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UAPA के आरोपी और JNU के पूर्व छात्र उमर खालिद (Umar Khalid) के वकील ने 4 अक्टूबर को कोर्ट को दिए आवेदन में कहा है कि दिल्ली पुलिस की पूछताछ के दौरान 'उमर खालिद ने किसी भी बयान या फिर दस्तावेज पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं'.
उमर खालिद के हस्ताक्षर किए हुए आवेदन पर तिहाड़ जेल कॉम्पलेक्स के डिप्टी मजिस्ट्रेट को संबोधित करके लिखा है कि 'आरोपी आवेदनकर्ता ने पहले ही माननीय कोर्ट को ये बताया है कि तीन दिन की पुलिस कस्टडी के दौरान उसने किसी भी बयान पर दस्तखत नहीं किए हैं. इसे ही ऑन रिकॉर्ड लिया गया होगा.'
क्विंट को जो कोर्ट ऑर्डर मिला है उसमें आरोपी और उनके वकील सान्या कुमार और रक्षंदा डेका ने जो आवेदन दिया था, उसका जिक्र नहीं किया गया है.
ये दूसरी बार है जब उमर खालिद बता रहे है कि उन्होंने कस्टडी के दौरान किसी भी बयान या दस्तावेज पर दस्तखत नहीं किए हैं. इसके पहले ऐसा ही आवेदन तब दिया गया था जब उमर खालिद की दिल्ली पुलिस के साथ 10 दिन की पुलिस कस्टडी 24 सितंबर को खत्म हुई थी. तब भी खालिद ने कोर्ट को यही बताया था कि 'उन्होंने पुलिस कस्टडी के दौरान किसी भी दस्तावेज या बयान पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं.' तब FIR 59 के तहत उमर खालिद की कस्टडी ली गई थी.
लेकिन इस बार उमर खालिद को FIR 101 के तहत कस्टडी में लिया गया. इसमें उत्तर पूर्वी दिल्ली के खजूरी खास में हुई हिंसा को लेकर जांच चल रही है.
द क्विंट ने उमर खालिद के वकील से पूछा कि दोनों कस्टडी खत्म होने के बाद आरोपी की तरफ से ये सबमिशन क्यों दिए गए. और अब तो औपचारिक तरीके से भी ये किया गया. ऐसा क्यों-
FIR 101 दूसरी एफआईआर है जिसमें उमर खालिद को गिरफ्तार किया गया है. इसके पहले उमर खालिद को FIR 59 के तहत दंगा करने और आपराधिक षड्यंत्र बनाने के आरोपों में 13 सितंबर को UAPA के तहत गिरफ्तार किया गया था. अब वो दोनों FIR के तहत ज्यूडिशियल कस्टडी में है.
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