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दिल्ली के प्रदूषण की हर जगह चर्चा हो रही है. एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने दिल्ली के धुंध की तुलना लंदन में 1952 के 'ग्रेट स्मॉग' से की है. क्या आप जानते हैं कि 'ग्रेट स्मॉग' से इसकी तुलना किस खतरनाक हालात को बयां करता है? आइए हम आपको बताते हैं क्या है 'ग्रेट स्मॉग'.
65 साल पहले लंदन में 1952 में 5 दिसंबर से 9 दिसंबर तक 'ग्रेट स्मॉग' एक डिजास्टर बन कर आया था. लंदन जहरीली धुंध के मोटे कंबल से ढक गया था. विजिबिलिटी घट कर कुछ कदम तक की रह गई थी.
यूरोपियन इतिहास में ये 'ग्रेट स्मॉग' या 'बिग स्मोक' सबसे भयावह वायु प्रदूषण संकट साबित हुआ. कहा जाता है कि इससे 8,000 से 12,000 तक लोगों की जान चली गई थी.
वेबसाइट हिस्ट्री के मुताबिक, 5 दिसंबर 1952 को लंदन में सुबह आसमान साफ था, लेकिन अचानक ठंड काफी बढ़ गई. शहर भर के घरों और व्यवसायिक जगहों पर कोयले के फायरप्लेस जलाए गए, ताकि हवा में ठंडक थोड़ी कम हो.
दिन ढलने के साथ ही ठंडे और धुंध वाले मौसम के लिए फेमस बिग बेन, सेंट पॉल कैथेड्रल, लंदन ब्रिज जैसे शहरों में मौसम गहरा धुंधला हो गया. कुछ घंटों में, कोहरे का रंग पीला-भूरा होने लगा. लंदन के कारखानों, चिमनी और ऑटोमोबाइल से निकलने वाले हजारों टन धुएं हवा में मिल गए.
लंदन के लोगों ने इसपर कुछ खास ध्यान नहीं दिया और अपना काम चालू रखा. लेकिन एक दिन बाद इस संकट को नजरअंदाज करना असंभव हो गया.
बताया जाता है कि स्माॅग इतना गहरा था कि टहलते वक्त लोग अपने पैर नहीं देख पा रहे थे. 5 दिनों तक लंदन पैरालाइज्ड हो गया. अंडरग्राउंड ट्रेन छोड़ कर ट्रासपोर्टेशन सिस्टम ठप पड़ गया. फुटपाथ पर चिकनी काली परत बैठ गई थी, जिससे पैदल चलने वालों को फिसलने का डर था. मूवी थिएटर बंद कर दिए गए, क्योंकि पीली धुंध की वजह से स्क्रीन देख पाना नामुमकिन था.
आखिरकार, सल्फर से भरे नरक वाले मौसम में रहने के पांच दिनों बाद, 9 दिसंबर को ग्रेट स्मोक हटा, जब पश्चिम से आई तेज हवा लंदन से जहरीले बादल को बाहर उत्तरी सागर की तरफ बहा ले गई.
ब्रोंकाइटिस और न्यूमोनिया से होने वाली मौतों में सात गुना बढ़त हुई. लंदन के ईस्ट एंड में मौत की दर 9 गुना बढ़ी. शुरुआती रिपोर्टों का अनुमान था कि धुंध के तत्काल बाद करीब 4,000 लोगों की मौत हो गई थी.
सरकारी जांच के बाद संसद ने 1956 में स्वच्छ वायु अधिनियम पारित किया, जिसने शहरी इलाकों में कोयला जलाने को बैन किया और धूम्रपान-मुक्त क्षेत्र स्थापित करने के लिए लोकल काउंसिल को अधिकृत किया.
कोयले की जगह कोई और वैकल्पिक हीटिंग सिस्टम घरों में इस्तेमाल करने के लिए घर मालिकों को ग्रांट मिला.
..तो ये था ग्रेट स्माॅग का मंजर. बहरहाल भले ही दिल्ली की तुलना लंदन के ग्रेट स्माॅग से की गई हो लेकिन उम्मीद है कि भयावह नतीजे से पहले ही यहां कुछ एहतियाती कदम उठा लिए जाएं.
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