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4 Years to Delhi Riots: चार साल पहले फरवरी 2020 में, पूर्वोत्तर दिल्ली की सड़कें राष्ट्रीय राजधानी में कई दशकों के सबसे हिंसक सांप्रदायिक झड़पों से दहल उठी थीं, जिसमें 53 लोग मारे गए और सैकड़ों घायल हुए थे.
तीन दिन तक चले दंगों में शहर के खजूरी खास, भजनपुरा, गोकुलपुरी और जाफराबाद इलाके बुरी तरह चपेट में आए थे. राजधानी में कई घर बर्बाद हो गए, दुकानों में तोड़फोड़ की गई और गाड़ियों को आग लगा दी गई. आठ मस्जिदें, दो मंदिर, दो मदरसे और एक दरगाह को हिंसा का दंश झेलना पड़ा.
ये दंगे शहर के कई इलाकों में विवादास्पद नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ महीनों चले विरोध प्रदर्शन के बाद हुए थे.
दिल्ली पुलिस ने दंगों के सिलसिले में 2,619 लोगों को गिरफ्तार किया था. टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित पुलिस के आंकड़ों के मुताबिक, इनमें से 2,094 जमानत पर बाहर हैं जबकि 172 जेल में बंद हैं.
आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता (IPC), 1860 और कठोर गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) कानून (UAPA), 1967 की तमाम धाराओं के तहत आरोप लगाए गए हैं. चार साल बाद इनमें से छह आरोपी जमानत पर बाहर हैं, जबकि बाकी 12 जेल में बंद हैं. पिछले 48 महीनों में उनकी जमानत याचिकाओं पर कई बार सुनवाई हुई और उन्हें खारिज कर दिया गया.
द क्विंट आपको इन 18 आरोपियों के खिलाफ चल रहे मामलों के स्टेटस के बारे में बता रहा है.
खालिद सैफी को 21 मार्च 2020 को गिरफ्तार किया गया था और दिल्ली दंगों में उनकी कथित भूमिका के लिए उनके खिलाफ तीन FIR दर्ज की गई थीं. इनमें से दो मामलों में सैफी को जमानत मिल गई थी, लेकिन FIR संख्या 59 की वजह से वह जेल में हैं. उनकी जमानत याचिका पहली बार 8 अप्रैल 2022 को ट्रायल कोर्ट ने खारिज कर दी थी. नवंबर 2023 में बेंच में बदलाव के बाद अब दिल्ली हाई कोर्ट में नए सिरे से सुनवाई हो रही है.
रेबेका जॉन ने यह भी दावा किया कि खालिद सैफी को हिरासत में टॉर्चर किया जा रहा है. वह लगभग 1,450 दिन जेल में बिता चुके हैं.
IIT ग्रेजुएट शरजील इमाम, जो बाद में JNU में इतिहास के छात्र बन गए थे, उन पर 16 जनवरी 2020 को CAA के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) में उनके भाषण के वायरल होने के बाद हिंसा भड़काने का आरोप लगाया गया था. उन्हें 28 जनवरी 2020 को गिरफ्तार किया गया और करीब सात महीने बाद, शरजील पर नए अपराधों का आरोप लगाया गया और FIR संख्या 59 में उनका नाम डाला गया.
उनकी जमानत याचिका पहली बार दो साल पहले खारिज की गई थी. 17 फरवरी को CrPC की धारा 436A के तहत वैधानिक जमानत की उनकी याचिका दिल्ली की एक अदालत ने खारिज कर दी. CrPC की धारा 436A कहती है कि अगर किसी ने अपराध के लिए तय अधिकतम सजा की आधी से ज्यादा अवधि हिरासत से बिता ली है तो उसे रिहा किया जा सकता.
आरोप तय करने के खिलाफ शरजील की अपील पर 8 मार्च को दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई होनी है. उन्होंने करीब 1,500 दिन जेल में बिताए हैं.
जामिया मिल्लिया इस्लामिया के PhD स्कॉलर और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) की दिल्ली इकाई की यूथ विंग के अध्यक्ष मीरान हैदर को 1 अप्रैल 2020 को गिरफ्तार किया गया था. दिल्ली पुलिस ने उन पर दंगों के लिए फंडिंग करने का आरोप लगाया है. दिल्ली की एक अदालत ने उनकी जमानत याचिका 5 अप्रैल 2022 को खारिज कर दी थी और अभी दिल्ली हाई कोर्ट में लंबित है.
नवंबर 2023 में बेंच में बदलाव (जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल को मणिपुर हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के रूप में प्रमोट किया गया) के चलते इस साल केस की नए सिरे से सुनवाई हुई. मीरान हैदर करीब 1,400 दिन जेल में बिता चुके हैं.
उमर खालिद को 13 सितंबर 2020 को दिल्ली दंगों में कथित तौर पर “प्रमुख साजिशकर्ता” होने के आरोप में UAPA के तहत गिरफ्तार किया गया था. उनकी जमानत याचिका को पहले 24 मार्च 2022 को एक ट्रायल कोर्ट ने और फिर 18 अक्टूबर 2022 को दिल्ली हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया था. उमर खालिद को 12 दिसंबर 2022 को एक हफ्ते की अंतरिम जमानत दी गई, लेकिन सख्त पाबंदियों के साथ.
उन्होंने पिछले साल अप्रैल में सुप्रीम कोर्ट में एक विशेष अनुमति याचिका (SLP) दायर की थी, लेकिन मामला– कम से कम 13 बार टल गया– तब से कोई खास सुनवाई नहीं हुई है. 14 फरवरी को, उमर खालिद ने “परिस्थितियों में बदलाव” की वजह से अपनी जमानत याचिका वापस ले ली और कहा कि वह ट्रायल कोर्ट में नए सिरे से जमानत मांगेंगे. उन्होंने लगभग 1,250 दिन जेल में बिताए हैं.
दिल्ली विश्वविद्यालय की पूर्व छात्रा, MBA ग्रेजुएट और रेडियो जॉकी गुलफिशा फातिमा को 9 अप्रैल 2020 को गिरफ्तार किया गया था. दिल्ली दंगों से जुड़े चार मामलों का उन पर आरोप लगाया गया था, लेकिन FIR संख्या 59 को छोड़कर सभी में जमानत मिल गई है. उनकी गिरफ्तारी के दो महीने बाद उनके माता-पिता ने दिल्ली हाई कोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण (हैबियस कॉर्पस) याचिका दायर की, लेकिन इसे खारिज कर दिया गया.
अक्टूबर 2020 में और फिर मार्च 2022 में उन्हें जमानत देने से इन्कार कर दिया गया. एक साल बाद दिल्ली हाई कोर्ट में उनकी तरफ से दायर जमानत याचिका पर जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और जस्टिस रजनीश भटनागर की खंडपीठ ने आदेश सुरक्षित रख लिया था. लेकिन नवंबर 2023 में बेंच में बदलाव के चलते इस साल मामले की नए सिरे से सुनवाई हुई. गुलफिशा ने करीब 1,400 दिन जेल में बिताए हैं.
शिफा-उर-रहमान को 26 अप्रैल 2020 को गिरफ्तार किया गया था. दो साल बाद ट्रायल कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी. 9 जनवरी को, दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से 2021 में अदालत द्वारा जमानत दिए गए लोगों से शिफा-उर-रहमान की भूमिका को अलग करने के लिए एक तुलनात्मक चार्ट दाखिल करने को कहा. उन्होंने 1,400 से अधिक दिन जेल में बिताए हैं.
तस्लीम अहमद को 24 जून 2020 को गिरफ्तार किया गया था और तब से वह जेल में हैं. दिल्ली की एक अदालत ने उनकी जमानत याचिका पहले 16 मार्च 2022 को और फिर 22 फरवरी को खारिज कर दी थी. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश समीर बाजपेयी ने पिछले आदेश की पिछली टिप्पणियों से सहमति जताई कि अहमद के खिलाफ “गहरी साजिश” के आरोप पहली नजर में सच लगते हैं.
ताहिर हुसैन को 6 अप्रैल 2020 को गिरफ्तार किया गया था और जुलाई 2022 में दिल्ली दंगों से जुड़े पांच और मामलों में जमानत मिलने के बावजूद वह FIR संख्या 59 के तहत जेल में बंद हैं. पिछले साल सितंबर में उन्हें एक दूसरे मामलों में जमानत दी गई थी, मगर वह तकरीबन 1,400 दिन से जेल में हैं.
सलीम मलिक को 25 जून 2020 को गिरफ्तार किया गया था और अक्टूबर 2022 में दिल्ली की एक अदालत ने उनकी जमानत यह कहते हुए खारिज कर दी थी कि उन्होंने दंगों की योजना बनाने के लिए “साजिश रचने की बैठकों” में हिस्सा लिया था. मगर फिर एक महीने बाद उनकी अपील को दिल्ली हाई कोर्ट में लिस्ट किया गया.
दिल्ली हाई कोर्ट ने 9 जनवरी को दिल्ली पुलिस से सलीम मलिक की भूमिका को उन लोगों से अलग करने के लिए एक तुलनात्मक चार्ट दाखिल करने को कहा, जिन्हें 2021 में अदालत द्वारा जमानत दी गई है. उन्होंने तकरीबन 1,340 दिन जेल में बिताए हैं.
अतहर खान को 2 जुलाई 2020 को गिरफ्तार किया गया था और अक्टूबर 2022 में ट्रायल कोर्ट से खारिज होने के बाद उनकी जमानत याचिका दिल्ली हाई कोर्ट में लंबित है. पिछले साल नवंबर में पीठ में बदलाव के बाद मामले की नए सिरे से सुनवाई हो रही है. उन्होंने 1,330 दिन जेल में बिताए हैं.
शादाब अहमद, जो बताया जाता है कि दिल्ली में एक फैक्ट्री सुपरवाइजर के तौर पर काम करते थे, को 20 मई 2020 को गिरफ्तार किया गया था और तब से वह जेल में हैं. पिछले साल दिसंबर में उन्होंने मेडिकल ग्राउंड पर कम से कम 90 दिनों की अंतरिम जमानत की मांग की थी. लेकिन अदालत ने पाया कि उनका “जेल में टीबी का सही इलाज” किया जा रहा है और उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी. उन्होंने 1,373 दिन जेल में बिताए हैं.
सलीम खान, उसी इलाके में एक गारमेंट एक्सपोर्ट यूनिट के मालिक हैं जहां दंगे भड़के थे. इनको 13 मार्च 2020 को गिरफ्तार किया गया था. इनकी जमानत याचिका दो साल बाद एक ट्रायल कोर्ट ने खारिज कर दी थी. पिछले साल नवंबर में पीठ में बदलाव के बाद दिल्ली हाई कोर्ट उनकी जमानत याचिका पर नए सिरे से सुनवाई कर रहा है.
अपनी बेटी को डेंटल क्लिनिक शुरू करने में आर्थिक मदद करने के लिए 21 नवंबर 2023 को दी गई दो हफ्ते की अंतरिम जमानत को छोड़कर, सलीम खान लगभग 1400 दिनों से जेल में हैं.
मोबाइल सेल्समैन मोहम्मद फैजान खान को 29 जून 2020 को गिरफ्तार किया गया था, चार महीने बाद उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया. जामिया मिल्लिया इस्लामिया की स्टूडेंट एक्टिविस्ट सफूरा जरगर को 13 अप्रैल 2020 को गिरफ्तार किया गया था और करीब दो महीने बाद मानवीय आधार पर उन्हें जमानत दे दी गई, क्योंकि वह तब छह महीने की गर्भवती थीं.
पूर्व कांग्रेस पार्षद और वकील इशरत जहां को 21 मार्च 2020 को गिरफ्तार किया गया था और दो साल जेल में बिताने के बाद सेशन कोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी थी.
जेएनयू की रिसर्च स्कॉलर और जेंडर एक्टिविस्ट ‘पिंजरा तोड़’ आंदोलन की को-फाउंडर नताशा नरवाल और देवांगना कलिता को एक साल से ज्यादा जेल में बिताने के बाद 15 जून 2021 को दिल्ली हाई कोर्ट ने जमानत दे दी.
जामिया मिल्लिया इस्लामिया के पूर्व स्टूडेंट एक्टिविस्ट और स्टूडेंट्स इस्लामिक ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इंडिया के सदस्य आसिफ इकबाल तन्हा को 19 मई 2020 को गिरफ्तार किया गया था. उन्हें करीब 13 महीने बाद दिल्ली हाई कोर्ट ने जमानत दे दी थी.
(नोट: जेल में बिताए दिनों की काउंटिंग डेट कैलकुलेटर ऐप की मदद से की गयी है.)
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