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‘अब्बू तो बीमार हैं’, मारे गए शख्स की बेटी को अब भी पिता का इंतजार

दिल्ली हिंसा के दौरान दंगाइयों ने जाकिर को मौत के घाट उतार दिया था

अस्मिता नंदी
भारत
Published:
25 फरवरी को मुस्तफाबाद की मस्जिद में दोपहर की नमाज पढ़ने के लिए गए जाकिर के सीने में चाकू मारा गया था
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25 फरवरी को मुस्तफाबाद की मस्जिद में दोपहर की नमाज पढ़ने के लिए गए जाकिर के सीने में चाकू मारा गया था
(फोटोः Altered By Quint)

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अब्बू की तबीयत काफी खराब है. वो अभी हॉस्पिटल में हैं. जब वो घर वापस आएंगे तो मैं और मेरी दीदी उनके साथ सवसे सर्फर गेम खेलेंगे...दिल्ली हिंसा में मारे गए 47 साल के जाकिर की 3 साल की बेटी आफिया को अब तक अपने पिता के लौटने का इंतजार है. 24 और 25 फरवरी को हुई हिंसा का शिकार हुए जाकिर की बेटी अपनी मां की तरफ देखते हुए कुछ ऐसे ही पापा के साथ गेम खेलने की बात करती है.

जाकिर की 8 साल की बेटी आइशा और आफिया को ये पता नहीं है कि उनके पिता को मस्जिद में नमाज पढ़कर लौटते हुए चाकुओं से गोद दिया गया. जाकिर 25 फरवरी को मुस्तफाबाद के पास एक मस्जिद में नमाज पढ़ने गए थे. लेकिन तभी वो दंगाइयों के हाथ लगे और उन्होंने उसे मौत के घाट उतार दिया.

(फोटो: अस्मिता नंदी / द क्विंट)

मैं आफिया से 27 फरवरी को मिली, जब पूरा परिवार जीटीबी हॉस्पिटल के बाहर जाकिर की बॉडी का इंतजार कर रहा था. जाकिर के भाई साहिल ने बताया,

“वहां लंबी लाइन थी. सभी शवों को उनके सीरियल नंबर से ही बाहर निकाला जा रहा था. अगले दिन उसने फोन किया और बताया कि हमने अभी-अभी भाई को दफनाया है.”
जाकिर की बेटियां- आयशा और आफिया(फोटो: अस्मिता नंदी / द क्विंट)
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अब्बू आराम कर रहे हैं

जाकिर की बड़ी बेटी आइशा को अब पता है कि उसके पिता कभी लौटकर नहीं आएंगे. लेकिन तीन साल की आफिया को अब भी आस है की पापा आएंगे और उनके साथ वो गेम खेलेगी. आफिया जाकिर के अपने वेल्डिंग के काम से लौटने के बाद उसके साथ बैठकर गेम खेला करती थी.

बातचीत के बीच ही आफिया ने अपने चाचा को कहा-

“अब्बू अभी बीमार हैं, इसीलिए वो अभी आराम कर रहे हैं.”

जब आफिया ने ऐसा कहा तो उसकी दादी और मां ने उसे उसे अपने सीने से लगाया और कहा कि हम इसे कैसे समझाएं कि अब जाकिर कभी नहीं आएगा. इसे कैसे बताएं कि उसके अब्बू के साथ क्या हुआ है.

नफरत हम सबको निगल लेगी

जाकिर की पत्नी मुस्कान ने इस हिंसा को लेकर कहा, "लोगों को इससे क्या मिलेगा.? अब तक कई जानें जा चुकी हैं. ये नफरत हम सभी को निगल लेगी. इसका रुकना जरूरी है. जाकिर और मैंने अपनी बेटियों के लिए एकसाथ कई सपने सजाए थे." जैसा आफिया को अपने पिता का इंतजार है वैसे ही परिवार सरकार की तरफ से मिलने वाले मुआवजे का इंतजार कर रहा है. जो उनके घाव पर कुछ मरहम लगाने का काम करेगा.

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