दिल्ली-एनसीआर में गैस चैंबर जैसे हालात से राहत मिलती नहीं दिख रही है. दिल्ली के उपमुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने प्रदूषण के खतरनाक स्तर को देखते हुए राष्ट्रीय राजधानी के स्कूलों और कॉलेजों को रविवार तक बंद रखने का ऐलान किया है.
सिसोदिया ने ट्वीट किया, “दिल्ली में हवा की गुणवत्ता का स्तर खराब हो गया है. इस स्थिति में, बच्चों के स्वास्थ्य के साथ कोई समझौता नहीं किया जा सकता.”
ये निर्देश ऐसे समय दिया गया है, जब हवा की गुणवत्ता का स्तर दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में ‘खतरनाक’ स्तर तक पहुंच गया है. इलाके में 475 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर में पीएम 2.5 पार्टिकल का स्तर खतरनाक रूप से बढ़ गया है. विजिबलिटी भी जीरो के करीब पहुंच गई है.
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, 400 और 500 के बीच पीएम 2.5 का खतरनाक स्तर ‘स्वस्थ्य लोगों को नुकसान पहुंचाता है और रोगियों पर इसका काफी बुरा असर पड़ता है.’
दिल्ली में पाॅल्यूशन लेवल विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की लिमिट से 40 गुना अधिक हो गया है. डॉक्टरों और स्वास्थ्य संगठनों ने दिल्ली-एनसीआर में ‘हेल्थ इमर्जेंसी’ घोषित कर रखी है.
भू विज्ञान मंत्रालय के सेक्रेटरी माधवन राजीवन ने कहा कि दिल्ली में धुंध स्थानीय मामला नहीं है, बल्कि ये पूरे इलाके में फैल गई है. उन्होंने कहा कि ये स्थिति अभी अगले दो-तीन दिन तक बनेगी.
सरकार ने जारी की स्वास्थ्य हिदायत
जहरीले धुएं के असर को कम करने के इरादे से सरकार ने स्वास्थ्य हिदायत जारी की है. स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि सांस लेने में दिक्कत हो तो घर से बाहर निकलने से परहेज करें. दिल्लीवासियों को कार शेयरिंग, सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल करने, अपने-अपने घरों में ही रहने और धूम्रपान नहीं करने की सलाह दी गई है.
दिल्ली सरकार ने लोगों से सुबह-सुबह और देर शाम टहलने जाने से बचने, सूखे पत्तों, फसल के अवशेषों, लकड़ियां, कोयला नहीं जलाने को कहा है. लोगों को सलाह दी गई है कि अगर उन्हें सांस लेने में किसी तरह की दिक्कत महसूस हो तो पास के चिकित्सा सेवा केंद्र में जाएं. सभी सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में इलाज पूरी तरह से मुफ्त है.
अस्पतालों में सांस के मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी
दिल्ली के अस्पतालों में सांस के मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है. डाॅक्टरों का कहना है कि कई लोगों में सांस संबंधी समस्या जानलेवा स्थिति में भी पहुंच सकती है.
एम्स के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया ने बताया, सांस लेने में दिक्कत, खांसी, छींकने, सीने में जकड़न और एलर्जी और दम फूलने की शिकायतों के साथ मरीज ओपीडी में आ रहे हैं. सांस और हार्ट संबंधी समस्याओं का इलाज कराने के लिए आने वाले मरीजों की संख्या में करीब 20 फीसदी बढ़ोतरी हुई है. बहरहाल, उन्होंने कहा कि एन95 मॉस्क और एयर प्यूरीफायर से लंबे समय तक राहत नहीं मिलने वाली है.
गुलेरिया ने दिल्ली में धुंध की स्थिति की तुलना लंदन में 1952 के ग्रेट स्मॉग से की. लंदन में उस समय एयर पाॅल्यूशन के कारण 4,000 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी. सफदरजंग अस्पताल में श्वसन संबंधी औषधि विभाग के हेट जेसी सूरी ने कहा कि पिछले दो दिनों में मरीजों की संख्या में बढ़त हुई है.
उन्होंने कहा कि धुंध का तुरंत असर खांसी, गले में इन्फेक्शन और न्यूमोनिया के रूप में दिखता है, लेकिन लंबे समय में इसके असर बहुत खतरनाक हो सकते हैं और इससे फेफड़े का कैंसर भी हो सकता है.
(इनपुट भाषा से)
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