, जबकि इसके अगले दिन 25 अक्टूबर को AQI 303 रहा. 300 से 400 के बीच का AQI काफी खराब श्रेणी का माना जाता है. दिवाली के दिन की हवा इस साल 2019 के बाद से सबसे साफ रही है, जबकि दिवाली के अगले दिन की हवा 2015 के बाद से सबसे साफ दर्ज की गई.
इस साल प्रदूषण को कम रखने में 3 अहम कारक
मौसमी कारक
कम पराली जलाना
कम पटाखे जलाना
इस साल प्रदूषण को कम रखने में मौसम की भी एक भूमिका है. SAFAR के प्रोजेक्ट फाउंडर गुफरान बेग ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा कि हवा के गति ने इस बार प्रदूषित कणों को रोकने में मदद की है और इस साल दिवाली पहले पड़ने से तापमान भी पहले की अपेक्षा गर्म है. बेग ने कहा कि
"ऐसा लगता है कि इस बार पिछली बार कि अपेक्षा इस साल कम पटाखे जलाए गए हैं. हवा की गुणवत्ता जितनी खराब हो सकती थी उतनी खराब नहीं हुई. हालांकि, प्रदूषण में पटाखों का कितना योगदान रहा इस बारे में अभी जानकारी नहीं है और पता करने में कुछ दिन और लग सकते हैं."
इस साल हरियाणा, पंजाब में पराली जलाने के मामलों में भी कमी देखी गई. हवा की दिशा सोमवार से ही दिल्ली के पश्चिम और दक्षिण पश्चिम के तरफ है, इसी वजह से पराली जलाने का धुंआ दिल्ली की तरफ ज्यादा नहीं पहुंच सका.
SAFAR के अनुसार, मंगलवार को दिल्ली में पराली जलाने से प्रदूषण का प्रतिशत पीएम 2.5 के स्तर पर करीब 5.6 फीसदी था, जबकि पिछले साल दिवाली के दिन (4 नवंबर) दिल्ली की हवा में पराली से हुए प्रदूषण का योगदान 25% और दिवाली के अगले दिन 36 फीसदी था.
IIT कानपुर के प्रोफेसर, सचिदानंद त्रिपाठी ने भी एक्सप्रेस से ही बातचीत में कहा कि कुछ मौसमी कारणों का असर देखने को मिला है. उन्होंने कहा कि तापमान ज्यादा और हवा की गति तेज रहने से इस बार प्रदूषण कम देकने को मिला.
विज्ञान और पर्यावरण केंद्र, रिसर्च एवं एडवोकेसी की कार्यकारी निदेशक अनुमिता रॉय चौधरी ने भी इस बार प्रदूषण कम रहने के पीछे इन्हीं कारणों पर सहमति जताई.
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के आंकड़ों के मुताबिक, पंजाब में 15 सितंबर से 25 अक्टूबर तक 5,798 पराली जलाने की घटनाएं दर्ज की गई हैं. यह पिछले साल 25 अक्टूबर तक दर्ज 6,134 के आंकड़े से कम है.
इनपुट- इंडियन एक्सप्रेस
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Published: 26 Oct 2022,12:35 PM IST