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दिल्ली विश्वविद्यालय (Delhi University) अपने दीक्षांत समारोह में इस वर्ष सबसे अधिक पीएचडी डिग्रियां प्रदान करने का रिकॉर्ड बनाने जा रहा है। इनमें पीएचडी डिग्रीयों की संख्या 840 से अधिक है। विश्वविद्यालय के मुताबिक जिन पीएचडी छात्रों का वायवा 24 फरवरी 2023 को शाम 5 बजे तक पूरा हो जाएगा, उन्हें डिग्री प्रदान की जाएगी।
इस वर्ष दिल्ली विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में भारत की राष्ट्रपति बतौर मुख्य अतिथि और केंद्रीय शिक्षा मंत्री सम्मानित अतिथि के तौर पर पर शामिल होंगे। दीक्षांत समारोह की तारीख 25 फरवरी तय की गई है। उदाराम दिल्ली विश्वविद्यालय के नियमित छात्रों को यूजी, पीजी, लॉ और मेडिकल की डिग्रियां प्रदान की जाएंगी।
दिल्ली विश्वविद्यालय के डीन एग्जामिनेशन प्रोफेसर दीवान सिंह रावत के मुताबिक दिल्ली विश्वविद्यालय के रेगुलर छात्रों को कॉल 81972 डिग्रियां दी जानी है। वहीं एसओएल के यूजी व पीजी छात्र कुल 75454 डिग्री प्राप्त करने वाले हैं। यानी कुल मिलाकर 1,57, 426 छात्रों को डिग्रियां दी जानी हैं।
गौरतलब है कि यह दिल्ली विश्वविद्यालय का 99वां दीक्षांत समारोह है। इस अवसर पर एक बड़ा बदलाव करते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन ने विद्यार्थियों को अंग्रेजी गाउन की जगह भारतीय अंगवस्त्र धारण करने के आग्रह का किया है। हर वर्ष दिल्ली विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में अनेक छात्र अंग्रेजी गाउन पहनकर डिग्री लेते हैं। वर्षों से चली आ रही पाश्चात्य परम्परा के स्थान पर अब भारतीय अंगवस्त्र पहनने का आग्रह किया गया है। विश्वविद्यालय का कहना है कि यह अपने आप में नया तथा भारतीय संस्कृति को दुनिया से अवगत कराने वाला कदम है।
छात्र संगठनों ने भी विश्वविद्यालय प्रशासन के इस निर्णय का समर्थन किया है। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (अभाविप) का मानना है कि विश्वविद्यालय का ये कदम छात्र हित में तथा भारतीय संस्कृति को पुनजार्गृत एवं अंगीकार करना है, जिसपर अंग्रेजी आधिपत्य के समय अंग्रेजों ने अपनी छाप डाल दी थी। इससे छात्रों के मन में भारतीय संस्कृति की जड़े मजबूत होगी।
इसके अलावा दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा प्रत्येक महाविद्यालयों में प्रत्येक कोर्स के लिए एक अनाथ छात्र तथा एक अनाथ छात्रा को मु़फ्त में शिक्षा देने का निर्णय लिया है। विश्वविद्यालय के इस निर्णय से शिक्षा की सुविधाओं से वंचित हजारों छात्र लाभान्वित होंगे एवं शिक्षा प्राप्त कर देख के विकास में कार्य कर सकेंगे। छात्रों ने विश्वविद्यालय के इस कदम पर खुशी जाहिर करते हुए विश्वविद्यालय के इस निर्णय को ऐतिहासिक तथा भारतीय संस्कृती को मजबूती प्रदान करने वाला निर्णय बताया है।
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